कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में गांधी परिवार के वफादार खड़गे की एंट्री और दूसरे वफादार दिग्विजय सिंह के बाहर होने की कहानी

जब वेणुगोपाल की तरफ से बताया गया कि एके एंटनी से भी बात हो गई है, तब मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए हामी भरते हैं.

नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे का चुनाव मैदान में आना और दिग्विजय सिंह का अंतिम मौके पर नामांकन दाखिल न करने के फैसले के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है. उतनी ही दिलचस्प है दिग्विजय सिंह के कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में आने और अध्यक्ष चुनाव में शामिल न होने की कहानी. सबसे पहले बात करते हैं कि आखिर मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम अंतिम तौर पर कैसे सामने आया और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने क्यों चुनाव न लड़ने का फैसला किया. दरअसल राजस्थान संकट के बाद अशोक गहलोत की तरफ से उम्मीदवार न बनने के फैसले ने गांधी परिवार से लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच भी एक सवाल खड़ा किया कि ऐसा कौन उम्मीदवार होगा, जो पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव में ज्यादा अनुभवी, वरिष्ठ और स्वीकार्य हो और गांधी परिवार का वफादार भी हो.

शुरुआत केरल से करते हैं, दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह केरल में राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा पर थे. अब तक राजस्थान का संकट सामने आ चुका था, लेकिन सार्वजनिक तौर पर अशोक गहलोत ने घोषणा नहीं की थी कि वह अब अध्यक्ष पद के चुनाव में नहीं उतरेंगे. लेकिन राजस्थान के सियासी संकट के बाद दिग्विजय सिंह को अपने सूत्रों से संकेत मिल गया था कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे. सूत्रों के मुताबिक नामांकन दाखिल करने के फैसले से पहले दिग्विजय सिंह ने गांधी परिवार के तीनों सदस्यों यानी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी से संपर्क साधा और पूछा कि वह चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं, इसलिए अनुमति चाहिए. गांधी परिवार के तीनों सदस्यों की तरफ से दिग्विजय सिंह को हरी झंडी मिल गई. दरअसल गांधी परिवार पहले ही साफ कर चुका था कि जो भी चुनाव मैदान में उतरना चाहे उतर सकता है.

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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने गांधी परिवार को यहां तक कह दिया था कि अगर कोई दूसरा उम्मीदवार गांधी परिवार की पसंद वाला आता है, जो अनुभवी और वरिष्ठ हो तो वह खुद नामांकन वापसी का फॉर्म भी अग्रिम तारीख में भरकर निर्वाचन अधिकारी मधुसूदन मिस्त्री के पास छोड़ जाएंगे, ताकि नामांकन वापस लेने की जरूरत पड़ी तो ले लिया जाएगा. इसके बाद दिग्विजय सिंह केरल से दिल्ली आते हैं और नामांकन फॉर्म लेते हैं. ये भी घोषणा करते हैं कि वह 30 सितंबर यानी नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन अपना नामांकन भरेंगे.

उम्मीदवारी को लेकर झिझके थे खड़गे
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख से ठीक 1 दिन पहले यानी 29 सितंबर की रात को कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल 10, राजाजी मार्ग यानी मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पहुंचते हैं और कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का अनुरोध करते हैं. संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अनुरोध पर मल्लिकार्जुन खड़गे चुनाव लड़ने को लेकर थोड़े से झिझकते हैं, लेकिन जब वेणुगोपाल की तरफ से बताया गया कि एके एंटनी से भी बात हो गई है, तब मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए हामी भरते हैं.

अगले दिन सुबह कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को जब पता चलता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे चुनाव में उतरने वाले हैं. तब सुबह 7-7:30 के बीच दिग्विजय सिंह मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन करते हैं और पूछते हैं कि क्या आप चुनाव लड़ रहे हैं और अगर आप लड़ रहे हैं तो हम भी आपका समर्थन करेंगे. मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से बताया जाता है कि चुनाव लड़ने के लिए कहा जा रहा है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह मिलने का वक्त लेकर खड़गे के आवास पर सुबह 9 से 10 के बीच पहुंचते है और मिलने के बाद जब अपने घर 64 लोधी एस्टेट वापस लौटते हैं तो ऐलान करते हैं कि वह चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे और मल्लिकार्जुन खड़गे की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे और प्रस्तावक भी बनेंगे.

एके एंटनी को सोनिया गांधी ने दिल्ली बुलाया
दरअसल राजस्थान के सियासी संकट के बाद अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने को लेकर सस्पेंस बरकरार था और इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी केरल से अपने वरिष्ठ नेता एके एंटनी को दिल्ली बुलाती है. सोनिया गांधी महत्वपूर्ण मसले पर एके एंटनी और दूसरे वरिष्ठ नेताओं से सलाह मशविरा करती हैं. गौरतलब है कि अप्रैल में राज्यसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद एके एंटनी सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और दिल्ली छोड़कर अब अपने गृह राज्य केरल में रहते हैं. सक्रिय राजनीति से अब उनका कोई वास्ता नहीं है, लेकिन सोनिया गांधी के लिए वह अभी भी खास हैं. कांग्रेस नेता एके एंटनी की सोनिया गांधी से मशविरा और गांधी परिवार के बीच चर्चा के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आया.

गौर करने वाली बात है कि गांधी परिवार ने अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने को लेकर किसी को भी प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कहा, लेकिन अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी पर गांधी परिवार की चर्चा परिवार के बीच और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जरूर हुई. भले ही कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव में गांधी परिवार ने सीधे दखल से इनकार किया है, लेकिन गांधी परिवार के लोग भी कांग्रेस नेताओ में शामिल हैं, इसलिए चर्चा स्वाभाविक है.

मध्य प्रदेश से दिल्ली पहुंचे डेलीगेट्स
ये भी बताना दिलचस्प होगा कि भले ही दिग्विजय सिंह ने नामांकन दाखिल करने से पहले ही अपना नाम वापस ले लिया, लेकिन मध्य प्रदेश के करीब 500 डेलीगेट्स में से 200 से अधिक डेलीगेट्स दिग्विजय सिंह के समर्थन में दिल्ली पहुंचे चुके थे. दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में डेलीगेट्स प्रस्तावक के तौर पर नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं और किसी भी उम्मीदवार को अपनी उम्मीदवारी के लिए 10 डेलिगेट्स का हस्ताक्षर पाना जरूरी होता है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और दिग्विजय सिंह दोनों ही गांधी परिवार और कांग्रेस के प्रति वफादार रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में एक वफादार की एंट्री और दूसरे वफादार के एंट्री न करने की कहानी कुछ ऐसे ही थी.