इंस्टेंट रामेन नूडल्स (Instant Ramen Noodles) हर हॉस्टलर का सहारा है था और रहेगा. हॉस्टल के दिनों में रात के 2 बजे वाली भूख इसी ने मिटाई है. महीने के आख़िरी हफ़्ते (Month End) में जब खिचड़ी खाने के दिन आ जाते हैं, तो सस्ते में टेस्ट बदलने का सबसे अच्छा उपाय है इंस्टेट नूडल्स. ग़ौरतलब है कि भारत में इंस्टेंट नूडल्स का मतलब मैगी (Maggi) हो चुका है. मैगी सुप्रिमेसी यहां दशकों से चली आ रही है, लेकिन एक तबका आज भी इंस्टेंट रामेन नूडल्स का फ़ैन है.
जैसा की नाम से ही पता चल रहा है इंस्टेंट रामेन नूडल्स चुटकियों में तैयार हो जाते हैं. इसे कहीं भी, कभी भी और आसानी से खाया जा सकता है. घर से दूर रह रहे बैचलर्स की भूख का रामबाण उपाय है, इंस्टेंट नूडल्स. न न हेल्थ वेल्थ पर बात नहीं करते हैं. लगभग हर बैचलर और हॉस्टलर के कमरे में कुछ मिले न मिले इंस्टेंट नूडल्स के कप या पैकेट्स ज़रूर मिल जाएंगे, गारंटी है.
कहां से आया इंस्टेंट रामेन नूडल्स?
ये सवाल अगर कौन बनेगा करोड़पति? (Kaun Banega Crorepati) में पूछा जाए और जवाब न पता हो तो तुक्का लगाकर भी सबसे पहले एक ही नाम मन में आयेगा- जापान(Japan). Vox के एक लेख के अनुसार, 2000 में एक पोल किया गया. सवाल था 20वीं सदी में जापान का टॉप आविष्कार क्या था, ज़्यादातार जापानियों का जवाब था- इंस्टेंट रामेन नूडल्स.
एक रिपोर्ट की मानें तो औसतन हर साल 100 बिलियन कटोरी इंस्टेंट रामेन नूडल्स खाये जाते हैं.
एशिया से निकला, अब पूरी दुनिया खाती है
मॉर्डन एशियन खाने में गेमचेंजर (Gamechanger) बनकर उभरा रामेन. बीतते सालों में इसमें कई तरह के परिवर्तन किए गए और अभी भी किए जा रहे हैं. एशिया से निकलकर रामेन अब दुनियाभर में पसंद किया जाता है, हर किसी के रोज़ाना खाने का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है.
किसने बनाया रामेन इंस्टेंट नूडल्स?
48 वर्षीय मोमफ़ुकु एंडो (Momofuku Ando) ने 1958 में रामेन इंस्टेंट नूडल्स का आविष्कार किया. एंडो, जापान की निसिन कंपनी (Nissin Company) के संस्थापक थे. एंडो ने नूडल का पूरा मैनुफ़ेक्चरिंग प्रोसेस- स्टिमिंग, सिज़निंग, तेल के ताप में नूडल की डिहायड्रेटिंग (इस प्रक्रिया को अब फ़्लैश फ़्राइंग कहते हैं), सब ख़ुद किया.
एंडो के आविष्कार की शेल्फ़ लाइफ़ फ़्रोज़न नूडल से ज़्यादा थी. गर्म पानी में 2 मिनट उबालो और खा लो. ग़ौरतलब है इसकी क़ीमत फ़्रेश नूडल्स से ज़्यादा थी.
एंडो की आत्मकथा के अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के बाद सर्दी कि एक रात को उन्होंने ओसाका (Osaka) एक अनलाइसेंस्ड फ़ूड स्टॉल पर रामेन बिकते देखा. गरम-गरम रामेन खाते लोगों के चेहरे पर उन्हें एक अलग ख़ुशी नज़र आई. एंडो को भूखों की इस लाइन में रामेन की बड़ी डिमांड नज़र आई. रामेन की यही छवि उनके दिमाग़ में हमेशा के लिए बस गई.
एंडो ने ये समझ लिया कि एक कटोरी रामेन के लिए लोग आराम से इंतज़ार कर रहे थे. उन्होंने निर्णय लिया कि रामेन अनफ़्लेवर्ड नूडल नहीं होगा, वो स्वादिष्ट, किफ़ायती और आसानी से पकने वाला नूडल बनाने पर ज़ोर देने लगे. मसला था नूडल को स्वादिष्ट बनाना.
एंडो ने सेकेंड हैंड नूडल मेकिंग मशीन और एक बड़ी कढ़ाई ली. एक वॉटरिंग कैन से उन्होंने नूडल में सूप डाला, उन्हें हाथ से गूंथा और सूखने के लिए छोड़ दिया. इससे नूडल के बाहरी हिस्से ने सूप को सोख लिया. इसके बाद उन्होंने नूडल को फिर से सूखाया ताकी गरम पानी डालते ही ये खाने के लिए तैयार हो जाएं
द्वितीय विश्व युद्ध और रामेन नूडल
द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म हो चुका था और जापान में लोग भूखे मर रहे थे. SCMP के एक लेख की मानें तो 1953 और 1954 के दौरान अमेरिका में गेहूं का काफ़ी उत्पाद काफ़ी ज़्यादा हुआ. अमेरिका ने ये गेहूं मदद के तौर पर जापान, कोरिया और ताइवान भेजा ताकी लोग इस गेहूं से ब्रेड बना सकें.
जापान सरकार ने देशवासियों को ब्रेड बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. स्वास्थ्य मंत्रालय में काम कर रहे कुनीदारो एरिमोटो (Kundiaro Arimoto) से एंडो की मुलाकात हुई और एंडो ने कह दिया, “ब्रेड के साथ टॉपिंग्स या साइड डिशेज़ चाहिए. लेकिन जापानी सिर्फ़ चाय के साथ ब्रेड का सेवन कर रहे हैं. ये उनके न्युट्रिशन बैलेंस के लिए सही नहीं है. पूर्व में नूडल खाने का चलन है. हम नूडल को प्रमोट क्यों नहीं करते, इसे जापानी पहले से ही पसंद करते हैं.” कुनीदारो ने इसके जवाब में एंडो से ही इसका सॉल्यूशन ढूंढने को कहा. और एंडो ने इंस्टेंट रामेन नूडल के रूप में हल निकाल लिया.
1970 दशक में दुनिया को मिला कप नूडल
1950 के दशक में एंडो ने रामेन इंस्टेंट नूडल बनाकर जापानियों की भूख का इलाज कर दिया. इसे खाने के लिए कटोरी और चॉपस्टिक्स जापान में हर घर, दुकान, स्टॉल पर मिल जाते हैं. ग़ौरतलब है कि हर देश में ऐसा नहीं था, ख़ासतौर पर पश्चिम देशों में. एंडो ने एक बार एक अमेरिकी सुपरमार्केट मैनेजर को नूडल को तोड़कर कॉफ़ी मग में डालकर खाते देखा. इसके बाद निसिन ने कप नूडल का विकास किया और पैकेजिंग का पैटेंट भी करवा लिया, ये साल था 1971. सबसे पहले ये कप कागज़ के बनते थे, इसके बाद Polystyrene Foam का इस्तेमाल किया गया.
निसिन अब कप नूडल्स के लिए बायोप्लास्टिक मटैरियल का इस्तेमाल करता है.
मोमोफ़ुकू एंडो की 2007 में मौत हो गई लेकिन उनकी लेगेसी और उनका दिया रामेन सदा के अमर हो गया.