गरीबी और तंगहाली भी नहीं तोड़ पाई अस्तम उरांव का हौसला, अब फीफा वर्ल्ड कप में लहराएंगी देश का परचम

झारखंड का गुमला जिला माओवादी गतिविधियों से ग्रसित रहा है। अस्तम खुद एक आदिवासी सामुदाय से आती हैं लेकिन जब वह फीफा वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की कप्तान बनी हैं तो उनका मोहल्ला गोरराटोली सुर्खियों में आ गया। अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का पहला मैच अमेरिका के साथ है।

अस्तम उरांव
अस्तम उरांव

गुमला: झारखंड के गुमला जिले में एक छोटा सा गांव है गोरराटोली। इसी गांव की एक बेटी है अस्तम उरांव, जो जब मंगलवार को अंडर-17 महिला फीफा वर्ल्ड में भारत की कप्तानी करने जा रही है। बेहद गरीब परिवार से आने वाली अस्तम तमाम तरह की चुनौतियों और मुश्किलों से लड़कर आज देश के लिए विश्व मंच पर नेतृत्व करेंगी। घर में तीन बहनों के साथ एक छोटा भाई है। घर के गुजर बसर के लिए माता-पिता के साथ बहनें भी दिहाड़ी मजदूरी करती हैं। सिर्फ इसलिए की एक ना एक दिन उनकी किस्मत जरूर बदलेगी, जिसे अस्तम ने अब एक नई उम्मीद दे ही है।

झारखंड का गुमला जिला माओवादी गतिविधियों से ग्रसित रहा है। अस्तम खुद एक आदिवासी सामुदाय से आती हैं लेकिन जब वह फीफा वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की कप्तान बनी हैं तो उनका मोहल्ला गोरराटोली सुर्खियों में आ गया। हालांकि इससे पहले सिर्फ गरीबी, भुखमरी और हिंसा के लिए ही यह क्षेत्र जाना जाता रहा है।

अंडर-19 टीम में कप्तान बनते ही अस्तम के कारण अब गोरराटोली के विकास के लिए लंबे समय से बंद दरवाजे खुल गए हैं। उनके कप्तान बनते ही गुमला जिला प्रशासन ने अस्तम के नाम पर 2 करोड़ रुपए के एक फुटबॉल स्टेडियम और उसके गांव के लिए एक पक्की सड़क की घोषणा की है। अस्तम के फीफा वर्ल्ड कप में चयन होने के बाद गुमला के उपायुक्त सुशांत गौरव उनके पिता हीरालाल उरांव और मां तारा देवी को सम्मानित करने के लिए उनके गांव भी गए थे।

बहन के सपने को पूरा करने के लिए की मजदूरी

अस्तम बेहद ही गरीब परिवार से आती है। पिता किसानी करते हैं लेकिन एक सीजन में सिर्फ एक फसल ही उगा पाने के कारण वह खाली समय में गुमला मजदूरी करने जाते हैं। घर में उनकी बड़ी बहन अंशू नेशनल लेवल की डिस्कस थ्रो एथलीट हैं। वहीं अस्तम की छोटी बहन अलका झारखंड अंडर 16 फुटबॉल टीम की प्लेयर हैं। वहीं छोटा भाई पढ़ाई कर रहे हैं।

अस्तम की बड़ी बहन अंशू कहती हैं कि पानी की सुविधा न होने के कारण उनके पिता सब्जी की खेती नहीं कर पाते हैं, इसलिए घर का खर्च पूरा करने के लिए उनके बाबा मजदूरी करने के लिए गुमला से बाहर दूसरे जिले में जाते हैं।

अंशू बताती हैं कि, ‘जब अस्तम, सुमिना व अलका खेल में तरक्की करने लगीं तो उनकी जरूरत पूरी करने के लिए मां ने महिला मंडल से दस बार छोटी-बड़ी रकम कर्ज के तौर पर ली, जिसे चुकाने के लिए मैं गांव में मजदूरी करती रही हूं।’

अमेरिका के साथ है भारत का पहला मैच

फीफा अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप में भारत का पहला मैच अमेरिका के साथ है। अमेरिकी जैसी मजबूत टीम को भारत के सामने चुनौती कड़ी देने की होगी। भारत ने मेजबान के रूप में आयु वर्ग के इस टूर्नामेंट के लिए क्वॉलिफाई किया है। भारत के अलावा मोरक्को और तंजानिया इस टूर्नामेंट में डेब्यू करने वाली टीमों में शामिल हैं। भारत के ग्रुप में अमेरिका और मोरक्को के अलावा ब्राजील जैसी मजबूत टीमें हैं।

भारत के हेड कोच थॉमस डेनरबी टीम की तैयारियों से संतुष्ट हैं और कह चुके हैं कि मेजबान टीम के खिलाफ गोल करना मुश्किल होगा। यहां के कलिंग स्टेडियम में अमेरिका के खिलाफ एक पॉइंट्स हासिल करना भी भारतीय टीम के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। दिन के अन्य मुकाबलों में मोरक्को का सामना ब्राजील से जबकि चिली का न्यूजीलैंड से होगा।