सीरिया के प्राचीन शहर पलमीरा में एक ऐसा रहस्य छुपा हुआ था जिसे वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पा रहे थे. लेकिन अब दावा किया जा रहा है कि इस रहस्य को सुलझा लिया गया है. दरअसल, पालमिरा के शिलालेखों में एक ऐसे अज्ञात देवता का वर्णन किया गया था, जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी लेकिन संभव है कि अब इस रहस्य से पर्दा उठ जाए.
सामने आया गुमनाम देवता का रहस्य
करीब 2,000 साल पहले पलमीरा नामक ये प्राचीन शहर व्यापार का केंद्र हुआ करता था. ये शहर रोमन साम्राज्य को व्यापार मार्ग के जरिए एशिया के साथ जोड़ता था. पोलिश सरकार की साइट साइंस इन पोलैंड के अनुसार, पलमीरा में कई शिलालेखों में इस गुमनाम देवता का उल्लेख किया गया है. इस देवता को ब्रह्मांड के स्वामी और दयालु के रूप में जाना जाता है. इनमें से कई शिलालेख करीब 2,000 साल से भी पुराने हैं.
एलेक्जेंड्रा कुबियाक-श्नाइडर पोलैंड में व्रोकला यूनिवर्सिटी की एक शोधकर्ता हैं. इन्होंने इस रहस्य को सुलझाने के लिए ने पलमीरा के शिलालेखों का अध्ययन किया और इसकी की तुलना, मेसोपोटामिया में पाए गए पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के शिलालेखों से की.
देवता को कहा जाता था दयालु
एलेक्जेंड्रा कुबियाक ने इन दोनों शिलालेखों की तुलना करने पर पाया कि मेसोपोटामिया में पूजे जाने वाले देवताओं और पलमीरा के गुमनाम देवता को एक जैसे नामों से ही जाना जाता है. जैसे कि बेल-मर्दुक- बेबीलोन के सबसे बड़े देवता को भी ‘दयालु’ कहा जाता था. ‘दुनिया के स्वामी’ भी ‘ब्रह्मांड के स्वामी’ के जैसा ही नाम है, जिसका इस्तेमाल कभी-कभी आकाश देवता बालशमिन के लिए किया जाता था.
एलेक्जेंड्रा कुबियाक के अनुसार पलमीरा के शिलालेखों में वर्णित गुमनाम ‘देवता’ सिर्फ एक नहीं, बल्कि कई देवता हैं, जिनमें बेल-मर्दुक और बालशमिन शामिल हैं. उनका कहना है कि लोग देवताओं को सम्मान देने के लिए उनके नामों का इस्तेमाल नहीं करते थे.
सुनते थे लोगों की प्रार्थना
उन्होंने कहा कि जब लोग देवों का आह्वान करते हुए शिलालेख लिख रहे थे, तो उनकी प्रार्थना हमेशा किसी एक देवता तक नहीं पहुंच रही थी, बल्कि किसी ऐसे देवता के पास पहुंच रही थी जो उनकी प्रार्थना को सुनता था. यानी कोई एक गुमनाम देवता नहीं था, बल्कि हर वो देवता था जो उनकी प्रार्थना सुनता था और वही प्रशंसा का पात्र होता था.