भारत का रहस्यमयी मंदिर, मूर्ति में धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल, जानें चौंकाने वाले रहस्य

दुनियाभर में भारत एक आस्था का केंद्र है। देश में कई रहस्यमयी मंदिर हैं जिनके रहस्यों को वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताते हैं जहां पर आज भी भगवान श्रीकृष्ण का दिल धड़कता है। शरीर त्यागने के बाद सभी लोगों की हृदय गति रुक जाती है, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के शरीर त्यागने के बाद भी उनका हृदय अभी भी धड़क रहा है। आपको जानकर इस बात पर यकीन हो रहा होगा, लेकिन पुराणों में दी गई जानकारी और कुछ घटनाओं के बारे में जानकर इस सत्य पर आपको यकीन हो जाएगा। 

भगवान श्री हरि श्रीविष्णु ने द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण का अवतार लिया तो उनका यह मानव रूप था। सृष्टि का नियम है कि धरती पर जन्म लेने वाले हर इंसान की मृत्यु निश्चित है। उसी तरह भगवान श्री हरि के इस मानव रूप की भी मृत्यु निश्चित थी।

इस मंदरि की मूर्ति में धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल

महाभारत युद्ध के 36 साल बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपने देह को त्याग दिया। इसके बाद पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण का अंतिम संस्कार किया। उनका पूरा शरीर अग्नि में तो समा गया, लेकिन उनका दिल धड़क ही रहा था। अग्नि भी ब्रह्म के हृदय को नहीं जला पाई। यह देखकर पांडव हैरान रह गए। इसके बाद आकाशवाणी हुई कि यह ब्रह्म का हृदय है और इसे समुद्र में प्रवाहित कर दीदिए। पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के हृदय को समुद्र में प्रवाहित कर दिया।
ओडिशा के पुरी में प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है। इस मंदिर विराजमान भगवान जगन्नाथ से कई रहस्य जुड़े हुए हैं। इसके साथ यह रहस्यमयी मंदिर बेहद चमत्कारिक भी है। 
इस मंदरि की मूर्ति में धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल

इस मंदिर के सामने आने वाली हवा का रुख भी बदल जाता है। मान्यता है कि हवाएं इसलिए अपनी दिशा बदल लेती हैं, ताकि समुंदर की लहरों की आवाज मंदिर के अंदर न जा सके। प्रवेश द्वार से मंदिर में कदम रखते ही समुद्र की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि मंदिर का ध्वज भी हमेशा हवा से उलटी दिशा में लहराता है। 
इस मंदरि की मूर्ति में धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल

भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति में आज भी भगवान श्रीकृष्ण का हृदय मौजूद है। भगवान के हृदय अंश को ब्रह्म पदार्थ कहा जाता है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां लकड़ी की हैं। भगवान श्री जगन्नाथ की मूर्ति का निर्माण नीम की लकड़ी से होता है। हर 12 साल में जब भगवान जगन्नाथजी की मूर्ति बदली जाती है। उस दौरान इस ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में रख दिया जाता है।