आपकी शुरुआत कैसी हुई है इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, दुनिया आपका अंजाम देखती है. गिरते पड़ते ही आप बस अपनी मंजिल तक पहुंच जाएं, फिर आपकी चोटों पर तरस नहीं खाते लोग, बल्कि उनका गुणगान गाते हैं, उन पर गर्व करते हैं.
बचमन में मां लिए गए पढ़ाई में बेहद कमजोर
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बचपन में कई बच्चे पढ़ने में कमजोर होते हैं. शिक्षक से लेकर क्लास के बच्चों और यहां तक की कई रिश्तेदार तक उस बच्चे को ये एहसास कराते रहते हैं कि वो कमजोर है. ठीक उसी तरह जिस तरह इंदौर के एक मजदूर के बेटे को कराया गया. 7 साल की उम्र उसे पढ़ाई में बेहद कमजोर घोषित कर दिया गया लेकिन उस लड़के ने किसी की नहीं सुनी, सिर और सिर्फ अपनी मेहनत पर ध्यान दिया. आज उस लड़के ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा यानी जेईई के मेन एग्जाम के पहले प्रयास में ही 99.93 प्रतिशत अंक प्राप्त कर लिए हैं. उस लड़के का नाम है दीपक प्रजापति, जिनकी कहानी आपके अंडर के विश्वास को दोगुनी ताकत देगी.
स्कूल से निकाल दिया गया
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कक्षा 2 में दीपक को शिक्षकों ने यह कह कर स्कूल से निकाल दिया था कि वह पढ़ने में बहुत कमजोर. दीपक हताश हो कर पढ़ाई से मुंह मोड़ सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. वो अपनी कमजोरी से लड़ते रहे, अपने सपनों का पीछा करने के लिए हर संभव कोशिश करते रहे. पढ़ाने वालों ने उनका साथ छोड़ा मगर उन्होंने पढ़ाई का साथ नहीं छोड़ा. दीपक के परिवार ने भी उनका आत्मविश्वास बढ़ाया और उनकी पूरी मदद की.
मजदूर के बेटे ने दसवीं में पाए 96%
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एक वेल्डर का काम करने वाले दीपक के पिता राम इकबाल प्रजापति का काम भी परमानेंट नहीं है और वे आजीविका चलाने के लिए रोज काम पर चले जाते हैं. दीपक ने ऐसी किसी भी बात का असर अपनी पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया. छोटी सी उम्र में उन्होंने कक्षा-2 से निकाले जाने के बाद ये ठान लिया कि अब पढ़ाई में उन्हें बहुत अच्छा करना है. उन्होंने लगातार अपनी पढ़ाई में सुधार किया. इसका नतीजा ये निकला कि 10वीं क्लास में उन्होंने 96% अंक प्राप्त किए.
सरकारी काउंसलर्स के संपर्क में आए, जिनसे उन्हें अपने करियर के ऑप्शन्स के बारे में पता लगा. इस बारे में उन्होंने मीडिया से कहा कि, ‘वह इंजीनियरिंग के कॉन्सेप्ट को लेकर काफी रोमांचित हैं, इसलिए उन्होंने खुद से वादा किया था कि वह आईआईटी-कानपुर में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेंगे.’
घरवालों ने किया सपोर्ट
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दीपक ने अपनी इस इच्छा के बारे में घरवालों को बताया. उन्होंने इच्छा जताई कि वह जेईई की तैयारी के लिए इंदौर जाना चाहते हैं. बता दें कि इंदौर एमपी के एजुकेशन हब के तौर पर जाना जाता है. घरवालों ने भी अपनी आर्थिक स्थिति की परवाह किये बिना दीपक का सपोर्ट किया और उन्हें इंदौर भेजा. दीपक भी जेईई की तैयारी में पूरी शिद्दत से जुट गए. वह इस दौरान दिन के 13-14 घंटे तक पढ़ाई करते थे. दीपक ने बताया कि वह सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बना कर रखते हैं. पढ़ाई से ब्रेक लेने के लिए वह बैडमिंटन या फुटबॉल खेलते हैं.