प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का शुक्रवार तड़के 100 साल की उम्र में निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हीराबा का तड़के 3.30 बजे निधन हो गया। सुबह होते-होते पीएम भी गुजरात पहुंचे और मां को अंतिम विदाई दी। उनकी आंखों में आंसू थे। मां-बेटे का रिश्ता ही ऐसा था।
नई दिल्ली: एक मां का अपने बच्चे के साथ रिश्ता शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता। वो स्नेह असीमित होता है। साधु-संत भी कहते हैं कि मां धरती पर ईश्वर का रूप होती है। आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन (100) का निधन हो गया। दो दिन पहले जैसे ही मां के बीमार होने की खबर मिली थी, मोदी दिल्ली से अहमदाबाद पहुंच गए थे। आज तड़के उनका ट्वीट आया, ‘शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है।’ सुबह होते-होते वह गांधीनगर पहुंच चुके थे। मां (Heeraben Modi) को अंतिम विदाई देते समय वह भावुक हो गए। मां के चरणों को छुआ, नमन किया। जिसने भी ये तस्वीरें देखीं, आंखों से आंसू छलक गए। पीएम का अपनी मां से रिश्ता ही कुछ ऐसा था। बीते वर्षों में पूरे देश ने देखा और महसूस किया था। पहले गुजरात का सीएम रहते और बाद में पीएम बनने के बाद उन्हें जब भी मौका मिलता वह मां से मिलने, उनका आशीर्वाद लेने पहुंच जाते। मां उन्हें अपने हाथों से खिलाती, पानी पिलाती। ये तस्वीरों में आपने भी देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं पीएम की मां के लिए सबसे बड़ा पल वो नहीं था जब वह देश के प्रधानमंत्री बने बल्कि तब था जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। जी हां, यह एक मां की ममता को बयां करने वाली कहानी है।
पीएम मोदी ने सुनाया था वो किस्सा
पीएम मोदी ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी मां के लिए बड़ा अवसर वो नहीं था जब वह पीएम बने थे बल्कि तब था जब उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कुछ साल पहले पीएम ने बताया था कि वह सीएम पद की शपथ लेने से पहले मां का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। पीएम ने कहा, ‘काफी लोग मुझसे पूछते हैं कि जब मैं पीएम बना तो मेरी मां को कैसा महसूस हुआ… उस समय मेरी तस्वीरें छप रही थीं, चारों तरफ काफी उत्साह का माहौल था। लेकिन मुझे लगता है मेरी मां के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि वो थी, जब मैं सीएम था।’
‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ सोशल मीडिया पेज पर प्रकाशित इंटरव्यू में पीएम मोदी ने बताया कि उस समय वह दिल्ली में रह रहे थे जब पता चला कि उन्हें गुजरात की टॉप पोस्ट मिलने वाली है। शपथ ग्रहण समारोह से पहले वह अहमदाबाद में अपनी मां से मिलने गए, जहां वह उनके भाई के साथ रहती थीं। जब पीएम मोदी अहमदाबाद पहुंचे तो जश्न शुरू हो चुका था। हीराबेन मोदी को पहले से पता चल चुका था कि उनका बेटा राज्य का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है।
तुम अब गुजरात लौट आओगे…
मोदी ने बताया, ‘मां ने मेरी तरफ देखा और गले से लगाकर कहा कि सबसे अच्छी बात ये है कि तुम अब गुजरात लौट आओगे। यह मां का स्नेह होता है। उसे इससे मतलब नहीं कि क्या हो रहा है। वह बच्चे को अपने करीब देखना चाहती है।’
पीएम मोदी की मां ने तब उन्हें एक मंत्री भी दिया था, जिसे उन्होंने हमेशा याद रखा। प्रधानमंत्री ने बताया, ‘… उन्होंने कहा था कि देख भाई, मुझे नहीं पता कि तुम क्या करोगे लेकिन वादा करो कि तुम कभी रिश्वत नहीं लोगे- यह पाप कभी मत करना।’ मोदी ने बताया था कि मां के उन शब्दों का काफी महत्व था। एक महिला जिसने पूरा जीवन गरीबी में बिताया और जिसके पास कभी भौतिक सुख-सुविधाएं नहीं थीं। वह मुझे रिश्वत न लेने की नसीहत दे रही थी।
मोदी ने आगे कहा था कि पहले के समय में जब कोई मेरी मां से कहता कि मुझे कोई नौकरी मिल गई है तो वह पूरे गांव में मिठाई बांट देती थीं। ऐसे में सीएम-वीएम उसके लिए कुछ मायने नहीं रखता। मोदी के पिता की चाय की दुकान थी और रेलवे स्टेशन पर वह चाय बेचा करते थे। प्रधानमंत्री के पिता दामोदरदास मोदी का 1989 में निधन हो गया था। उसके बाद हीरा बा ने पूरे परिवार को संभाला। मां के निधन के बाद आज पीएम ने लिखा, ‘मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।