वो गांव जिसकी सरपंच एक 21 साल की इंजीनियरिंग ग्रैजुएट है, अपने काम से बदल दी गांव की सूरत

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हरियाणा की एक सरपंच इन दिनों चर्चा में हैं. वजह उनका काम है. जिसकी वजह से उनका गांव किसी शहर से कमजोर नहीं दिखता. 1200 लोगों के इस गांव में गली-गली सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. सोलर लाइट्स लगी हुई है और लाइब्रेरी बनी हुई है.

सरपंच का नाम है प्रवीण कौर. प्रवीण कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की हैं. इसके बाद वह किसी कंपनी में नौकरी करने की जगह गांव लौट आईं और साल 2016 में वह सरपंच बनीं. उस समय उनकी उम्र महज 21 साल थी. वह हरियाणा की सबसे कम उम्र की सरपंच हैं. 

दैनिक भास्कर से बात करते हुए प्रवीण का कहना है कि गांव से उनका लगाव शुरू से रहा. मुझे यहां की सड़कें, स्कूल, पीने के पाी की दिक्कतों को देखकर गुस्सा आता था. मैंने तय कर लिया था कि पढ़-लिखकर कुछ बनूंगी  और गांव के लिए कुछ  जरूरी काम करूंगी.

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साल 2016 में गांव के कुछ लोग आए और उनके पिता से बात की. उनके गांव में कोई पढ़ा-लिखा नहीं था. शुरू में तो प्रवीण तैयार नहीं हुईं, लेकिन पिता के सपोर्ट के बाद वह तैयार हो गईं. सरपंच बनने के बाद उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी है.

उन्होंने कुछ ही दिनों में गांव की समस्याओं की एक लिस्ट तैयार कर ली. इसके बाद एक-एक करके सारा काम निपटाती गईं. सड़कें ठीक करवा दीं. पानी की दिक्कतें दूर कर दीं. जगह-जगह वाटर कूलर लगवा दीं. लड़कियों की सुरक्षा के लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगवा दीं. साथ ही सोलर लाइट्स लगवा दीं.  गांव में ही एक लाइब्रेरी खोल दी.

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पंचायत की खासियत ये है कि यहां बच्चे संस्कृत बोलते हैं. यहां महर्षि वाल्मीकी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति आए थे. उन्होंने ही गांव को संस्कृत ग्राम बनाने की पहल शुरू की. इसके बाद से गांव में संस्कृत टीचर रखे गए.