उत्तराखंड के नैनीताल में शिप्रा नदी खैरना तक बहती है. यह नदी पिछले कुछ सालों में प्रदूषित होकर एक गंदे नाले में बदल चुकी है. इस नदी का अस्तित्व ही बना रहे, इसके लिए जगदीश नेगी पिछले 5 साल से लगातार काम कर रहे हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2015 में नदी की सफाई का काम शुरू किया. नदी से उन्होंने कचरा साफ़ करना शुरू किया. आज नदी की सूरत में बदलाव आ रहा है. लोगों को लगा कि अकेला यह व्यक्ति क्या कर पायेगा, लेकिन जगदीश ने सभी की सोच को अपने काम से बदला. धीरे-धीरे उनके काम में कई और लोग आकर जुड़ गए.
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उत्तराखंड में भोवाली के रहने वाले जगदीश नेगी एक बार सुबह-सुबह टहलते हुए शिप्रा नदी के तट पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि नदी कूड़ेदान में तब्दील हो चुकी है. द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने उसी दिन निश्चय किया कि इस बारे में कुछ किया जाए. मैंने फेसबुक पर पोस्ट डाली कि मैं अगले रविवार शिप्रा नदी सफाई अभियान का काम शुरू करूंगा. अगर कोई साथी हाथ बंटाना चाहे, तो पहुंच जाए. रविवार को मेरे साथ और भी 10-12 लोग जुट गए और एक कोने से हमें नदी की साफ़ सफाई शुरू की.”
धीरे-धीरे उनकी मुहीम आन्दोलन में में बदल गयी. उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ा तो पाया कि बहुत से घरों का सीवर पाइप तक नदी में खुला हुआ है. उस गंदगी में कोई पैर रखने को राज़ी नहीं था. लेकिन मैं पीछे नहीं हटा. पता नहीं क्या जूनून और जोश था कि मैंने ठान लिया कि मैं इनके सीवर पाइप नदी से बंद करवा कर रहूंगा.”
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इसके लिए उन्होंने प्रशासन के दफ़्तर के चक्कर लगाना शुरू कर दिया और कई सालों की मेहनत के बाद वे सफल हुए. इसके अलावा, उन्होंने अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाये. साल 2017 में उन्होंने शिप्रा कल्याण समिति का गठन किया. नेगी कहा, “शिप्रा कल्याण समिति ने अपने प्रयास से लोगों से चंदा जमा करके 75000 के 15 कूड़ेदान भी भोवाली पालिका को दिए, जिनसे भी नगर को साफ और स्वच्छ रखने में मदद मिल रही है. भोवाली शहर अब पहले से काफ़ी साफ़-सुथरा हो गया है. मैं अपने शहर में अभी तक 60 कूड़ेदान 20 किलोग्राम क्षमता के दुकानदारों को वितरित कर चुका हूं.”
आज उनके साथ करीब एक हज़ार लोग जुड़ चुके हैं. जगदीश को आज लोग ‘रिवर मैन’ के नाम से जानते हैं. उम्मीद है, जल्द ही शिप्रा नदी पहले की तरह निर्मल हो जायेगी.