पुजारी की गुजारिश ने बोया श्रद्धा का अंकुर, मां के सामने लिया प्रण और त्याग दी इंडस्ट्री, कुछ ऐसी है अनुराधा पौडवाल की कहानी

बॉलीवुड के संगीत जगत की 10 सबसे बड़े सिंगर्स की बात की जाएगी तो अनुराधा पौडवाल का नाम टॉप 5 में जरूर लिया जाएगा. लता मंगेशकर को अपना गुरू मानने वाली अनुराधा पौडवाल आज 68 साल की हो गईं हैं. करीब दो दशकों तक सिंगिग की दुनिया में राज करने के बाद अनुराधा ने अपने करियर की पीक पर इंडस्ट्री को अलविदा कहकर सभी को चौंका दिया था.

साल 1990 में आई फिल्म आशिकी के पूरे 9 के 9 गाने सुपरहिट रहे थे. इन सभी गानों में अनुराधा ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा था. 90 के दशक की शुरुआत में ही लगातार तीन साल फिल्म फेयर पुरस्कार जीतर अनुराधा ने अपने नाम की चमक पूरे देश में फैला दी थी. लेकिन अपने करियर की पीक पर अनुराधा ने बॉलीवुड के गानों को अलविदा कह दिया और भगवान की भक्ति की तरह मन मोड़ लिया. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि अनुराधा ने अपने करियर की पीक पर फिल्मी गाने करना छोड़ दिए.

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खुद बताया कारण

अनुराधा पौडवाल ने 24 फरवरी 2021 को डिजियाना ग्रुप के एडिटर इन चीफ प्रतीक श्रीवास्तव को दिए इंटरव्यू में इसकी वजह बताई है. इंटरव्यू के दौरान अनुराधा पौडवाल बताती हैं कि ‘मैं बचपन से ही भगवान के प्रति समर्पित रही हूं. भगवान के प्रति मेरी आस्था उस वक्त शुरू हो गई जब मैं चौथी कक्षा में पढ़ती थी. इसी दौरान मुझे निमोनिया हो गया और मेरी आवाज चली गई. इसी दौरान मेरे मामा जी ने लता मंगेशकर की भगवत गीता का ऑडियो दिया.

उसी दौरान लता जी अपने करियर की 25वीं वर्षगांठ मना रहीं थी. इसी के उपलक्ष्य में उन्होंने ये भगवत गीता अपनी आवाज में रिकॉर्ड करके रिलीज की थी. इस भगवत गीता में मैंने कई बार लगातार सुना और मेरे मन में संगीत और भगवान दोनों के प्रति आस्था गहरी हो गई’. इसके बाद अनुराधा अपनी गायकी के हुनर को निखारने में व्यस्त हो गईं और फिल्मों में गीत गाने लगीं.

90 के दशक की शुरुआत में ही लगातार तीन साल फिल्म फेयर पुरस्कार जीतर अनुराधा ने अपने नाम की चमक पूरे देश में फैला दी थी. (फोटो साभार- Instagram@ paudwal.anuradha_official)

अनुराधा पौडवाल ने डिजियाना ग्रुप को दिए इंटरव्यू के दौरान बताया कि ‘एक दिन मैं माता के मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंची. यहां मंदिर में बैठे पुजारी ने मुझसे भजन गाने की गुजारिश की. मैं उस वक्त सन्न रह गई जब मेरा ध्यान गया कि मैंने अपने करियर में एक भी भजन नहीं गाया. इसके बाद मैंने मां को प्रणाम किया और एक प्रण लिया कि हे मां अपने करियर की पीक पर फिल्मी गानों को अलविदा कह दूंगी और सिर्फ भजन गायन करूंगी’. मां का आर्शीवाद लेकर अपने काम पर वापस लौट आई.

पीक पर क्यों छोड़ दिए थे गाने…

अपने करियर की पीक पर फिल्म इंडस्ट्री के गानों को अलविदा कहकर भजन की दुनिया में शुरुआत करने वाली अनुराधा इसके पीछे की वजह भी साझा करती हैं. अनुराधा बताती हैं कि ‘मैंने अपने एक सीनियर सिंगर के करियर को करीब से देखा था. जब वे अपने हिट गानों के बाद करियर में गानों की सफलता को लेकर जूझ रहे थे तब इंडस्ट्री के ही तमाम लोगों ने यह कहने में जरा भी संकोच नहीं किया कि उनका टाइम चला गया है.

बावजूद इसके कि उन्होंने अपने करियर में कितना शानदार काम किया था. उस वक्त मुझे समझ आया कि इंडस्ट्री में कुछ सास्वत नहीं है. यहां हर दिन शुरुआत से शुरू करना पड़ता है. मैं इस तरह के फेज से बचना चाहती थी. इसलिए मैंने गानों की दुनिया को अलविदा कहकर भजन की दुनिया में कदम रखा. अनुराधा कहती हैं कि मेरी ईश्वर में असीम आस्था थी कि भजन की दुनिया में भी मुझे अच्छा नाम मिला’.