अल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ जिस ट्विटर अकाउंट की शिकायत पर मुक़दमे दर्ज हुए और फिर दिल्ली पुलिस ने सोमवार को गिरफ़्तार किया, वह अकाउंट बुधवार की शाम अचानक से ग़ायब हो गया.
मतलब अब यह ट्विटर अकाउंट अब अस्तित्व में नहीं है. मोहम्मद ज़ुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने इस ट्विटर अकाउंट को लेकर शक ज़ाहिर किया था. ग्रोवर ने इस ट्विटर अकाउंट को चलाने वाले व्यक्ति की मंशा पर सवाल उठाए थे.
वृंदा ग्रोवर ने यह बात दिल्ली की एक अदालत में मोहम्मद ज़ुबैर की पुलिस कस्टडी बढ़ाने के ख़िलाफ़ दलील देते हुए कही थी. उसके एक दिन बाद यह ट्विटर अकाउंट बंद हुआ है.
यह ट्विटर अकाउंट @balajikijaiin हैंडल से चलाया जा रहा था और इसका नाम ‘हनुमान भक्त’ था. इसे 2021 में बनाया गया था लेकिन पहला ट्वीट इस साल 19 जून को किया गया था. 19 जून के ट्वीट के आधार पर ही दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल यूनिट ने मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ 20 जून को मुक़दमा दर्ज किया था.
वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट में सवाल उठाते हुए मंगलवार को कहा था कि पुलिस कैसे जादुई तरीक़े से इस ख़ास ट्वीट के आधार पर मोहम्मद ज़ुबैर के चार साल पुराने ट्वीट के लिए गिरफ़्तार कर सकती है.
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फ़िल्म की तस्वीर
मोहम्मद ज़ुबैर ने मार्च 2018 में सेंट्रल बोर्ड फ़िल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफ़सी) से हरी झंडी मिली 1983 की फ़िल्म ‘किसी से ना कहना’ की एक तस्वीर पोस्ट की थी. इसमें दिखाया गया है कि हनीमून होटल का नाम बदलकर हनुमान होटल कर दिया गया है.
ज़ुबैर ने इसी तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा था, ”2014 से पहले हनीमून होटल, 2014 के बाद हनुमान होटल. 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे. कहा जा रहा है कि मोहम्मद ज़ुबैर ने इस तस्वीर को ज़रिए पीएम मोदी पर तंज़ किया था.
पुलिस का कहना है कि मोहम्मद ज़ुबैर ने तस्वीर को एडिट किया था लेकिन वृंदा ग्रोवर ने कहा है कि तस्वीर फ़िल्म से ली गई है और इसके साथ किसी भी तरह से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है.
वृंदा ग्रोवर ने अदालत में हनुमान भक्त नाम के ट्विटर अकाउंट को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए थे. अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने ग्रोवर की दलील को प्रकाशित किया है. ग्रोवर ने ‘हनुमान भक्त’ ट्विटर अकाउंट की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2018 के ट्वीट को इस साल रीट्वीट किया गया. उन्होंने कहा, ”अगर एक गुमनाम ट्विटर हैंडल चार साल बाद शरारत करने का फ़ैसला करता है तो मुझे लगता है कि उसके पीछे की वजहों की जाँच करनी चाहिए.”
कोर्ट में पुलिस ने अतिरिक्त पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के ज़रिए ग्रोवर की दलील का जवाब देते हुए कहा, ”यह कोई गुमनाम ट्विटर अकाउंट नहीं है. इसकी पूरी जानकारी है. कोई भी बिना पूरी जानकारी दिए ट्विटर अकाउंट नहीं बना सकता है.”
हनुमान भक्त ट्विटर अकाउंट से पहली पोस्ट के अलावा दो और ट्वीट किए गए थे. एक ट्वीट 27 जून को किया गया, जिसमें लोगों से फॉलो करने के लिए कहा गया था और दूसरा 28 जून को ट्वीट किया गया, जिसमें अल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई थी.
ये दोनों ट्वीट अकाउंट डिलीट करने से पहले किए गए थे. हालिया ट्वीट में प्रतीक सिन्हा के ख़िलाफ़ 2015 के एक ट्वीट को लेकर दिल्ली पुलिस से कार्रवाई की मांग की गई थी. इसमें भी कहा गया था कि सिन्हा ने हिन्दुओं की धार्मिक स्वतंत्रता का खुलेआम उल्लंघन किया है.
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मोहम्मद ज़ुबैर के वित्तीय लेन-देन की जांच
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ड्रामा क्वीन
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दिल्ली पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने द हिन्दू से कहा है कि हनुमान भक्त ट्विटर अकाउंट की गतिविधियों की जाँच नहीं की जाएगी. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने बुधवार को कई बैंकों से फैक्ट चेक वेबसाइट अल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के वित्तीय लेन-देन की जानकारी मांगी है. मोहम्मद ज़ुबैर अभी पुलिस कस्टडी में हैं.
एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा, ”अभी हमलोग अल्ट न्यूज़ को मिलने वाले चंदा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमारे पास सबूत है कि पिछले तीन महीनों में एक अकाउंट से 50 लाख रुपए मिले हैं. हम कई बैंकों के डिटेल देख रहे हैं.” पुलिस अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ”हमारी टीम ज़ुबैर को बेंगलुरु लेकर जाएगी और वहाँ कई डिवाइसों की जाँच की जाएगी.”
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने हनुमान भक्त ट्विटर अकाउंट डिलीट किए जाने पर लिखा है, ”@balajikijaiin बीजेपी आईटी सेल का फ़र्ज़ी अकाउंट था और इसी के आधार पर मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई. अब यह अकाउंट डिलीट कर दिया गया है.”
मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी विरोध किया है. मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रवक्ता ने कहा था कि दुनिया भर में किसी भी पत्रकार को उसकी लेखनी के लिए गिरफ़्तार नहीं करना चाहिए.
हाल ही में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की प़ैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के कारण भारत को राजनयिक स्तर पर निपटना पड़ा था. कई इस्लामिक देशों ने भारत को लेकर बयान जारी किया था और कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. क़तर ने तो भारत से माफ़ी की मांग की थी. बाद में भारतीय जनता पार्टी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था.
दरअसल, नूपुर शर्मा के मामले को मोहम्मद ज़ुबैर ने ही ज़ोर-शोर से उठाया था. बाद में यह मामला सरहद पार कर इस्लामिक देशों में भी मुद्दा बन गया था और फिर एक-एक कर इस्लामिक देशों ने भारत के ख़िलाफ़ बयान जारी किया था. अब मोहम्मद ज़ुबैर को भी धार्मिक भावना आहत करने के मामले में गिरफ़्तार किया गया है.