मैनपुरी लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव के परिवार के ही किसी सदस्य को टिकट दिया जा सकता है। वहीं, रामपुर में आजम के किसी करीबी को टिकट मिल सकता है।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की अनुपस्थिति में हो रहा पहला लोकसभा उप चुनाव अखिलेश यादव के लिए अग्नि परीक्षा है। ऐसे में वह फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। दोनों लोकसभा क्षेत्र में सियासी समीकरण पर निरंतर मंथन हो रहा है। लखनऊ से लेकर सैफई तक सियासी हलचल है। मैनपुरी में परिवार के कई सदस्यों के नाम पर चर्चा है तो रामपुर में आजम खां की तरफ निगाह लगी हुई है।
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर 1996 से सपा का एकछत्र राज रहा है। सपा के लिए घर की सीट मानी जाने वाली मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से मुलायम सिंह ने इस्तीफा दिया तो यहां से धर्मेंद्र यादव और फिर तेज प्रताप सांसद बने। फिर 2019 में खुद सांसद रहे। अब उनके निधन के बाद पार्टी के सामने इस सीट को बचाए रखने की चुनौती है। यहां से परिवार के कई सदस्यों का नाम चर्चा में हैं।
पिछले दिनों शिवपाल सिंह यादव ने भी इस सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया था, लेकिन मुलायम सिंह के निधन के बाद शिवपाल और अखिलेश के बीच दूरियां कम होती नजर आ रही हैं। अभी शिवपाल इंतजार की मुद्रा में हैं। अब अखिलेश यादव पर है कि वह परिवार और राजनीति के बीच किस कदर सामंजस्य स्थापित करते हैं।
उधर, मैनपुरी के लोगों के बीच तेज प्रताप की चर्चा चल रही है। वह मुलायम सिंह के बड़े भाई के पोते और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि तेज प्रताप के जरिए अखिलेश यादव लालू परिवार को भी खुश कर सकते हैं। लेकिन, इसके लिए उन्हें शिवपाल सिंह यादव को मनाना पड़ेगा।