पानी की बूंद-बूंद के लिए जूझ रहा था गांव, अमेरिका से लौटकर इंजीनियर ने बना दिया ‘जल युक्त’

Indiatimes

यूएस बेस्ड इंजीनियर दत्ता पाटिल लातूर जिले के हलगारा गांव के रहने वाले हैं. यह गांव महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर से 6 किमी दूरी पर स्थित है. वह कैलिफ़ोर्निया के सेंटा क्लारा में एक स्मार्ट पैकेज पर जॉब करते हैं. लेकिन, उनका गांव हमेशा उनके दिल में बसता है.

अब यहां सवाल उठता है कि गांव-घर तो सबके दिल में बसता है, लेकिन दत्ता पाटिल को ही विशेष तौर पर क्यों याद किया जा रहा? इसका जवाब है कि इस शख़्स ने सूखा प्रभावित अपने गांव को जलयुक्त गांव बना दिया. वह भी सिर्फ़ तीन साल में.

दत्ता पाटिल की मां पढ़ी लिखी नहीं थीं, लेकिन उन्होंने हमेशा सुनिश्चित किया कि उनके बच्चे पढ़ें. वह बच्चों को खेत में मज़दूरी करने नहीं जाने देना चाहती और उन्हें हमेशा पढ़ाई की ज़रूरतों के बारे में बतातीं. दत्ता गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ें और क्लास-10 टॉप कर गए. इसके बाद क्लास-12 में भी थर्ड रैंक आए. इसके बाद NIT में उनका सिलेक्शन हो गया. वहां क्लास में टॉप करने वाले दत्ता माइक्रोसॉफ्ट और याहू जैसी संस्थानों में नौकरी करने पहुंच गए. इसके बाद वह जॉब के सिलसिले में अमेरिका चले गए. 

अमेरिका में पढ़ा करते थे गांव की ख़बरें

अमेरिका में रहने के दौरान भी वह अपने गांव की न्यूज पढ़ा करते थे. इसमें उन्हें बार-बार दिखता कि किस तरह लातूर में सूखा पड़ रहा है और लोग पानी के अभाव में सुसाइड कर रहे हैं.  साल 2016 में वह गांव आए तो उन्होंने वहां भयावह सूखा की स्थिति देखी. 

वापस कैलिफ़ोर्निया लौटने पर उन्होंने हलगारा पर रिसर्च किया. फिर उन्होंने मालूम हुआ कि कैलिफ़ोर्निया में भी सूखा की स्थिति रही है. लेकिन, यहां पानी की कोई समस्या नहीं है. उन्होंने देखा कि सेंटा क्लेरा में साल 2016 में बारिश 400 एमएम ही हुई, जबकि उनके गांव हलगारा में 800 एमएम हुई. यहीं वह सोचने को मज़बूर हो गए कि ये हालत कैसे हुई. 

अपनी जेब से पैसे लगाकर काम शुरू किए

इसके बाद वह अपने गांव लौटे और अपनी जेब से 3 लाख रुपये ख़र्च कर वाटरेशेड एक्टिविटी में लगा दिए. इस दौरान उन्होंने सिर्फ़ बारिश की हर बूंद को संरक्षित करने का प्लान किया. इसके लिए 20 किमी लंबा कैनाल बनवाए. इसके बाद उन्होंने गांव के लोगों के साथ मीटिंग की और 2 घंटे श्रमदान की बात की. 

इसके बाद वह लौटकर अपनी कंपनी के सामने भी गांव के प्रोजेक्ट की जानकारी रखी. वहां से भी उन्होंने अलगे तीन साल के लिए 1 करोड़ रुपये की सहायता मिल गई. इस प्रोजेक्ट की सफलता की वजह से हलगारा 200 करोड़ लीटर वाटर संरक्षित कर लेता है.