धर्मपुर से भाजपा के परिवारवाद को हराना ही माकपा का है एकमात्र लक्ष्य
धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना उमीदवार न उतार कर भाजपा के ख़िलाफ़ पड़ने वाले वोटों को विभाजित होने से रोक दिया है।पार्टी ने पहले ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था लेकिन ऐन वक्त पर चुनाव न लड़ने का निर्णय किया है जिससे भाजपा के लिए कड़ी चुनौती पेश कर दी है। भूपेंद्र सिंह वर्ष 2017 में में भी चुनाव लड़ चुके हैं और पिछले साल हुए ज़िला परिषद चुनावों में वे सोलह ग्राम पंचायतों से लगभग आठ हज़ार वोट हासिल करने में कामयाब हुए थे और साढ़े तीन सौ के मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। माकपा ने धर्मपुर में भाजपा को हराने तथा परिवारराज को ख़त्म करने के उद्देश्य से इस मर्तवा उन्हें मैदान में न उतारने का निर्णय लिया है। जिससे धर्मपुर में परिवर्तन चाहने वालों और महेंद्र सिंह के वंशवाद की राजनीति से छुटकारा पाने वालों में भारी उत्साह है।ऐसी स्थिति में इस बार भाजपा विरोधी वोटों का विभाजन नहीं होगा जिस कारण अबकी बार बदलाव निशिचित है ।माकपा लोकल कमेटी ने धर्मपुर में फैले राजनीतिक भ्र्ष्टाचार, भाई भतीजावाद, परिवार की तानाशाही को इस बार ख़त्म करने का निर्णय लिया है और जनता से भी अपील की जा रही है। धर्मपुर में विकास के नाम पर किये गए भरस्टाचार से मुक्ति दिलवाना इस बार माकपा का लक्ष्य है और उसके लिए विपक्षी दल एकजुटता से काम कर रहे हैं । पार्टी के सचिव भूपेंद्र सिंह ने बताया कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य स्तर पर भाजपा को सत्ता से बाहर करने का निर्णय लिया है तथा गैर भाजपा सरकार का गठन करने और विधानसभा में माकपा विधायकों की संख्या बढ़ाने के लिए कार्यनीति तय की है।इसलिए पार्टी ने कम सीटों पर ही चुनाव लड़ने की योजना बनाई है ताकि गैर भाजपा मतों का कम से कम बंटवारा हो पाये।