उपमंडल नूरपुर के तहत पड़ते क्षेत्र में चक्की खड्ड पर बने महत्त्वपूर्ण सडक़ पुल पर अब खतरे के बादल मंडराने लगे है। पुल को बचाने के लिए एनएचएआई ने भरसक प्रयास शुरू कर दिए है और इस काम को जल्द-जल्द से पूरा करने के लिए आर्मी की मदद ली जा रही है। वजह है कि इस कार्य में मौसम सबसे बड़ी चुनौती है क्यों ऊपरी क्षेत्रों में बारिश से चक्की का जलस्तर बढऩे से बड़ी अड़चन आ सकती है। गौरतलब है कि यहां रेलवे पुल का एक भाग गिरने के बाद अब सडक़ पुल पर भी खतरा बढ़ गया है। फिलहाल पानी की मार और खड्ड में बढ़ती खाई के खतरे को देखते हुए इस पुल को बुधवार रात को यातायात के लिए रोक दिया है । पुल के नीचे से बह रहे चक्की खड्ड के पानी को डायबर्ट करने के लिए दिन-रात जोरदार प्रयास किया जा रहा है। दरअसल चक्की खड्ड का रुख बदलने के करण पानी का बहाव चक्की पुल के पिल्लर पिल्ली वन व पिल्लर टू की तरह हो गया है, जिससे यह पिल्लर बैड लेवल से लगभग सात मीटर तक बाहर आ गए हैं।
ऐसे में इन पर खतरे के बदल मंडरा रहे है। चक्की खड्ड में तेज बाढ़ के बहाव में रेलवे पुल बहने के बाद अब यह खाई भूमि कटाव के कारण सडक़ पुल की तरफ बढ़ रही है जिसका फासला पुल से कुछ ही मीटर दूर रह गया है। अगर ऊपरी हिस्सों में भारी बारिश हुई, तो यह खाई पुल के पिल्लरों तक बढ़ सकती है, जिससे पुल पर भारी खतरा हो सकता है। अब एनएचएआई इस खतरे को देखते हुए पुल के काफी आगे से चक्की के पानी का बहाव मोडऩे का प्रयास कर रही है, जिसके लिए वहां भारी संख्या में मशीनरी लगाई हुई है। (एचडीएम)
16 पिल्लरों पर टिका 520 मीटर लंबा पुल
वर्ष 2010 में बना चक्की का नया पुल लगभग 520 मीटर लंबा है, जिसके 16 पिल्लर है। यह पुल हिमाचल व पंजाब दो राज्यों को जोड़ता है और सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। वर्तमान में चक्की का पानी करीब दो पिल्लरों के नीचे से बह रहा है और यहां चक्की का पानी बैड लेवल से लगभग सात मीटर तक नीचे चला गया है और यहां उक्त पिल्लर जो कि करीब 25 मीटर गहरे है वह लगभग सात मीटर तक बाहर आ गए है, जिससे खतरा उत्पन्न हुआ है। यहां खास यह है कि अब यहां इन पिल्लरों के नीचे चक्की बह रही है वहां कोई पत्थर या चट्टानें नहीं है वहां केवल चिकनी मिट्टी है। पानी का रुख मोडऩे के बाद प्रभावित पिल्लरों को क्रेट वर्क कर इसे सेफ किया जाएगा।
क्रेट वर्क से पिल्लरों को करेंगे मजबूत
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कर्नल अनिल सेन ने टीम सहित मौके का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया । उन्होंने कहा कि पुल बचाने में आर्मी की मदद ली गई, जिसमें जवान भी एनएचएआई के साथ पानी का रुख मोडऩे में जुट गए हैं। पुल के दो पिल्लर पानी के बहाव के कारण काफी बाहर आ गए है, और इससे पुल को खतरा हो गया है। चक्की खड्ड का पानी डायबर्ट किया जा रहा है, ताकि पुल के पिल्लरों को बचने के लिए क्रेट वर्क किया जा सके।
पहाड़ी खिसकने के डर से छोड़े आशियाने
चुवाड़ी। उपमंडल की पंचायत साडल के अंतर्गत आने वाले गांव पुखर, कोल्थड़ा में घरों और जमीनों में दरारें आने से लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है । ये गांव पहाड़ी पर बसे हुए हैं। यहां कल तक सब कुछ नॉर्मल था, परंतु अब दरारें आ गई हैं, जिससे पूरे पहाड़ के खिसकने का खतरा पैदा हो गया है। खास बात यह है कि जहां से दरार की शुरआत हुई है वह घर बिलकुल प्लेन एरिया में हैं। कुदरत के कहर से पहले लोगों ने अपना सामना सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना शुरू कर दिया है।
सवा महीने बाद कांगड़ा के युवक का शव बरामद
कुल्लू- कांगड़ा। मणिकर्ण घाटी के चोज नाले में बहे युवक का शव एक महीना 20 दिन के बाद बरामद हुआ है। चोज नाला में छह जून को बाढ़ आ गई थी, जिसमें चार लोग बह गए थे और तीन मकान, एक गेस्ट हाउस मलबे में बह गया था। उसके बाद से हालांकि लापता चारों की तलाश चल रही थी। कांगड़ा के रोहित चौधरी का शव चोज नाला के मलबे से अब बरामद हुआ है। जानकारी के अनुसार बुधवार को लोगों ने पुलिस को सूचना दी थी कि चोज नाले में मलबे में एक व्यक्ति का हाथ दिखाई दे रहा है, जिसके चलते यहां पुलिस और प्रशासन की टीम ने खुदाई का कार्य आरंभ किया और रात तक खुदाई करने के बाद शव बरामद किया गया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए क्षेत्रीय अस्पताल पहुंचा दिया है और परिजनों को इसकी सूचना दे दी है।