डॉलर के मुकाबले रुपया 79.60 के रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर चला गया है.

डॉलर के मुकाबले रुपया 79.60 के रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर चला गया है.

नई दिल्‍ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ग्‍लोबल मार्केट में भारत की पहुंच बढ़ाने और ट्रेडिंग को आसान बनाने के लिए आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कराने की बात कही है. यह सिस्‍टम किस तरह से काम करेगा और भारत को इसका क्‍या फायदा मिलेगा. कमोडिटी एक्‍सपर्ट इसे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए बड़ा मूव बता रहे हैं.

कमोडिटी एक्‍सपर्ट अजय केडिया का कहना है क‍ि अभी नेपाल-भूटान को छोड़कर दुनिया के बाकी देश डॉलर, येन, यूरो और पाउंड में ही ग्‍लोबल ट्रेडिंग करते हैं. आरबीआई के नई व्‍यवस्‍था शुरू करने के बाद रुपये में भी ट्रेडिंग का रास्‍ता खुल जाएगा. आरबीआई का कहना है कि इस सिस्‍टम के शुरू होने के बाद भारत के एक्‍सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा, क्‍योंकि दुनिया ने रुपये में दिलचस्‍पी दिखाई है.

क्‍या रूस से व्‍यापार बढ़ाने की है तैयारी
वैसे तो रिजर्व बैंक का मकसद रुपये पर डॉलर व अन्‍य करेंसी का दबाव घटाना है, जिसके लिए नया सिस्‍टम डेवलप किया जा रहा है, लेकिन कुछ एक्‍सपर्ट का कहना है कि इस कदम से रूस के साथ व्‍यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी. दरअसल, यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से रूस पर कई प्रतिबंध लग चुके हैं और वह अपना रिजर्व डॉलर इस्‍तेमाल नहीं कर पा रहा है. ऐसे में नया सिस्‍टम आने के बाद रूस से व्‍यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा ईरान सहित व्‍यापारिक प्रतिबंध झेल रहे अन्‍य देशों के साथ भी भारत अपना व्‍यापार बढ़ा सकेगा.

विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ कम होगा
रिजर्व बैंक का सबसे बड़ा मकसद विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ को घटाना है. आरबीआई के पास मौजूद करीब 590 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार वैसे तो 10 महीने के आयात के लिए पर्याप्‍त है, लेकिन अभी इसका इस्‍तेमाल रुपये पर बढ़ते दबाव को घटाने में हो रहा है. नया सिस्‍टम आने के बाद अगर ग्‍लोबल मार्केट में कोई देश हमसे भारतीय करेंसी में लेनदेन करता है तो इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम हो जाएगा. इतना ही नहीं ग्‍लोबल मार्केट में रुपये की स्‍वीकार्यता भी बढ़ जाएगी. तत्‍काल तो नहीं लेकिन धीरे-धीरे देश रुपये को स्‍वीकार कर लेंगे तो ग्‍लोबल मार्केट में यह डॉलर के मुकाबले खड़ा हो सकता है.

कैसे काम करेगा नया सिस्‍टम
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्‍सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के सीईओ अजय सहाय का कहना है कि ग्‍लोबल मार्केट में रुपये में ट्रेड करने के लिए दूसरे देश को भी रुपये में पेमेंट लेने का सिस्‍टम बनाना होगा. आरबीआई के लिए कुछ भारतीय बैंकों को वेस्‍ट्रो अकाउंट खोलने की इजाजत देगा. ये बैंक दूसरे देशों की करेंसी को अपने पास रखेंगे. इसके तहत जब भारतीय कारोबारी निर्यात करेंगे तो वह अपने रेगुलर बैंक के जरिये वेस्‍ट्रो अकाउंट वाले बैंक को जानकारी भेजेगा. वेस्‍ट्रो खाते वाले बैंक से पैसा निर्यातक के रेगुलर बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

इसी तरह, जब कोई कारोबार आयात करेगा तो वह इसका भुगतान अपने रेगुलर बैंक को करेगा, जहां से पैसा वेस्‍ट्रो खाते वाले बैंक में चला जाएगा. मुद्रा की कीमत दोनों देशों के फॉरेक्‍स के हिसाब से लगाई जाएगी.

ईरान के साथ शुरू किया था ऐसा सिस्‍टम
भारत ने इससे पहले ईरान के साथ व्‍यापार के लिए ऐसा ही सिस्‍टम विकसित किया था. तब ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते डॉलर में कारोबार ठप हो गया था. ईरान से तेल खरीद का भुगतान भी रुपये में किया गया था. हालांकि, 2019 में ईरान से तेल का आयात बंद होने के बाद यह खाता भी ठप हो गया.