बेहद दिलचस्प है समोसा-आलू की कहानी, जानकर आप भी हो जाएंगे दीवाने

 एक बहुत ही फेमस गाना ‘ जब तक रहेगा समोसे में आलू’.. इस गीत की लोकप्रियता से ही अंदाज लगाया जा सकता है कि हमारे देश में समोसे की क्‍या अहमियत है. जी हां, गर्मागर्म समोसे खाने का बहाना लोगों के पास जब पूछिए, मिल ही जाएगा. कभी मौसम का बहाना तो कभी काम से ब्रेक लेने का, कभी स्‍ट्रेस दूर करने के लिए तो कभी दोस्‍तों को ट्रीट देने के लिए. यही नहीं कई बारतो भारत-पाकिस्‍तान के मैच के बीच दांव भी लोग समोसों पर लगाते हैं. अगर आप भी समोसा के फैन हैं तो चलिए आपके जायके को और भी बढ़ाने के लिए हम इससे जुड़ी कई मजेदार बातें बताते हैं.

समोसे से जुड़ी कुछ मजेदार बातें

देसी नहीं है हमारा समोसा

जी हां, जिसे आप अपना समोसा मानते हैं दरअसल इसका कनेक्‍शन मिडिल ईस्‍ट देशों से जुड़ा है. न्‍यूज 18 के मुताबिक, इसे भारत लाने वाले वो अरबी व्यापारी थे, जो मध्यपूर्व से व्यापार के लिए मध्य एशिया और भारत आते थे. समोसा मिश्र, लिबिया, सेंट्रल एशिया से होता हुआ भारत पहुंचा.

वेजिटेरियन नहीं था कभी समोसा

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मोरक्‍कन ट्रैवलर इबनबतूता ने बताया था कि उस जमाने में कीमा, बदाम, पिस्‍ता, प्‍याज, मसाले आदि को गेहूं से तैयार आटे के चपटे चीज में लपेट कर फ्राई कर खाया जाता था.

समोसे के हैं कई नाम

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समोसा और सिंघाड़ा नाम से हम सभी वाकिफ हैं, लेकिन आपको बता दें कि इसे कई नाम से जाना जाता है. इसे संसा, सोमसा, समोसा, सोमसी, समोसा, समोसाक, सम्बुसा, सिंगदा, समूजा और सोम नाम से भी जाना जाता है.

समोसे का पिरामिड से है संबंध

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क्या आप जानते हैं कि साधारण समोसे का आकार पिरामिड जैसा क्‍यों होता है? मध्य एशिया में पिरामिडों के नाम पर इसका नाम ‘संसा’ रखा गया, जो बाद में भारत आकर समोसा या अन्‍य नाम से जाना गया.

ये है समोसे-आलू की कहानी

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जब पुर्तगाली 16वीं सदी के आसपास आलू लेकर हमारे देश पहुंचे तो भारत में आलू की खेती बढ़ी. तब से समोसे में आलू का इस्‍तेमाल शुरू हुआ. हरी धनिया, मिर्च और मसालों के साथ इसे बनाया गया तो दुनियाभर में सबसे अधिक लोकप्रिय हुआ.