‘जासूसी’ किसी भी देश की सुरक्षा के लिए बड़ा हथियार है. दुश्मन देशों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए समय समय पर जासूसी के उदाहरण बदलते रहे हैं. इंसान से लेकर विज्ञान तक हर किसी को इस जासूसी में आजमाया जा चुका है. मगर अब समय बदल रहा है और इसके साथ ही जासूसी का स्तर भी एक लेवल ऊपर जाने की तैयारी में है. अब जासूसी के लिए कुछ ऐसा बनाया जाएगा जो न सजीव होगा न निर्जीव, ये एक तरह से दोनों का जोड़ होगा. अगर आप ये इशारा नहीं समझे तो चलिए आपको अच्छे से समझाते हैं.
मुर्दा परिंदों से बनेंगे ड्रोन
दरअसल, अब जासूसी के लिए मुर्दा परिंदों का इस्तेमाल किया जाएगा. मार चुके पक्षियों के उपयोग से ड्रोन बनाया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वैज्ञानिक ड्रोन बनाने के लिए मर चुके पक्षियों की चमड़ी का इस्तेमाल करेंगे. ऐसे कर के मशीनी ड्रोन को परिंदों की शक्ल दी जाएगी. ऐसे में जब ड्रोन से किसी घर की निगरानी की जाएगी तो लगेगा जैसे ये कोई मशीन नहीं बल्कि असल का परिंदा है. इस प्रोजेक्ट में बड़े-बड़े वैज्ञानिक शामिल हैं. प्रोजेक्ट से जुड़े एक इंजीनियर ने बताया कि ड्रोन असल में रिमोट से कंट्रोल होने वाले मिनी-एयरक्राफ्ट होते हैं. इन्हें इंसानों और जानवरों पर नजर रखने के लिए दूर से इस्तेमाल किया जा सकता है.
बायोमिमिक्री तकनीक का होगा इस्तेमाल
प्रोजेक्ट पर काम करने वाले दो इंजीनियर डॉ मुस्तफा हसनालियन और अमीयर के अनुसार, प्रवासी पक्षियों की ऊर्जा बचाने की तकनीक का अध्ययन कर ड्रोन कुशल तरीका बन सकता है. उन्होंने बताया कि वे बायोमिमिक्री नाम की तकनीक के इस्तेमाल से ड्रोन बना रहे हैं. इसका मतलब है डिजाइन और दुनिया में पहले से मौजूद चीजों के संगम से उत्पादन करना.
इस काम के लिए होंगे इस्तेमाल
न्यू मैक्सिको टेक में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मुस्तफा हसनालियन ने बताया कि ड्रोन बनाने के लिए नकली सामग्री के बजाय वे मर चुके परिंदों का इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्हें ड्रोन के रूप में री-इंजीनियर किया जा सकता है. मुस्तफा ने आगे कहा कि कभी-कभी प्रकृति को देखने से हमें अलग-अलग तरह के इंजीनियरिंग सिस्टम्स के बारे में पता चलता है. इनके जरिये डेवलपमेंट और ऑप्टमाइजेशन के लिए सबसे अच्छा जवाब मिलता है. अभी तक ‘डेड बर्ड ड्रोन’ सिर्फ प्रोटोटाइप हैं. निकट भविष्य में वे जंगलों की कटाई और शिकारियों पर नजर रखने में उपयोगी हो सकते हैं.