दुनिया के हर देश की सरकार कोशिश करती है कि उसके यहां क्राइम की दर सबसे कम हो. इसके लिए कई कड़े नियम बनाए जाते हैं. इन नियमों को तोड़ने वाले को सजा दी जाती है. ये सजा फाइन से लेकर मौत तक की हो सकती है. लेकिन ज्यादातर मामलों में कैदियों को जेल में बंद कर इन्हें सुधरने का मौका दिया जाता है. लेकिन आज हम आपको जिस जेल के बारे में बताने जा रहे हैं, वहां रहने वाले कैदी शायद ही कभी सुधरेंगे. इसकी जगह जेल में रहते हुए ये और भी ज्यादा खौफनाक बन जाते हैं. हम बात का रहे हैं रवांडा के गीतारामा जेल (Rwanda’s Gitarama prison) की.
गीतारामा जेल को धरती की उन जगहों में से एक माना जाता है, जो नर्क के बराबर है. इस ब्रूटल जेल को रवांडा के कैपिटल किगली में बनाया गया था. इसका निर्माण 1960 में हुआ था. सबसे पहले इसे ब्रिटिश मजदूरों के रहने के लिए बनाया गया था. लेकिन बाद में इसे जेल में बदल दिया गया. इस जेल की क्षमता चार सौ कैदियों की है. लेकिन इस वक्त ओस जेल में सात हजार से ज्यादा कैदी बंद हैं. ये आंकड़ा तो कुछ नहीं है. जब 1990 में रवांडा जेनोसाइड हुआ था, तब यहां करीब पचास हजार कैदी ठूस दिए गए थे.
बहुत बुरे हैं हालात
इस जेल में हमेशा से कैदियों को जानवरों की तरह ठूस दिया जाता है. यहाँउनके बैठने तक की जगह नहीं होती. कई कैदी तो टॉयलेट्स में भरे रहते हैं. जेल के कमांडर ने भी माना कि इस जेल में कई कैदी बेगुनाह हैं. इसके बाद भी उन्हें यूं नर्क भोगना पड़ता है. लेकिन कुछ कैदी खूंखार हैं. उन्हें जानवरों का ट्रीटमेंट मिले ये बहुत जरुरी है. लेकिन ये कैदी जेल की सजा पाकर सुधरते नहीं है. उसकी जगह ये और भी ज्यादा खूंखार बन जाते हैं.
हर दिन मरते हैं आधा दर्जन कैदी
द रेड क्रॉस की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस जेल में रहने वाले कैदियों में हर दिन 6 की मौत हो जाती है. इन कैदियों को हर दिन खाने के लिए कम भोजन दिया जाता है. इस वजह से ये आपस में ही लड़ाई कर बैठते हैं. कई कैदी खुद से कमजोर का खाना छीनकर खा जाते हैं. जब इसकी शिकायत करो तो उन्हें बेरहमी से मारा जाता है. कई कैदियों ने तो ये भी मना है कि जब इस जेल में किसी कैदी की मौत हो जाती है तो दूसरे उसकी लाश को खा जाते हैं. akorra.com की खबर के मुताबिक़, जेल के कैदियों को नाममात्र खाना दिया जाता है. इस कारण कई बार तो जिन्दा कैदी की ही स्किन दांत से काटकर कुछ कैदी खा जाते हैं.