नवजात बेटी को पैकेट में बंदकर झाड़ियों में फेंका, फरिश्ता बनकर आए चार दोस्त और मासूम को बचा लिया

राजस्थान से एक आत्मा झकझोर देने वाली खबर सामने आई है. यहां के बाड़मेर जिले के बालोतरा मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर एक नवजात मासूम बच्ची लावारिस अवस्था में पाई गई है. इस बच्ची को एक पैकेट में बंदकर मरने के लिए झाड़ियों में फेंक दिया गया था. मगर ये कहावत यूं ही नहीं चलती आ रही कि ‘जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई’. इस बच्ची को बचाने के लिए भी चार दोस्त देवदूत बन कर सामने आए.

पैकेट में बंद कर बच्ची को फेंका

Newborn babyJKR/Representative Image

जिस जगह पर इस बच्ची को पैकेट में बंद कर के फैंका गया था, वहीं से ये चार दोस्त गुजर रहे थे. इन्होंने इस मासूम की रोने की आवाज सुन ली और उसे बचाने झाड़ियों तक पहुंच गए. ये चारों तब हैरान रह गए जब इन्होंने वहां पड़े एक पैकेट को खोला, उसमें मासूम नवजात थी. इसके बाद ये चारों उस मासूम को बालोतरा के राजकीय नाहटा चिकित्सालय ले गए और उसे वहां भर्ती करवा दिया. वहां उसका इलाज चल रहा है.

चार दोस्त इस बच्ची के लिए बने फ़रिश्ते

Newborn Daughter Barmer News 18

बीते रविवार को जहां एक तरफ कड़ाके की ठंड में लोग एक के ऊपर एक गरम कपड़े पहनने के बाद भी कांप रहे थे वहीं ये मासूम झाड़ियों में पड़ी ठिठुर रही थी. इसी दौरान वहां सुबह-सुबह घूमने के लिए निकले 4 दोस्तों को रेलवे स्टेशन की पटरियों के पास किसी नवजात के रोने की आवाज सुनाई पड़ी. ये शायद नियति का ही खेल था जिसने इन चारों को उस मासूम को बचाने भेजा था. बच्ची की रोने की आवाज सुनने के बाद इन दोस्तों के कदम वहीं रुक गए. इसके बाद इन्होंने उस दिशा में कदम बढ़ाए जिधर से आवाज आ रही थी.

थोड़ी दूर चलने के बाद चारों दोस्तों ने पाया कि ये आवाज बबूल की झाड़ियों के बीच से आ रही थी. इसके बाद वे झाड़ियों की ओर बढ़े और देखा कि वहां कंटीली झाड़ियों और पौधों के बीच एक पैकेट पड़ा हुआ है. वो पैकेट इन कंटीली झाड़ियों में उलझ चुका था. इन दोस्तों ने बड़ी मुश्किल से उस पैकेट को खींचकर झाड़ियों से बाहर निकाला. जब इन्होंने पैकेट खोला तो पाया कि उसमें शॉल और कुछ पुराने कपड़ों में लिपटी एक नवजात बच्ची है.

इसके बाद चारों दोस्तों ने बिना देर किए उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गए. इस मासूम के लिए देवदूत बन कर सामने आए इन चार दोस्तों का नाम मुकेश कुमार, मांगीलाल, प्रकाश कुमार और राजू कुमार है. ये चारों बालोतरा के वार्ड संख्या 28 की सांसी कॉलोनी के रहने वाले हैं. नवजात को बचाने वाले युवकों ने मीडिया को बताया कि हमारा सबसे पहला मकसद यही था कि किसी भी तरह से मासूम की जान बचनी चाहिए.

बच्ची की आयु मात्र 10-15 घंटे

newborn baby Representative Image India TV

युवकों के अनुसार, इस मासूम की जान बड़ी किस्मत से बची है क्योंकि जहां इसे झाड़ियों में फेंका गया था वहां स्ट्रीट डॉग्स और सूअरों का काफी आतंक है. ये आवारा जानवर इस बच्ची तक पहुंचते उससे पहले ही ये चारों दोस्त वहां पहुंच गए. नाहटा अस्पताल के डॉक्टर्स के अनुसार अस्पताल लाए जाने से 10-15 घंटे पहले ही बच्ची का जन्म हुआ है. वो पूरे एक दिन की भी नहीं थी जब उसे झाड़ियों में फेंका गया था. बच्ची का शरीर काफी ठंडा था. नवजात को हॉस्पिटल लाते ही उसे वार्म करना शुरू कर दिया था. बच्ची का वजन करीब 2.7 किलोग्राम है. डॉक्टर्स ने बताया कि उसकी तबीयत अब ठीक है. उसका इलाज चल रहा है.

वहीं पुलिस भी इस मामले में अपनी जांच शुरू कर चुकी है. मामले की सूचना मिलने पर बालोतरा पुलिस अस्पताल पहुंची. पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद बालोतरा पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है. पुलिस के अनुसार आसपास के प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल में डिलीवरी वाले मामलों की जांच की जाएगी. सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जाएगा. इलाके के लोगों से पूछताछ की जा रही है. पुलिस के अनुसार जल्द ही पता लगा लिया जाएगा कि इस बच्ची को किसने और क्यों लावारिस अवस्था में मरने के लिए छोड़ दिया था.