पौराणिक भव्यता बरकरार रखने के लिए नई एडवाइजरी, जल्द जारी होंगे दिशानिर्देश, छोटे मंदिरों के लिए अपनाना जरूरी
शिमला
देवभूमि में देवी-देवताओं के प्रति लोगों की असीम आस्था है। इस आस्था को बरकरार रखते हुए हिमाचल के गांवों में हजारों की संख्या में मंदिर बनाए गए हैं। देवी-देवताओं के यह मंदिर विशेष पहचान रखते हैं। कई बड़े मंदिर सरकार के अधीन हैं मगर ग्रामीण क्षेत्रों में मंदिरों का संचालन स्थानीय लोग खुद करते हैं। कई ऐसे मंदिर हैं जिनके लिए सरकार आर्थिक रूप से लोगों की मदद भी करती है। ऐसे में सभी मंदिरों खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों के लिए सरकार के भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग ने एक एडवाइजरी तैयार की है, जिसे जल्द जारी किया जा रहा है। इस एडवाइजरी के माध्यम से लोगों को भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग कई तरह की सलाह देने जा रहा है, जिसमें साफ कहा गया है कि मंदिरों के स्ट्रक्चर से छेड़छाड़ न की जाए।
मंदिरों के जीर्णोद्धार के नाम पर लोग इसके पारंपरिक स्ट्रक्चर से छेड़छाड़ कर रहे हैं। यानी जो मंदिर लकड़ी के बने हैं और काष्ठकुणी शैली में तैयार किए गए थे उनमें अब कई स्थानों पर बदलाव किया जा रहा है, जिससे मंदिर की पुरानी भव्यता समाप्त हो रही है। अब वहां पर पुराने चक्कों के स्थान पर छतें डाली जा रही हैं या लेंटल डाला जा रहा है। पुराने मंदिरों में छत के लिए चक्के लगाए जाते थे, जिससे वह स्ट्रक्चर बेहद सुंदर दिखाई देता है।
सूत्रों के अनुसार विभाग की एक बैठक पिछले दिनों में हुई जिसमें भी इस बात का जिक्र सामने आया वहीं खुद मुख्यमंंत्री जयराम ठाकुर भी चाहते हैं कि मंदिरों की पौराणिक भव्यता और पुराने ढांचे को संजोकर रखा जाए जिसमें छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। वैसे ग्रामीण क्षेत्रों में मंदिर लोगों द्वारा खुद तैयार करवाए गए हैं जो खुद ही इनका जीर्णोद्धार भी करते हैं। इनपर सरकार की किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं हो सकती मगर फिर भी एक सलाह जरूर दी जा सकती है और वही सलाह एडवाइजरी के रूप में भाषा संस्कृति महकमा दे रहा है।
बड़े मंदिरों में नहीं हो सकती छेड़छाड़
बड़े मंदिरों में इस तरह की छेड़छाड़ नहीं हो सकती क्योंकि खुद विभाग उनकी देखरेख करता है। गांव के मंदिरों को सुंदर बनाए रखने के लिए फिलहाल इस तरह की एडवाइजरी जल्द जारी की जाएगी। प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है क्योंकि लोग यहां देवी-देवताओं में आस्था रखते हुए दूर-दराज तक उनके दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। बड़ी संख्या में टूरिस्ट ग्रामीण परिवेश में मंदिरों के दर्शनों के लिए आते हैं इसलिए मंदिरों की भव्यता को बरकरार रखना जरूरी है।