मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से की प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई न करने की मांग, बताई यह वजह

सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अर्जी दाखिल की है, (न्‍यूज 18 हिन्‍दी/फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अर्जी दाखिल की है,

नई दिल्ली. प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से दो दिन पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक नई अर्जी दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट 11 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगा.

एआईएमपीएलबी ने सुप्रीम कोर्ट से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को चुनौती देने वाली अर्जी पर सुनवाई न करने की मांग की है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जो अर्जी दाखिल की है उसमें सुप्रीम कोर्ट से बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान हुए दंगे और मुंबई विस्फोट का हवाला दिया है. सुप्रीम कोर्ट से बोर्ड ने कहा है कि अधिनियम के रद्द होने से सांप्रदायिक तनाव पैदा होगा.

मुस्लिम पक्ष ने नोटिस जारी न करने पर दिए थे कई तर्क
मुस्लिम पक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद और एआईएमपीएलबी ने पहले सुप्रीम कोर्ट से पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका में नोटिस जारी नहीं करने का आग्रह किया था. अर्जी में कहा गया है कि यह बाबरी विध्वंस और अयोध्या फैसले के कारण हुए सांप्रदायिक विभाजन से अभी उबर रहे मुस्लिम समुदाय के मन में भय पैदा करेगा.

सुप्रीम कोर्ट 11 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगा
मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट अगर इस मामले को सुनता है तो भविष्य में देश में अनगिनत मस्जिदों के खिलाफ मुकदमों की झड़ी लग जाएगी. इसी को लेकर एआईएमपीएलबी ने सुप्रीम कोर्ट से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को चुनौती देने वाली अर्जी पर सुनवाई न करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट 11 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगा.