पाकिस्‍तान का वह चापलूस सेना प्रमुख जो कभी पीएम के बूट पॉलिश करता तो कभी जूते पर गिरी चाय साफ करता

नवंबर में पाकिस्‍तान (Pakistan) को नया सेना प्रमुख मिलेगा। पाकिस्‍तान की सेना (Pakistan Army) और इसका मुखिया हमेशा ही खबरों में रहता है। नया आर्मी चीफ कौन होगा, इस बारे में तो वक्‍त ही बताएगा लेकिन इतना तो तय है कि वह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का फेवरिट होगा। आज हम आपको एक ऐसे पाकिस्‍तान आर्मी चीफ के बारे में बताते हैं जो चापलूसी में सबका उस्‍ताद था।

 

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इस्‍लामाबाद: जनरल कमर जावेद बाजवा के बाद पाकिस्‍तान आर्मी का अगला चीफ कौन होगा, यह तो समय बताएगा लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को लोगों ने आगाह करना शुरू कर दिया है। शहबाज को लोग वॉर्निंग दे रहे हैं कि फेवरिट शख्‍स की जगह किसी समझदार इंसान के हाथों सेना की कमान सौंपें। पाकिस्‍तान का इतिहास बताता है कि जब कभी भी प्रधानमंत्री ने अपना पसंदीदा जनरल चुना, उसको हमेशा सत्‍ता से बेदखल होना पड़ा। लेकिन इससे अलग हम आज आपको एक ऐसे पाकिस्‍तानी जनरल की कहानी बताते हैं जो चापलूसी में इतना आगे निकल गया था कि प्रधानमंत्री के जूते तक पॉलिश करने से पीछे नहीं हटता था। यह जनरल था, जनरल जिया उल-हक जो आगे चलकर पाकिस्‍तान का तानाशाह भी बना।
खुद जूते करने लगे पॉलिश
जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार में वित्‍त मंत्री रहे डॉक्‍टर मुबाशिर हसन ने एक इंटरव्‍यू में बताया था कि जनरल जिया उल-हक किस दर्जे के चापलूस थे। साल 2020 में डॉक्‍टर हसन की मृत्‍यु हो गई थी। डॉक्‍टर हसन ने इस इंटरव्‍यू में बताया था कि भुट्टो का एक पर्सनल नौकर था जिसका नाम था मुरा मुगल। एक दिन जब जिया उल हक, भुट्टो के घर पहुंचे तो उन्‍होंने देखा कि मुरा भुट्टो के जूते साफ कर रहा था। जिया उल-हक आर्मी की यूनिफॉर्म पहने थे और सीधा मुगल के पास पहुंच गए।

उन्‍होंने भुट्टो का जूता पकड़ा और ब्रश से उसको पॉलिश करने लगे। नाराज भुट्टो ने जिया-उल-हक से कहा, ‘यह क्‍या कर रहे हो, जूते छोड़ दो।’ जिया उल हक ने उनकी नहीं सुनी और जूते पॉलिश करते रहे। इसके बाद जब भुट्टो और नाराज हुए तो जिया उल हक ने मुस्‍कुराते हुए कहा, ‘कल मैंने आपके जूते देखे थे जिनकी चमक कम थी। मैं एक सैनिक हूं और मुझे मालूम है कि जूतों में चमक कैसे लाई जाती है।’ जिस समय यह घटना हुई डॉक्‍टर मुबाशिर वहीं मौजूद थे। भुट्टो ने उन्‍हें बुलाया और पूछा कि उनका मूड क्‍यों खराब है? इस पर मुबाशिर ने उनसे कहा कि एक दिन भुट्टो उन्‍हें धोखा देंगे।

रुमाल से साफ किया जूता
एक और किस्‍सा जो काफी मशहूर है, वह कुछ इस तरह से है। एक मीटिंग से जब भुट्टो ने ब्रेक लिया और चाय पीने लगे तो चाय की कुछ बूंदें उनके जूतों पर गिर गईं। इस पर जनरल जिया ने अपनी जेब से रूमाल निकाला और उनके जूते साफ करने लगे। कहा जाता है कि जब भुट्टो ने जनरल जिया को आर्मी चीफ बनाया तो उन्‍होंने कुरान की एक कॉपी मंगवाई। इस पर हाथ रखकर उन्‍होंने कसम खाई कि वह हमेशा पीएम के लिए वफादार रहेंगे।

कराची के एक इंटीरियर डेकोरेटर ने बताया था कि सन् 1970 में उन्‍हें भुट्टो के घर खुदा बख्‍श को डेकोरेट करने के लिए कहा गया था। जनरल जिया अक्‍सर यहां आते थे। एक शाम वह भुट्टो के पिता शहनवाज भुट्टो की कब्र पर फातिहा पढ़ने के लिए गए और थोड़ी देर बाद जनरल जिया भी वहां पहुंच गए। कुछ मिनट के बाद वह कब्र पर झाड़ू लगाने लगे। जब उनसे पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि भुट्टो के पिता उनके भी पिता समान थे। कब्र पर झाड़ू लगाना उनके लिए सम्‍मान की बात है।

चापलूस जिया बने जनरल
एक मार्च 1976 को जनरल जिया-उल-हक को सेना प्रमुख के तौर पर चुना गया। जनरल जिया एक थ्री स्‍टार जनरल थे। उनके नाम का ऐलान होते ही वह फोर स्‍टार रैंक पर आ गए। इस नाम को लेकर कई लोगों ने नाराजगी जताई थी। मगर कहते हैं कि भुट्टो ने काबिलियत के आगे चापलूसी को चुन लिया था। पांच जुलाई 1977 को देश में तख्‍तापलट हो गया। भुट्टो के पसंदीदा आर्मी चीफ जनरल जिया-उल-हक ने उन्‍हें सत्‍ता से बेदखल कर दिया था।

जनरल जिया ने भुट्टो को गिरफ्तार करके जेल में डलवा दिया था। इसके बाद 18 दिसंबर 1978 को भुट्टो को हत्‍या का दोषी करार दिया गया। चार अप्रैल 1979 को भुट्टो को रावलपिंडी की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। आज भी पाकिस्‍तान के राजनीतिक कहते हैं कि भुट्टो ने अपनी एक गलती की सजा भुगती थी।