What was Cuba Missile Crisis : क्यूबा, एक छोटा सा द्वीपीय कम्युनिस्ट देश जिसकी अमेरिका के साथ पुरानी अदावत रही है। क्यूबा अमेरिका का पड़ोसी देश है। सोवियत संघ ने इस भौगोलिक निकटता और वैचारिक दूरी का इस्तेमाल 1962 में अपने फायदे के लिए किया था।
हवाना/वॉशिंगटन : यूरोप में एक युद्ध चल रहा है जिसे सात महीने से अधिक समय हो गया है। इस जंग में कभी रूस का पलड़ा भारी होता है तो कभी यूक्रेन का। इस लड़ाई ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। आज दुनिया पर एक परमाणु जंग का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि इस खतरे को पुख्ता करने वाले कोई ठोस सबूत तो हमारे पास नहीं हैं लेकिन अलग-अलग मंचों से जो धमकियां आ रही हैं, वे इसकी तसदीक करती हैं। परमाणु जंग का ऐसा ही खतरा 1962 में पैदा हो गया था जिससे अमेरिका जैसे सुपरपावर की सांस भी अधर में अटक गई थी। शुक्रवार को बाइडन ने भी यह स्वीकार किया कि मौजूदा समय में परमाणु तबाही का खतरा 1962 के बाद से अपने चरम पर है। आखिर क्या हुआ था 1962 में जिसे याद करके आज भी अमेरिका कांप उठता है?
आज से 60 साल पहले दुनिया परमाणु युद्ध की कगार पर पहुंच गई थी और इसी संकट को ‘क्यूबा मिसाइल संकट’ के नाम से जाना जाता है जिसका हाल ही में बाइडन ने अपने भाषण में जिक्र किया। क्यूबा मिसाइल संकट की शुरुआत 1962 में हुई थी। 14 अक्टूबर को जब एक अमेरिकी टोही विमान ने देखा कि सिर्फ कुछ किलोमीटर की दूरी पर क्यूबा में सोवियत संघ ने परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी हैं तब उसे इस खतरे की गंभीरता का अंदाजा लगा। जिसके बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति को सोवियत संघ के पास बातचीत के लिए प्रस्ताव भेजना पड़ा।
रूस ने अमेरिका से लिया था बदला
क्यूबा, एक छोटा सा द्वीपीय कम्युनिस्ट देश जिसकी अमेरिका के साथ पुरानी अदावत रही है। क्यूबा अमेरिका का पड़ोसी देश है। सोवियत संघ ने इस भौगोलिक निकटता और वैचारिक दूरी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया। साल 1962 में शीत युद्ध अपने चरम पर था। रूस ने अमेरिका की नाक के नीचे क्यूबा में अपने परमाणु हथियारों को तैनात करना शुरू कर दिया था। लेकिन यह रूस की एकतरफा या उकसावे वाली कार्रवाई नहीं थी। अमेरिका ने 1958 में ब्रिटेन में और 1961 में तुर्की और इटली में 100 से ज्यादा परमाणु मिसाइलों को तैनात किया था।
मिसाइलों के जखीरे को देखकर उड़े होश
रूस ने क्यूबा में अपनी मिसाइलें अमेरिका की तरफ मोड़कर उसका बदला लिया। ये मिसाइलें जहां तैनात थीं वहां से अमेरिका का फ्लोरिडा तट सिर्फ 150 किमी दूर था। शीत युद्ध में क्यूबा मिसाइल संकट एक बेहद तनावपूर्ण घटना थी जब किसी भी पल भयानक तबाही का बटन दब सकता था, लेकिन यह विनाश टल गया। 14 अक्टूबर को अमेरिका के एक जासूसी विमान ने क्यूबा की 928 तस्वीरें खींची जिसमें क्यूबा में रूसी मिसाइलों के जखीरे को देखकर अमेरिका के होश उड़ गए।
आखिरकार टल गई तबाही
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने आनन-फानन में क्यूबा की नौसैनिक नाकाबंदी शुरू कर दी। इसका मकसद सिर्फ क्यूबा पहुंचने वाली रूसी मिसाइलों का रास्ता रोकना और सोवियत संघ को बातचीत की मेज पर लाना था। 28 अक्टूबर को कैनेडी की ओर से सोवियत संघ को संदेश भेजने के बाद संकट टल गया। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव क्यूबा से मिसाइलें हटाने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने अमेरिका के सामने दो शर्तें रखीं, पहली- वह क्यूबा पर हमला नहीं करेगा और दूसरी- अमेरिका तुर्की में तैनात अपनी मिसाइलों को हटा लेगा।