कोर्ट ने सात मार्च, 2022 को पारित आदेशों में सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता), निदेशक (स्वास्थ्य), उपायुक्त शिमला और जिला कल्याण अधिकारी जिला शिमला को व्यक्तिगत रूप से यह बताने के निर्देश दिए थे कि कुष्ठ कालोनी फागली, शिमला स्थित कुष्ठ गृह के निरीक्षण और उसके आवश्यक मरम्मत कार्य के संबंध में आदेशों का अनुपालन क्यों नहीं किया गया था। उन्हें न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश जारी किए थे। उपायुक्त शिमला ने एक हलफनामा दायर किया और पहले के निर्देशों का पालन करने में सक्षम नहीं होने के लिए माफी मांगी। उन्होंने सात मार्च को उनके द्वारा किए गए निरीक्षण की रिपोर्ट को कोर्ट के समक्ष रखा जो स्पष्ट करती है कि इमारत के पांच ब्लॉकों में 18 सेटों की मरम्मत और नवीनीकरण की सख्त जरूरत है, क्योंकि दीवार टूट गई है जिसमें दरारें आ गई हैं। पानी के पाइप लीक हो रहे हैं सीवरेज सिस्टम भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है और शौचालय के पाइप भी खराब स्थिति में हैं। निरीक्षण रिपोर्ट में आगे पता चला कि बारिश के मौसम में छत लीक हो जाती है, बिजली की फिटिंग और मरम्मत कार्य की बहुत आवश्यकता होती है। कालोनी के ऊपर शेड बनाए गए हैं, जो गटर के माध्यम से कालोनी में गंदा पानी छोड़ते हैं।
कोई चारदीवारी नहीं है और निर्माण आवश्यक है। निरीक्षण रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने और सुरक्षा गार्ड की तैनाती की भी बहुत आवश्यकता है क्योंकि स्थानीय निवासियों ने बताया कि हुड़दंगी रात के दौरान इधर-उधर मंडराते रहते हैं। न्यायालय को सूचित किया गया कि 4785200 रुपए की राशि स्वीकृत की गई है, जो अब लोक निर्माण विभाग के पास जमा है। उक्त मरम्मत कार्य के लिए निविदा सूचना जारी कर दी गई है तथा 55 दिनों के अंदर कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि विचाराधीन भवन का निर्माण लगभग दस साल पहले लोक निर्माण विभाग के माध्यम से हुआ था, लेकिन वर्तमान में भवन की हालत इतनी खराब है कि मानो कई दशक पहले बना हो। प्रतिवादियों की ओर से पेश वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि सरकार यह पता लगाएगी कि उस समय ठेकेदार कौन था और यह सुनिश्चित करेगी कि उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। मामला 25 अप्रैल, 2022 के लिए पोस्ट किया गया है।