लाइफ स्टाइल में बदलाव से घट रहा ब्रेस्ट फीडिंग का अनुपात, हेल्थ से जुड़ी इन बातों को न करें अनदेखा

बच्चों के रूटीन और जीरो डोज के टीकाकरण पर यूनिसेफ का विशेष फोकस है। यूनिसेफ की संचार अधिकारी सोनिया सरकार ने कहा कि कोविड काल में बच्चों के रूटीन टीकाकरण में कमी आई है। बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के टीकाकरण पर विशेष जोर है।

यूनिसेफ की संचार अधिकारी सोनिया सरकार
यूनिसेफ की संचार अधिकारी सोनिया सरकार

लाइफ स्टाइल में बदलाव के चलते शहरी क्षेत्रों में मां की ओर से शिशुओं को ब्रेस्ट फीडिंग (स्तनपान) कराने का अनुपात कम हुआ है। यह एक चिंता का विषय है। जन्म से लेकर दो साल तक बच्चे को मां का दूध बहुत ही जरूरी है। बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए मां का दूध ही सबसे बढ़िया न्यूट्रीशियन है।

इसके लिए महिलाओं को बच्चे की सेहत के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। यूनिसेफ का बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए टीकाकरण, पोषण, ब्रेस्ट फीडिंग को बढ़ावा देने पर फोकस है। यह बात यूनिसेफ की संचार अधिकारी सोनिया सरकार ने ‘अमर उजाला’ से बातचीत में कहीं।

देहरादून में क्रिटिकल अप्रैजल स्किल (सीएएस) मीडिया कार्यशाला के समापन पर सोनिया सरकार ने कहा कि स्वास्थ्य से संबंधित सही सूचनाएं समाज व समुदाय तक पहुंचाने के लिए वर्ष 2014 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से सीएएस (जरूरी जांच परख) प्रोग्राम को डिजाइन किया गया है। इसका मकसद स्वास्थ्य से संबंधित भ्रांतियां व अफवाहें रोकना है।

जीरो डोज के टीकाकरण पर यूनिसेफ का विशेष फोकस

सीएएस के तहत 10 बिंदुओं पर मीडिया रेटिंग टूल तैयार किया गया, जिससे स्वास्थ्य संबंधित खबरों को मानकों पर परखने की जरूरत है। इसी के तहत यूनिसेफ की ओर से तीन दिवसीय कार्यशाला में मीडिया कर्मियों और छात्रों को सीएएस की जानकारी दी गई। आईआईएमएस, माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी, हिमाचल और दिल्ली विश्वविद्यालय ने सीएएस को मीडिया कोर्स में अपनाया है। सोनिया सरकार का कहना है कि बच्चों के रूटीन और जीरो डोज के टीकाकरण पर यूनिसेफ का विशेष फोकस है।

केंद्र सरकार के साथ बच्चों के टीकाकरण में यूनिसेफ पार्टनरशिप में काम कर रही है। कोविड महामारी के दौरान देखा गया कि यदि वैक्सीन नहीं लिया तो कितनी गंभीर बीमारी हो सकती है। वैसी ही बच्चों को टीका नहीं लगाया तो रूबेला जैसी अन्य गंभीर बीमारी हो सकती है। कोविड काल में बच्चों के रूटीन टीकाकरण में कमी आई है। इसके लिए केंद्र सरकार ने इंद्र धनुष कार्यक्रम चलाया, जिसके बाद टीकाकरण में सुधार आया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के टीकाकरण पर विशेष जोर है। स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए वहां की बोली भाषा में नुक्कड़ नाटक व अन्य कार्यक्रम किए जा रहे हैं।