#जांच में फंसा मरीजों की मौत का सच, पीजीआई मौन*

जांच में फंसा मरीजों की मौत का सच, पीजीआई मौन*

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चंडीगढ़। पीजीआई में बेहोशी की दवा प्रोपोफोल से हुई मरीजों की मौत के मामले में सच अब तक सामने नहीं आया है। हाल यह है कि पीजीआई की क्लीनिकल कमेटी द्वारा 35 दिन बाद सौंपी गई रिपोर्ट को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। बार-बार पूछे जाने पर भी पीजीआई प्रशासन मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। रिपोर्ट आने के पांच दिन बाद भी मामले पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।पीजीआई में 24 से 27 अगस्त के बीच न्यूरोसर्जरी के पांच मरीजों की सर्जरी के बाद मौत का मामला सामने आया था। मरीजों की मौत के पीछे सर्जरी से पहले उन्हें दी गई बेहोशी की दवा प्रोपोफोल का दुष्प्रभाव बताया जा रहा है। मामले की जांच के लिए पीजीआई निदेशक ने जांच कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने एक महीने गुजरने के बाद अपनी रिपोर्ट पीजीआई निदेशक को सौंप दी है लेकिन मामला अब तक संदिग्ध बना हुआ है क्योंकि अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

गौरतलब है कि उस दौरान मौत की बात सामने आने पर ड्रग इंस्पेक्टर ने पीजीआई से निक्सी और नियॉन कंपनी के एक-एक दवा के नमूने जांच के लिए लिए थे। जांच में दोनों नमूने फेल पाए गए। स्थिति इसलिए भी बेहद गंभीर है क्योंकि निक्सी लैब का तो पीजीआई के साथ दवाओं की आपूर्ति के लिए अनुबंध भी है। ऐसे में जांच रिपोर्ट का खुलासा होना और भी जरूरी हो जाता है।
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स्वास्थ्य विभाग को भी रिपोर्ट का इंतजार
वहीं दूसरी तरफ मामले में यूटी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को भी रिपोर्ट का ही इंतजार है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट जाने बिना मामले में अगली कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि जब तक दवाओं के दुष्प्रभाव से मौत की पुष्टि नहीं होती तब तक कोई भी कार्रवाई के दायरे में नहीं आ सकता।