ऊना की 3 सीटें जीतने वाले दल की हिमाचल में बनती है सरकार, 1993 से जारी है रिवाज

ऊना, 23 अक्तूबर : हिमाचल प्रदेश की राजनीति में जिला ऊना की खास अहमियत रहती। उससे भी भी खास यह है कि ऊना जिला ऊना में तीन सीटों के आंकड़ों को छूने वाला राजनीतिक दल प्रदेश की सत्ता पर काबिज होता है। पिछले तीन दशकों से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। जिसमें तीन बार भाजपा तो तीन बार कांग्रेस ने जिला ऊना से तीन-तीन सीटों पर कब्जा जमाकर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए हैं।

तीन आंकड़ों का ये खेल 1993 से शुरू हुआ था। जब कांग्रेस ने तीन, भाजपा ने एक और एक सीट पर आजाद उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। तीन सीटें हासिल कर कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई थी। इसके बाद से अब तक ये क्रम लगातार जारी है। 1998 की बात की जाए, तो भाजपा ने तीन और कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। जिसके बाद प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा सत्ता पर काबिज हुई थी। वहीं 2003 में भाजपा को जिला ऊना में 2 सीटों से ही संतोष करना पड़ा, जिस कारण प्रदेश में वीरभद्र सरकार सत्तासीन होने में कामयाब रही।

       2007 में एक बार फिर भाजपा ने जिला ऊना में तीन सीटें जीत प्रो. प्रेम कुमार धूमल को पुन: मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज किया। वहीं 2012 में कांग्रेस मुकेश अग्निहोत्री, राकेश कालिया व कुलदीप कुमार ने विधानसभा का चुनाव जीतकर तीन सीटें कांग्रेस की झोली में डाली। जिससे एक बार फिर वीरभद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। वहीं 2017 में भाजपा के वीरेंद्र कंवर, बलवीर चौधरी व राजेश ठाकुर ने कांग्रेसी प्रत्याशियों को पटखनी देते हुए जहां विधानसभा क्षेत्र में अपना-अपना कब्जा जमाया। वहीं हिमाचल प्रदेश में जयराम सरकार सत्ता संभालने में कामयाब रही। अब देखना यह होगा कि यह रिवाज 2022 के विधानसभा चुनावों में भी ऐसे ही रहेगा या फिर इस दफा ये सिलसिला थम जाएगा।

1967 से 1990 तक के छह चुनावों में जाने क्या रहे आंकड़े

 जिला ऊना में 1967 से लेकर 1990 तक के आंकड़े भी रोचक रहे है। 1990 में भाजपा ने चार, तो जनता दल ने एक सीट हासिल की। 1985 में कांग्रेस ने जिला की पांचों की पांच सभी सीटों पर अपना कब्जा जमाया। वहीं 1982 में भाजपा व कांग्रेस ने 2-2 व कुटलैहड़ की सीट जनता पार्टी ने अपने नाम की। 1977 में जनता पार्टी का दबदबा रहा और जिला की तमाम सीटों पर कब्जा किया। 1972 में जिला ऊना में छह सीटों पर चुनाव लड़ा गया, जहां पर सभी सीटें कांग्रेस ने अपने नाम की। 1967 में कांग्रेस ने दो व तीन आजाद उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।