ब्रासीलिया. 20 से अधिक वर्षों तक वह शख्स ब्राजील के अमेजन के घने जंगलों में अकेले रहता रहा और नट, फल और शिकार से मिले खाने पर जिंदगी गुजारता रहा. वो घने जंगलों में रहने वाले स्थानीय लोगों के जीवन के संघर्ष का प्रतीक था. उस आदमी का नाम दुनिया में किसी को पता नहीं था, अब वह मर चुका है और उसकी मौत ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं हैं. वह एक छोटी जनजाति का एकमात्र जीवित सदस्य बचा था.
न्यूज एजेंसी एएफपी की एक खबर के मुताबिक ये शख्स 23 अगस्त को तनारू इलाके में मरा पाया गया था. अधिकारियों को हिंसा के कोई संकेत नहीं मिले और उनका मानना है कि उनकी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है. जबकि स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि आदमी गुआकामाया नामक एक पक्षी के चमकीले पंखों से ढका हुआ था. ये एक तरह का तोता है. तनारू स्वदेशी क्षेत्र ब्राजील के दक्षिण-पश्चिमी रोन्डोनिया राज्य में 8,000 हेक्टेयर (30 वर्ग मील) का एक संरक्षित वर्षा वन है, जो बोलीविया की सीमा पर है. ये रिजर्व विशाल पशु फार्मों से घिरा हुआ है.
बताया जाता है कि अवैध खनिकों और लकड़ी काटने वालों से भरा हुआ ये ब्राजील के सबसे खतरनाक इलाकों में से एक है. इस शख्स को पहली बार 1996 में नेशनल इंडियन फाउंडेशन के अधिकारियों के साथ यात्रा करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री टीम ने देखा था. ये एक सरकारी एजेंसी है जो जनजातियों के खिलाफ किए गए नरसंहार की जांच कर रही थी. इलाके को कानूनी संरक्षण देने के लिए तनारू वन क्षेत्र में जनजातीय लोगों की मौजूदगी को साबित करना जरूरी था. तभी इस शख्स को देखा गया था.
एक फुटेज में शख्स को एक झोपड़ी के अंदर से झांकते देखा गया. एक मौके पर वह लोगों को डराने के लिए भाला भी निकलता है, लेकिन एक भी शब्द नहीं बोलता. पड़ोसी जनजातियों के लोगों को साथ लाकर यह पता लगाने की कोशिश की गई थी कि वह इंसान कौन सी भाषा बोलता है. लेकिन उसने साफ संकेत कर दिया कि वह किसी से बात नहीं करना चाहता. एक बार तो खतरा महसूस करते हुए उसने एक तीर चलाया. जिससे जांच करने गई टीम का एक सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गया. उसके बाद अधिकारियों ने बस उसके इलाके में गश्त करने और इन संकेतों की तलाश करने की कोशिश करते रहे कि वह अभी भी जीवित है.
2011 में शूट की गई अंतिम फुटेज में वह एक कुल्हाड़ी से एक पेड़ को काटते हुए दिखाई दे रहा है. धनुष और तीरों से साबित होता है कि वह शिकार करता था. उसके इलाके में कुछ बगीचे भी थे, जहां उसने फल और सब्जियां उगाईं, जैसे कि पपीता और मनिओक. लेकिन जिस चीज से खोजकर्ता सबसे अधिक आकर्षित हुए वे थे उसके द्वारा खोदे गए कई गड्ढे, जो लगभग दो मीटर (सात फीट) गहरे थे और उनके नीचे नुकीले भाले लगाए गए थे. जानवरों को फंसाने के लिए ऐसे गड्ढों का इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वे घुसपैठियों से छिपने के लिए भी एक जगह हो सकते हैं या उनके पीछे किसी तरह का आध्यात्मिक उद्देश्य भी हो सकता है