स कंपनी को लेकर सवाल उठने के बाद सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने लोगों को आश्वासन दिया है कि भारत में इस कंपनी की दवाइयां नहीं बेची जा रही थी.
नई दिल्ली. अफ्रीकी देश गाम्बिया में खांसी की दवाई पीने से 66 बच्चों की मौत की खबर आते ही भारतीय दवा कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जांच के घेरे में है. इस कंपनी का इतिहास बेहद विवादास्पद रहा है और देश के चार राज्य पहले ही इसकी कई दवाइयों को अच्छी गुणवत्ता का न पाते हुए बैन कर चुके हैं. वहीं इस कंपनी को लेकर सवाल उठने के बाद सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने लोगों को आश्वासन दिया है कि भारत में इस कंपनी की दवाइयां नहीं बेची जा रही थी
यह कंपनी सबसे वर्ष 2011 में सुर्खियों में आई थी, जब घटिया दवाओं के उत्पादन के चलते बिहार में इसे ब्लैकलिस्ट किया गया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मेडेन फार्मास्युटिकल्स की दवाइयों में जिस डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल की ‘अस्वीकार्य’ को गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत का कारण बताया जा रहा है, उससे जनवरी 2020 में जम्मू में कई बच्चों की मौत हो चुकी है. जम्मू में तब बच्चों की मौत के पीछे जिस डीईजी को जिम्मेदार पाया गया, वह हिमाचल प्रदेश में स्थित एक दूसरी कंपनी, मेसर्स डिजिटल विजन द्वारा निर्मित कफ सिरप में पाए गए थे.
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के अनुसार, मौत का कारण बनने वाली नकली दवाओं के निर्माण या व्यापार के लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और इसके साथ ही 10 लाख रुपये या जब्त की गई दवा के मूल्य का तीन गुना जुर्माना लगाया जा सकता है. हालांकि टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू में बच्चे के मौत की जिम्मेदारी पाई गई डिजिटल विजन पर आज तक कोई आर्थिक दंड नहीं लगाया गया और इस मामले के सभी जमानत पर बाहर हैं.
वहीं मेडेन फार्मास्युटिकल्स की बात करें तो वर्ष 2014 खराब गुणवत्ता के चलते वियतनाम द्वारा ब्लैकलिस्ट की गई 39 भारतीय दवा कंपनियों में से यह एक थी. इसके बाद वर्ष 2015 में भी गुजरात में इसकी दवाइयां घटिया पायी गई थी. इसके अलावा वर्ष 2017 में केरल में कंपनी पर जुर्माना लगाया गया. हालांकि, इसके बावजदू इसने केरल में दवाओं की आपूर्ति जारी रखी, जैसा कि इस तथ्य से स्पष्ट है कि वर्ष 2021 और 2022 के बीच इसके उत्पाद केरल में कम से कम पांच बार घटिया पाए गए थे.
मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की स्थापना वर्ष 1990 में हुई थी और दिल्ली के पीतमपुरा में इसका कॉर्पोरेट ऑफिस स्थित है. इसके साथ ही हरियाणा में कुंडली और पानीपत के अलावा हिमाचल प्रदेश में सोलन में इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट (कारखाने) हैं.
भारत में इस खतरनाक रसायन डीईजी से होने वाली मौतें नई नहीं हैं. वर्ष 2020 में जम्मू में 12 बच्चों की मौत के अलावा, 1998 में दिल्ली में इससे 33 बच्चों की मौत हुई. इसके अलावा वर्ष 1986 में मुंबई में 14 मौतें और 1973 में चेन्नई में 14 मौतें हुईं.
दवाइयों में इस रसायन का उपयोग विलायक के रूप में किया जाता है, लेकिन भारत में इसकी अनुमेय स्तर केवल 0.1% से 2% है. दवाओं में इस रसायन की अधिक मात्रा इसे जानलेवा बना सकती है. हालांकि CDSCO का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से इस रसायन से मौत का सीधा संबंध जोड़ते हुए कोई तथ्य साझा नहीं गया है.