राजधानी शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में नवरात्र उत्सव के विजय दशमी के दिन माता की मूर्तियों की विशेष पूजा अर्चना की गई। इसके बाद माता का वरण किया गया जिसमें महिलाओं ने परिक्रमा की और बंगाली समुदाय की सुहागिन महिलाओं ने पान के पत्ते, सुपारी, मिठाइयों से दुर्गा माता की मूर्तियों को भोग लगाया। इस मौके पर महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सदा सुहागिन का आर्शीवाद दिया और एक दूसरे को मिठाई खिलाई और गले लगाया। इसके बाद महिलाओं ने सिंदूर की होली खेली तथा डांस किया।बता दें कि षष्ठी नवरात्र उत्सव से विजय दशमी तक हर रोज पूजा में आमलान, गोस्वामी, जयदेव चक्रवर्ती व अन्य पंडितों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की थी। कालीबाड़ी मंदिर में हर साल शरद नवरात्रों के उपलक्ष्य पर मूर्तियों की विशेष पूजा की जाती है तथा मूर्तियों की स्थापना की जाती है।
दुर्गा माता को ढोल नगाड़े के साथ दी विदाई
कालीबाड़ी हॉल से दुर्गा माता की मूर्तियों का विदाई समारोह दोपहर बाद कोलकाता से लाए गए ढोल नगाड़े के साथ हुआ। समुदाय के लोगों ने माता की मूर्तियों को ट्रक में डालकर तारादेवी के तालाब ले जाया गया। जिसमें आगे माता की मूर्तियां और पीछे समुदाय के लोग नाचते गाते हुए तालाब पहुंचे। वहीं शाम के समय माता की मूर्तियां का विसर्जन किया गया। बंगाली समुदाय कि महिलाओं ने माता को खुशी.खुशी विदाई दी और माता से अगली वर्ष के जल्दी आने का आग्रह किया। इसके बाद माता की अन्य मूर्तियों को विसर्जित किया। इसके बाद समुदाय के लोग कालीबाड़ी मंदिर पहुंचे। कालीबाड़ी मंदिर पहुंचते ही विजयी स मेलनी दिवस मनाया गया। जिसमें समुदाय के लोगों ने एक दूसरे को गले लगाया और शांति जल लिया। इसके बाद आपस में मिठाई बांटी।