बिजनेसमैन राहुल बजाज अब हमारे बीच में नहीं हैं. 83 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. जानकारी के मुताबिक वो पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और इसी के वजह से उनका निधन हुआ. राहुल बजाज के हौसले ने उन्हें बिजनेस टायकून बनाया. वहीं उनकी निडरता ने उन्हें एक बहादुर इंसान बनाया.
भारत के लिए राहुल बजाज का योगदान अतुलनीय है. साल 2001 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. 1965 में उन्होंने बजाज समूह का कार्यभार संभाला और इसे एक वैश्विक निर्माण कंपनी के रूप में स्थापित किया. उन्होंने भारत को घरेलू स्तर पर निर्मित चेतक स्कूटर दिया. उनका यह स्कूटर 80 के दशक में मिडल क्लास का ‘स्टेस्ट्स आयकॉन’ बन गया था.
राहुल बजाज की कामयाबी सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं थी. उन्हें खुलकर बोलने के लिए भी याद किया जाता है. आपको याद हो तो 2019 में मीडिया के एक कार्यक्रम में उन्होंने जिस तरह से गृहमंत्री अमित शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के सामने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाये थे. उनकी इस बेबाकी की चारों तरफ चर्चा हुई थी.
राहुल बजाज के नेतृत्व में बजाज ‘सनी’ ने भारत की युवा लड़कियों को नए पंख दिए और टीवी और रेडियो में बजने वाला विज्ञापन ‘हमारा बजाज’ उनके ब्रांड की पहचान बना. इस विज्ञापन ने भारतीय विज्ञापन उद्योग के लिए नए मानदंड दिए. ऑटोमोबाइल, घरेलू उपकरण से लेकर जीवन बीमा तक, बजाज समूह की कंपनियां अलग-अलग बाजार में दिखाई दीं.
बता दें, साल 2005 में उन्होंने अपने बेटे राजीव बजाज को प्रबंधन सौंप दिया था. उनके निधन की खबर सार्वजनिक होते ही श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया. अब राहुल बजाज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके व्यक्तित्व से देश और समाज हमेशा रोशन होता रहेगा.