ईरान में हवा में उड़ रहा हिजाब पर भारत में फ्रीडम का सवाल… सोशल मीडिया पर चल पड़ी डिबेट

ईरान में महसा अमीनी की मौत का मामला भारत तक पहुंच गया है। इसने हिजाब पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है। महसा की मौत के विरोध में ईरान में मुस्लिम महिलाओं ने उनके अंतिम संस्‍कार पर अपने हिजाब उतार दिए थे। ईरान में महिलाओं का हिजाब पहनना जरूरी है।

Mahsa Amini

नई दिल्‍ली: भारत में काफी समय से हिजाब पर विवाद (Hijab Controversy) है। यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत तक पहुंच चुका है। इस बीच ईरान में एक महिला की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस महिला का नाम महसा अमीनी (Mahsa Amini) है। महसा की शुक्रवार को मौत हो गई थी। उसकी उम्र सिर्फ 22 साल थी। तेहरान में अमीनी की गिरफ्तारी के बाद उन्हें वैन में पीटा गया था। अमीनी के अंतिम संस्कार पर कुछ महिलाओं ने विरोध स्वरूप अपने हिजाब और बुर्के उतार फेंके थे। यह और बात है कि ईरान में हिजाब पहनना (Iran Hijab Row) जरूरी है। भारत में इसे लेकर बहस छिड़ गई है। कई लोग बेनकाब हो गए हैं। ये भारत में हिजाब के बजाय ड्रेस कोड का व‍िरोध करते रहे हैं। वहीं, ईरान में महिलाओं के हिजाब उतार फेंकने का समर्थन कर रहे हैं। कुछ लोगों ने ईरान के प्रेस कवरेज को लेकर भी सवाल किए हैं। जब कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियों ने ड्रेस कोड का विरोध किया था तब उसके मीडिया पर ये खबरें सुर्खियां बनी थीं। हालांकि, महसा की मौत पर महिलाओं के हिजाब उतारने की खबरें मीडिया से गायब हैं।

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ह‍िजाब पर सुप्रीम कोर्ट

अमीनी को मंगलवार को ईरान की धार्मिक मामलों की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस महिला पर सिर को ढंकने के ड्रेस कोड का पालन नहीं करने का आरोप था। चश्मदीदों के मुताबिक, पुलिस वैन में उन्हें बुरी तरह पीटा गया था। इसके बाद महसा कोमा में चली गई थीं। यह और बात है कि ईरान की पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है। उसका कहना है कि अमीनी का दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई है। महसा के अंतिम संस्कार में कई महिलाओं ने विरोध स्वरूप अपने हिजाब उतार दिए। सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल हैं। पुलिस भीड़ पर गोलियां चला रही है। प्रदर्शनकारी महिलाएं तानाशाह मुर्दाबाद के नारे लगा रही हैं। अमीनी के शव को पश्चिमी कुर्दिस्तान के साकेज में उनके गृहनगर में दफनाया गया है।

फिलहाल इसकी पूरे मामले की आंच भारत तक भी पहुंच गई है। ट्विटर पर हिजाब के मुद्दे ने बहस पकड़ ली है। लोग हिजाब के विरोध में उतर आए हैं। कुछ यूजरों ने उन्‍हें भी बेनकाब किया जो भारत में हिजाब के बजाय ड्रेस कोड का विरोध करते रहे हैं। वहीं, ईरान में महिलाओं के हिजाब उतार फेंकने का समर्थन कर रहे हैं।

यूजर्स का कहना है कि जब कर्नाटक में हिजाब की मांग और ड्रेस कोड का विरोध हुआ था तब ईरान की मीडिया बढ़-चढ़कर इसका कवरेज कर रही थी। इसके उलट जब महसा की मौत के विरोध में महिलाओं ने हिजाब उतारकर विरोध किया तो कोई कवरेज नहीं है।