बिहार के फरार IPS आदित्य और उसके सबसे खास रहे सब इंस्पेक्टर संजय की वो शातिराना कहानी, जो आपको हैरान कर देगी

बिहार के गया में पदस्थापित रह चुके एसएसपी आदित्य कुमार की कहानी पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बन गई है। कभी खुद को क्लीन चिट देने के लिए अभिषेक अग्रवाल जैसे शातिर का सहारा लेने वाले आदित्य की कहानी में कई खतरनाक मोड़ हैं। आदित्य कुमार के कारनामों ने पुलिस विभाग की किरकिरी कराई। अब हम आपके सामने ला रहे हैं आदित्य के राइट हैंड कहे जाने वाले उस सब-इंस्पेक्टर की कहानी, जो फिलहाल फरार है।

पटना : गया के तत्कालीन SSP से एक व्यक्ति खास करीब रहा। कुल मिलाकर वो आदित्य कुमार का राइट हैंड रहा। वो जहां भी जाता, पूरी ठसक में रहता। वो कहता कि जबतक आदित्य हैं, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। वो नाम है, संजय कुमार का। सब इंस्पेक्टर संजय कुमार। 2009 बैच का सब इंस्पेक्टर। अकड़ ऐसी कि खुद को आईपीएस से कम नहीं समझता। संजय कुमार और आईपीएस आदित्य कुमार के सांठगांठ की कहानी तब शुरू होती है, जब आदित्य कुमार जहानाबाद के एसपी होते हैं। संजय कुमार उस वक्त जहानाबाद के किसी थाने में कार्यरत होता है।
शातिर थानेदार की कहानी
गया और जहानाबाद के स्थानीय पत्रकार दबी जबान में नाम नहीं छापने की शर्त इन दोनों के कनेक्शन की कहानी बताते हैं। जानकारी के मुताबिक जहानाबाद के बाद जब आदित्य का तबादला गया हुआ। वे एसएसपी बने। उसी वक्त संजय कुमार का तबादला गया के फतेहपुर थाने में हुआ। सूत्रों की मानें, तो दोनों के बीच तगड़ा रिश्ता बना। संजय कुमार फतेहपुर थाने का थानेदार बन गया। अकड़ में रहना और अपने मातहतों के बीच शेखी बघारना उसकी दिनचर्या थी। वो साफ कहता था कि एसएसपी उनके आदमी हैं, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
शराब माफिया से सांठगांठ
संजय कुमार की वजह से आदित्य कुमार अपने वरिष्ठों से भिड़ गये थे। मामला वहीं शराब कारोबारी से संबंध का था। आदित्य को संजय कुमार के काले कारनामे पता थे, लेकिन कार्रवाई शून्य रही। शराबबंदी कानून में कोताही कर, जहां बाकी गया के थानेदार नप जाते थे। वहीं, संजय कुमार का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा था। संजय कुमार पर कार्रवाई करने की जगह आदित्य उसे महज चेतावनी देकर छोड़ देते थे। आईपीएस आदित्य और संजय कुमार के संबंधों में चल रहे इस गोरखधंधे का खुलासा तब हुआ, जब शराब की बरामदगी हुई। 8 मार्च 2021 को बोरे में बंधा हुआ अंग्रेजी शराब बरामद हुआ। उसके बाद 26 मार्च को सेंट्रो कार में रखी हुई डेढ़ सौ लीटर की शराब की खेप फतेहपुर थाना इलाके में पकड़ी गई।

क्रिमिनल की मदद करता था संजय कुमार
इस मामले में खेल करने के उद्देश्य से संजय कुमार ने सिर्फ सनहा दर्ज किया। शराब को जब्त नहीं दिखाया। थानेदार संजय कुमार ने मामले में प्राथमिकी नहीं दर्ज की। इस मामले में कोताही को लेकर संजय कुमार पर एफआईआर दर्ज हुआ। उसके बाद 2021 में ही फतेहपुर थाने में एक साइबर फ्रॉड केस हुआ। जिसमें फतेहपुर के धनेटा इलाके से दो भाईयों को पकड़ा गया। जिनके पास से एटीएम कार्ड और मोबाइल बरामद हुए। थानेदार संजय कुमार ने इस मामले को भी रफा-दफा करने की कोशिश की। सिर्फ सनहा दर्ज किया और मामले में जब्ती नहीं दिखाते हुए, केस को कमजोर कर दिया।
आदित्य कुमार का करीबी थानेदार
उसके बाद फतेहपुर थाने में एक अपराधी ने पिस्तौल के लिए आवेदन दिया। थानेदार संजय कुमार ने बिना किसी जांच के लिखकर दे दिया कि रवि कुमार आवेदनकर्ता के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं है। उसके बाद किसी ने इसकी शिकायत तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा से कर दी। अमित लोढ़ा संजय कुमार पर एक्शन लेने के लिए एसएसपी आदित्य कुमार को कहा, लेकिन आदित्य कुमार आईजी की बात टाल गए। इस मामले में ये खुलासा हुआ कि पिस्तौल का लाइसेंस मांगने वाला हिस्ट्रीशीटर है। संजय कुमार वाले फतेहपुर थाना में उस पर 5 क्रिमिनल केस दर्ज हैं। सबकुछ जानते हुए थानेदार संजय कुमार ने उसके पक्ष में रिपोर्ट लिखी। रिपोर्ट को डीएम को भेज भी दिया। सारी स्थिति स्पष्ट होने के बाद संजय कुमार को सस्पेंड कर दिया गया।
क्रिमिनल को भगाने का आरोप
उसके बाद औरंगाबाद जिला पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद आपराधिक मामले में फरार चल रहे गोल्डेन दास की गिरफ्तारी की। संजय कुमार ने उसे मौके से भगाने की प्लानिंग की। हालांकि, औरंगाबाद पुलिस ने गोल्डेन दास को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन संजय कुमार पर पुलिस की शिकायत पर मुकदमा दर्ज हुआ। जिसके बाद वो गिरफ्तारी के डर से फरार हो गया। इस दौरान संजय कुमार को बचाने के लिए आईपीएस आदित्य अपने वरिष्ठों से भिड़ गए। उन्हें लग रहा था कि संजय की गिरफ्तारी के बाद उनके काले कारनामे भी सामने आ जाएंगे। इस बीच एसएसपी आदित्य कुमार और आईजी अमित लोढ़ा के बीच जमकर शीतयुद्ध चला। मामला राज्य सरकार के गृह विभाग तक पहुंच गया।
आरोपी थानेदार फरार है
आदित्य कुमार ने अपने आदेशों में ये माना था कि संजय कुमार ने बड़ी गलती की है। उसके बाद भी उसे सिर्फ चेतावनी देकर वे छोड़ते रहे। उसे काम में सुधार लाने का अवसर भी दिया। संजय कुमार के ऊपर निगरानी रखने की बात भी सामने आई। इस दौरान आईजी अमित लोढ़ा ने संजय कुमार को एक अयोग्य पुलिस पदाधिकारी करार देते हुए संजय कुमार को 10 साल के लिए थानेदारी से वंचित रखने की सिफारिश की। अभी तक संजय कुमार अपनी गिरफ्तारी के डर से पुलिस से बचते हुए फरार है।