31 मई की वो सुबह आज भी याद है. एक आंख ही खुली थी और आदतन मोबाइल पर हाथ मारा. ये देखने के लिए कि और कितना सो सकते हैं, Muscle Memory के सदके! एक बार फ़ेसबुक खोल ही लिया. सबसे पहले फ़ीड पर जो दिखा वो देखकर मैं बाथरूम भागी. ठंडे पानी से आंखें, चेहरा धोया, दो बार. क्योंकि लगा कि ख्वाब ही देख रही हूं या नींद नहीं खुली है. दोबारा फ़ोन उठाया दोबारा फ़ेसबुक खोला, वही खबर थी. वही पोस्ट था. वही शॉर्ट वीडियोज़ थे. केके (Singer KK Death) की मौत की खबर सच्ची थी. फफक कर रुलाई छूट गई. न चाहते हुए भी आंसू नहीं रुके. घरवालों का लगा बुरा सपना देखा है, लेकिन क्या बुरे सपने से कम है ये? सिंगर कृष्णकुमार कुन्नथ (Krishnakumar Kunnath, KK) ने हम सभी को अलविदा कह दिया था. केके चले गए लेकिन हम सभी के लिए गानों का महासागर छोड़ गए.
बॉलीवुड में आए और पहले गाने से ही दिल में बस गए
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केके का जन्म 23 अगस्त, 1968 को दिल्ली में हुआ था. दिल्ली के बंदे ने बॉलीवुड में एंट्री की, 1996 में आई ‘माचिस’ के ‘छोड़ आएं हम वो गलियां’ से. ‘हम दिल दे चुके सनम’ के ‘तड़प तड़प के इस दिल से’ गाने से उन्होंने बता दिया कि वो यहां हमेशा के लिए बसने आए हैं, जाने के लिए नहीं. इससे पहले केके ने लगभग 3500 जिंगल्स और साउथ की फ़िल्मों के कुछ गाने गाए थे.
केके ने 1991 में ज्योति कृष्णा से शादी की, म्यूज़िक करियर शुरू करने से काफ़ी पहले. केके और ज्योति 6ठीं कक्षा से एक-दूसरे को जानते थे. केके ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि ज्योति की वजह से वे मुंबई गए और अकेले ये निर्णय वो कभी नहीं लेते.
याद आएंगे ये पल…
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बिना मिले, बिना देखे भी कोई आर्टिस्ट दिल पसंद कैसे बन जाता है, कैसे उससे इतना पक्का रिश्ता बन जाता है, ये केके को सुनने वाले समझते हैं. केके का जाना मेरे और कई लोगों के लिए वैसा ही जैसा किसी बहुत पुराने दोस्त को खो देना. वो दोस्त जिसने ज़िन्दगी के हर छोटे-बड़े माइलस्टोन्स में साथ दिया हो. दोस्त से ज़्यादा ही समझ लीजिए.
वो दोस्त को जिससे आप पहले प्यार के किस्से शेयर करते हैं. और वो हंसकर कहता है, ‘एक नज़र में भी प्यार होता है, मैंने सुना है.’
वो यार जो ब्रेकअप होने पर पहले कहता है, कहा था न ‘दिल न किसी से लगाना, झूठे हैं यार के वादे सारे. झूठी हैं प्यार की कस्में’
फिर कस कर गले लगाता है, कहता है चल बार में ले जाता है और कहता है, ‘हम लोगों की ठोकर में है ये ज़माना’
और फिर ‘दस बहाने करके ले गए दिल’ पर न चाहते हुए भी डांस करवा ही देता है.
जब आप करियर को लेकर परेशान होते हैं तो वो दोस्त जो कंधे पकड़कर झंझोड़ देता है, साथ ही कहता है ‘आशाएं आशाएं आशाएं’
चाहे स्कूल का फेयरवेल हो या कॉलेज का, वो दोस्त साथ ही था. बगल में खड़े होकर गा रहा था, ‘हम रहें या न रहें कल, याद आएंगे ये पल’
गुस्से में जब पहली नौकरी से रिज़ाइन दे दिया था, तब हमारे मुंह से सिगरेट निकाल कर दूर फेंक कर कंधे पर हाथ रखकर, ‘छोड़ आएं हम, वो गलियां.’ कहने वाला दोस्त
जब एक्स के पास हम वापस जाने की ज़िद्द में थे, तब हंसते हुए, ‘यारों दोस्ती बड़ी ही हसीन है’ कहकर गलती न करने की हिदायत देने वाला दोस्त
और जब दोबारा दिल तुड़वाकर वापस आए तब ‘तो लुट गए हम तेरी मोहब्बत में’ कहकर हमारे गम को समझने वाला दोस्त
अजनबी शहर में हम कितना भी हंस ले लेकिन अंदर ही अंदर कुछ खाली सा लगता है. उस फ़ीलींग को समझने वाले दोस्त हैं केके. ‘मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी’ सुनकर लगता है केके ने वो सब महसूस किया था.
केके के चले जाने पर बिल्कुल वैसा ही महसूस हो रहा है, जैसा इरफ़ान खान के जाने पर हुआ था. कुछ खालीपन सा है, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. 90 के दशक के हर बच्चे केके के गाने सुनते हुए बड़े हुए, बड़े होने के बाद भी केके के गाने सुनते रहे. पूरे देश को ‘मेरा पहला पहला प्यार है’ जैसा लव एंथम देने वाले केके. वो गायक जिसने क्लासिकल म्यूज़िक में तालीम नहीं ली और सुनकर ही हरकतें, मुरकियां और आलाप ले लेता था. सिर्फ़ एक रिएलिटी शो का हिस्सा बने हैं केके, फ़ेम गुरुकुल. वही जिसमें अरिजीत सिंह ने हिस्सा लिया था.
केके के लिए सच्ची श्रदांजलि यही होगी कि गानों का जो समंदर वो छोड़ गए उस समंदर के तट तक हम अपनी आने वाली पीढ़ी को भी घुमाने ले जाएं. मैं इतना कह सकती हूं कि केके वहीं गए हैं जहां इरफ़ान साहब हैं और दोनों बैठकर Jam कर रहे होंगे.