भाजपा सरकार के कईं मंत्रियों की सीट खतरे में, कहीं बागी तो कहीं एंटी इनकंबेंसी बनी है चुनौती

शिमला, 27 अक्तूबर : विधानसभा चुनाव में प्रदेश के ज़्यादातर मंत्रियों की सीटें फंसी हुई है। मंत्रियों को एंटी इनकंबेंसी के साथ-साथ बागियों के तल्ख़ तेवरों का सामना करना पड़ रहा है। जिसने मंत्रियों के जीत के समीकरण बिगाड़ कर रख दिए है। ऊना की कुटलैहड़ सीट पर एकमात्र मंत्री वीरेंद्र कंवर की सीट पर हालत थोड़े पॉजिटिव दिखाई देते है। बाकि सारे मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

बात करें जिला कांगड़ा की तो शाहपुर से महिला मंत्री सरवीण चौधरी को इस दफा पंकु कांगडिया की बगावत का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले सरवीण चौधरी यहां से विजय सिंह मनकोटिया व केवल सिंह पठानिया की आपसी फूट के चलते कांग्रेस को हराने में सफल रही है। हालांकि मनकोटिया अब भाजपा में आ गए है, मगर पंकु की निर्दलीय दावेदारी से मंत्री को हार का डर सता रहा है।

उधर, एक अन्य मंत्री राकेश पठानिया का नूरपुर से टिकट काटकर फतेहपुर से लड़ने का फरमान जारी हुआ है। यहां कृपाल परमार उनके लिए अपनी ही पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे। परमार बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। नया चुनाव क्षेत्र होने से भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। कांगड़ा के जसवां परागपुर से उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर के लिए एक समाजसेवी व निर्दलीय उम्मीदवार संजय पराशर ने बड़ी चुनौती खड़ी कर रखी है। यहां से पूर्व कर्मचारी नेता कांग्रेस के सुरेंद्र मनकोटिया को इसका सीधा-सीधा लाभ मिल रहा है।

यही हाल शिमला के कुसुम्पटी बदले गए शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज का होने वाला है। भारद्वाज ने शिमला शहर से कईं चुनाव लगातार जीते। उन्होंने शिमला में भाजपा का अच्छा कैडर तैयार किया था, मगर ऐन वक्त पर उनका टिकट शिमला से बदलकर कुसुम्पटी कर दिया। यहां कांग्रेस के दो बार लगातार जीते कांग्रेस के अनिरुद्ध सिंह उनके लिए बड़ी चुनौती है। भारद्वाज खुद भी इस बात को मान चुके है कि उनका यहां से जीतना कार्यकर्ताओं पर निर्भर करता है।

प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री महेंद्र सिंह हालांकि खुद चुनाव नहीं लड़ रहे है, मगर उनका अपने बेटे रजत ठाकुर को जिताना इतना आसान नहीं है। यहां कांग्रेस ने युवा प्रत्याशी चंद्र शेखर को फिर से टिकट दिया है। चंद्रशेखर इससे पहले महेंद्र सिंह से दो चुनाव हार चुके हैं।  इस दफा चंद्रशेखर सहानुभूति की लहर सवार होकर नए नवेले रजत ठाकुर के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं।  यही हाल दो बार बेहद कम मार्जिन से जीते स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल का है। उन्हें इस दफा एंटी इनकंबेंसी के साथ-साथ कांग्रेस उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी की कड़ी चुनौती मिल रही है। इस दफा लोगों की सहानुभूति की लहर सुल्तानपुरी के पक्ष में बहने से सैजल की राह इतनी आसान नहीं है।

पावंटा साहिब से ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी को अपनी बिरादरी से दो बागियों के साथ-साथ आंजभोज क्षेत्र से एक निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनौती पेश कर दी है। गौरतलब है कि सुखराम की बिरादरी से आज तक उनके खिलाफ कभी किसी ने चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई। लेकिन इस बार रोशन लाल शास्त्री व एक अन्य युवा सुनील चौधरी ने सुखराम की राह में अवरोध खड़े कर दिए हैं। मनीष तोमर पहाड़ी क्षेत्र में सुखराम के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के किरनेश जंग व आप के मनीष ठाकुर भी कदावर नेता हैं, जो सुखराम को हराने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं।

मनाली से शिक्षा मंत्री गोविन्द ठाकुर व लाहौल स्पीति से रामलाल मार्कण्डेय भी एंटी इनकंबेंसी के चलते चुनावी संग्राम में बुरी तरह फंसे हुए हैं। मनाली में कांग्रेस के भुवनेश्वर गौड़ जो पूर्व मंत्री राजकृष्ण गौड़ के पुत्र है, गोविन्द के लिए तगड़े प्रतिद्वंदी सिद्ध हो रहे हैं। रामलाल मार्कण्डेय को भी इस बार कांगेस के रवि ठाकुर से हार का खतरा है, क्योंकि सरकार में रहते लोगों की नाराजगी का सामना कर रहे हैं। यदि समय रहते बागियों को नहीं मनाया गया तो मंत्री हार के खतरे से बच नहीं सकते। पिछली कांग्रेस सरकार में भी 6 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था।