युवाओं में गंभीर रोग और मृत्यु का जोखिम अधिक, लॉन्ग कोविड में देखी जा रही है यह गंभीर दिक्कत
भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले चिंता का कारण बने हुए हैं। पिछले एक महीने से संक्रमण के दैनिक मामलों में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है। शनिवार को जहां देश में 11739 लोगों को संक्रमित पाया गया, वहीं पिछले 24 घंटे में एक बार फिर से केस 17 हजार के पार हो गए। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि देश में संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स BA.2 के साथ मुख्यरूप से BA.4 और BA.5 जिम्मेदार हैं। अध्ययनों में बताया जा रहा है कि इन वैरिएंट्स के कारण गंभीर रोग और संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने का आशंका कम है, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह वैरिएंट्स काफी संक्रामक हैं और इससे उन लोगों के लिए भी खतरा बना हुआ है जिनका वैक्सीनेशन हो चुका है।
इस बीच कोरोना संक्रमण के कारण होने वाली मृत्युदर को लेकर शोध कर रही वैज्ञानिकों की टीम ने बड़ा खुलासा किया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि महामारी के पहले चरण के दौरान क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी), मधुमेह, और उच्च रक्तचाप जैसी कोमारबिडीटी वाली युवा महिलाओं में मृत्यु का खतरा अधिक देखा गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन लोगों को पहले से ही कोमोरबिडिटी की समस्या रही है ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है, यह संक्रमण की स्थिति में मृत्यु के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा सकती है।
अध्ययन में क्या पता चला? अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 2,586 संक्रमितों के डेटा को आयु के आधार पर दो श्रेणियों में विभाजित किया गया था। पहले ग्रुप में 18-59 वर्ष जबकि दूसरा 60 साल से ऊपर वाले लोगों का रखा गया । टीम ने अस्पताल में भर्ती इन मरीजों में पहले से किसी बीमारी के बारे में जानकारी प्राप्त की और इस आधार पर संक्रमण की गंभीरता के जोखिम का अवलोकन किया।
वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि कोमोरबिडिटी, संक्रमण के दौरान गंभीर रोग और ठीक होने के बाद लॉन्ग कोविड, दोनों के जोखिम को कई गुना तक बढ़ा देती है।
महिलाओं में गंभीर रोगों का जोखिम अधिक
2,586 रोगियों में से, 779 (30.1 प्रतिशत) को आईसीयू में भर्ती होने की आवश्यकता थी, जबकि 1,807 (69.9 प्रतिशत) का सामान्य तौर पर इलाज किया गया। इनमें से करीब 2,269 (87.7 फीसदी) रोगी इलाज के बाद ठीक हुए जबकि 317 (12.3 फीसदी) मरीजों की मौत हो गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं (30.4 प्रतिशत) की तुलना में कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती पुरुष रोगियों (69.6 प्रतिशत) की संख्या दो गुना से अधिक थी, हालांकि संक्रमण की गंभीरता और मृत्यु दर का जोखिम महिलाओं में अधिक पाया गया।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अध्ययन के निष्कर्ष के बारे में सर गंगा राम अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन के प्रमुख और अध्ययन के सह-लेखक डॉ विवेक रंजन ने कहते हैं, हमारे अध्ययन से पता चला है कि कोमोरबिडिटी वाले उम्रदराज लोगों की तुलना में इसी तरह की समस्याओं के शिकार युवाओं में कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता और मृत्यु दर का जोखिम अधिक पाया गया। ऐसे लोगों के आईसीयू में भर्ती होने का जोखिम भी अधिक होता है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिन लोगों को पहले से ही किसी भी तरह की बीमारी है उन्हें कोरोना संक्रमण से विशेषरूप से बचाव करते रहने की आवश्यकता होती है। ओमिक्रॉन जैसे नए वैरिएंट्स भी आपके लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
लॉन्ग कोविड में गंभीर न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार का खतरा
संक्रमण के साथ-साथ लॉन्ग कोविड की समस्याएं भी विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं। एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों में गंभीर न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार का खतरा बना हुआ है। ऑस्ट्रिया के विएना में 8वीं यूरोपियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (ईएएन) कांग्रेस में रविवार को प्रस्तुत किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस गंभीर खतरे को लेकर अलर्ट किया है। शोधकर्ताओं ने 919,731 लोगों पर किए गए परीक्षण में पाया कि कोविड पॉजिटिव पाए गए लोगों में अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार का खतरा 3.5 गुना अधिक था। लॉन्ग कोविड की इस समस्या को लेकर विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।