गांव के लोगों ने अपने पैसे से डेढ़ साल में निकाल दीं दो सड़कें, दूसरों के लिए बने प्रेरणा

झरमाणी गांव के लोगों ने अपने स्तर पर ही 1 लाख 80 हजार रुपये डाले और अपनी निजी भूमि से सड़क निकाल दी। इस परोपकारी काम के लिए झरमाणी गांव के लोगों की पूरे गलोड़ क्षेत्र में तारीफ हो रही है।

झरमाणी गांव में सड़क निकालने के लिए लगाई गई जेसीबी। समाजसेवी बालचंद राजपूत और कुलदीप सिंह।

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के विकास खंड नादौन की गोईस पंचायत के झरमाणी गांव के लोगों ने समाज के लिए मिसाल पेश की है। लोगों ने अपने स्तर पर ही 1 लाख 80 हजार रुपये डाले और अपनी निजी भूमि से सड़क निकाल दी। इस परोपकारी काम के लिए झरमाणी गांव के लोगों की पूरे गलोड़ क्षेत्र में तारीफ हो रही है। डेढ़ साल पहले भी झरमाणी गांव में लोगों ने एक सड़क निकाली जोकि अब सरकारी सहायता से पक्की होने जा रही है।

इस काम में गांव के बालचंद राजपूत के प्रयास भी रंग लाए। बालचंद एक मल्टीनेशल कंपनी से उच्च पद से रिटायर हुए हैं और इन दिनों समाज सेवा में जुटे हुए हैं। बालचंद राजपूत ने बताया कि कोरोना काल में गांव के लोगों ने पांच मूलभूत सुविधाओं की कमी महससू की। गांव के लोगों की कमेटी बनाई गई। कमेटी ने पांच मूलभूत सुविधाओं पर मंथन किया। गांव के सभी घरों व श्मशान घाट तक एबुंलेंस रोड की कनेक्टिविटी हो, सभी खेतों में ट्रैक्टर जाए, शेड और स्टोर का निर्माण व जंजघर की मरम्मत इत्यादि।

गांव के लोगों ने स्वैच्छिक दान दिया जिसमें बालचंद राजपूत ने एक लाख रुपये दिए। प्रीतम, बांकू, जगदीश, बालकृष्ण, रमेश, जसवंत, करण, साहिल, प्रदीप, कमलजीत ने 80 हजार रुपये का योगदान दिया। गांव की कमेटी में शामिल कुलदीप, तिलक, अमरजीत, रणजीत, रघुवीर, राजेंद्र, रांझू, रमन ने भी इस पुनीत कार्य के लिए मार्गदर्शन किया। बालचंद राजपूत ने बताया कि गांव में मास्टर ध्यान सिंह सिंह, मधु और लक्की के घरों को सड़क सुविधा नहीं थी अब इसे भी पूरा कर दिया गया है।

लोगों ने तुरंत एनओसी दी और अगले दिन ही सड़क निकाल दी गई। बीडीसी मेंबर प्रकाश चंद ने इसके लिए दिन रात काम की मॉनीटरिंग की। लोगों ने एचआरटीसी उपाध्यक्ष विजय अग्निहोत्री का आभार जताया है। लोक निर्माण विभाग डेढ़ साल पहले गांव द्वारा खुद निकाली गई सड़क को अब पक्का करने जा रहा है। बालचंद राजपूत ने कहा कि गांव के लोग चाहें तो सरकारी सहायता का इंतजार किए बिना भी विकास किया जा सकता है और जब सरकारी फंड मिले तो उस काम के स्वरूप को और बेहतर किया जा सकता है। इधर, एचआरटीसी उपाध्यक्ष विजय अग्निहोत्री ने भी ग्रामीणों के प्रयास को सराहा।