करोड़ों का घोटाला करने वाले हर्षद मेहता की कहानी, जिसे स्टॉक मार्किट का अमिताभ बच्चन कहा जाता था

”जब जेब में मनी हो, तो कुडली में सनी होने से कोई फर्क नहीं पड़ता. ये मेरी एस्ट्रोलॉजी है”

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साल 2020 ने हमारा बहुत नुकसान कर चुका है. पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है और बुरे दौर से गुज़र रही है. इस सबके बीच कलाकारों ने बेस्ट क्वॉलिटी का काम हम तक पहुंचाने का काम किया है. उनके द्वारा तैयार की गईं लुभावनी वेब-सीरीज़ और फिल्मों ने काफ़ी हद तक इंसान को मानसिक तनाव से दूर रहने में मदद की है. 

इसी कड़ी में देश में हुए घोटालों पर बनी एक वेब सीरीज़ आजकल खूब चर्चा में हैं. इनमें से कुछ घोटालेबाजों के बादशाह हर्षद मेहता पर आधारित है. विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से पहले, यह वो शख्स था, जिसने 1992 में भारतीय शेयर बाजार में लगभग 500 करोड़ का घोटाला कर पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया था.

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हर्षद मेहता के जीवन से प्राभावित दो बड़ी बेब सीरीज़ दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार हैं. इनमें पहला नाम ‘द बिग बुल’ है, जिसमें अभिषेक बच्चन, इलियाना और  सौरभ शुक्ला जैसे सितारों ने काम किया है. इसके अलावा सोनी लिव की अपकमिंग वेब सीरीज़ ‘स्कैम 1992- द हर्षद मेहता स्टोरी’ में हर्षद मेहता की कहानी दिखाई जाएगी. 

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आप ये वेब सीरीज़ देखें, इससे पहले आपका यह जानना सामयिक रहेगा कि हर्षद मेहता कौन था? उसे आज भी सबसे बड़ा घोटालेबाज और शेयर मार्केट का अमिताभ बच्चन क्यों कहा जाता है? आखिर कैसे उसने नब्बे के दशक में करीब 500 करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया था?  

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1. हर्षद मेहता ने 29 जुलाई 1954 को गुजरात के राजकोट में पड़ने वाले पनेल मोटी में अपनी आंखें खोलीं. परिवार मुंबई के कांदिवली में रहता था, इसलिए बचपन वहीं बीता. लाजपत राय कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई करने के बाद हर्षद ने करीब आठ साल कई छोटी-मोटी नौकरियां कीं. इसी दौरान उसने हरिजीवनदास नेमीदास सिक्योरिटीज ‘ब्रोक्रेज फर्म’ जॉइन की. यहीं से उसने स्टॉक मार्केट के पैंतरे सीखे.

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2.  1984 में हर्षद ने ग्रो मोर रिसर्च एंड असेट मैनेजमेंट नाम की अपनी कंपनी शुरू की. इसी के साथ हर्षद मुंबई (तब बॉम्बे) स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य बनने में कामयाब रहा. फिर देखते ही देखते वो शेयर मार्केट का बड़ा नाम बन गया. उस दौर में उसके लिए यह बात प्रचलित थी कि वो जिसमें हाथ लगाएगा, वो सोना बन जाएगा. शायद यही कारण रहा कि अस्सी का दशक ख़त्म होते-होते हर्षद की कंपनी में पैसा लगाने वालों की कतारें लग गईं.

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3. इस सबके बीच हर्षद जिस तेजी से आगे बढ़ रहे थे. उसने कई सारे सवालों को जन्म भी दिया. लोग जानना चाहते थे कि आखिर इतनी जल्दी कोई कंपनी इतनी आगे कैसे जा सकती है. फिर एक बार इस सवालों के जवाब खोजे जाने शुरू हुए तो हर्षद के कई राज दुनिया के सामने आए. टाइम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार सुचेता दलाल ने हर्षद के घोटाले का पर्दाफाश किया और बताया कि कैसे बैंकिंग सिस्टम की कमियों का हर्षद ने जमकर लाभ उठाया. 

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4. हर्षद की योजना बहुत सरल थी. वो बैंकों से शॉर्ट टर्म लोन उठाता था और उसे शेयर मार्केट में लगा देता था. उसकी कई छोटे बैंकों से जान-पहचान भी थी. इसी का फायदा लेते हुए वो जाली बैंकिंग रसीद बनवा लेता और इसके जरिए दूसरे बैंकों से पैसा लोन में ले लेता. इसके बाद शेयर बाजार में जैसे ही मुनाफा होता था, वो तुरंत बैंक को रसीद के बदले लिए पैसे लौटा देता था. फर्जीवाड़ा आराम से चल रहा था, लेकिन एक बार शेयर में गिरावट के बाद वो बैंक को सही समय पर पैसे लौटा नहीं पाया और सारी कहानी सामने आ गई.

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5. घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद हर्षद पर कई आपराधिक मामले दर्ज हुए. इनमें 70 क्रिमिनल और लगभग 600 सिविल मामले शामिल थे. हालांकि, सबूत केवल एक केस में ही मिल सके. परिणाम स्वरूप इतने बड़े स्कैम का दोषी होने के बाद भी उसे सिर्फ़ 5 साल की सजा हुई. 2001 में हर्षद जेल के बाहर आने में कामयाब रहा, मगर ईश्वर की अदालत से बच नहीं सका. दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई और उसकी कहानी इतिहास बन गई.