ठियोग निर्वाचन क्षेत्र : भाजपा व कांग्रेस के नए योद्धा, माकपा के पुराने खिलाडी “सिंघा”…

शिमला, 04  नवंबर: ठियोग विधानसभा क्षेत्र में इस बार कुछ बदला-बदला है। प्रमुख दलों ने नए योद्धाओ को टिकट देकर सियासी मैदान में एक नया दांव खेला है। वहीं, प्रमुख राजनीतिक घरानों के उम्मीदवारों ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। माकपा के एकमात्र विधायक रहे राकेश सिंघा पुरानी सियासी जमीन को बचाने की जंग लड़ रहे हैं। ठियोग निर्वाचन क्षेत्र भौगोलिक रूप से विस्तृत है। पुनर्सीमांकन (delimitation)  के बाद विधानसभा क्षेत्र में मुख्य रूप से किंगल, नारकंडा, कोटगढ़, कुमारसेन, मतियाना व ठियोग कस्बा शामिल हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र का कुछ इलाका चौपाल निर्वाचन क्षेत्र में चला गया।

निर्वाचन क्षेत्र का रोचक पहलू
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कद्दावर नेता विद्या स्टोक्स (Vidya Stokes ) ने ये सीट वीरभद्र सिंह के लिए छोड़ी थी। वीरभद्र सिंह ठियोग से नामांकन के लिए तैयार भी थे। इसी बीच वीरभद्र ने ठियोग (Theog) की बजाय सोलन के अर्की भेज दिया। 42 साल तक राजनीति करने वाली स्टोक्स चाहती थी कि विजयपाल सिंह खाची को टिकट मिले। लेकिन युवा नेता दीपक राठौर  को टिकट दे दिया गया,स्टोक्स इससे नाराज हो गईं। आखिर मौके पर हाईकमान ने फिर से विद्या को उम्मीदवार(Candidate) बनाने का फैसला लिया। तकनीकी दिक्कत हुई कि राठौर ने नाम वापिस नहीं लिया। राठौर विद्या स्टोक्स से पहले कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नामांकन (Nomination ) किया था, लिहाजा वे ही पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी माने गए। अब यदि दिग्गज नेत्री  विद्या स्टोक्स आजाद उम्मीदवार के तौर पर नामांकन के लिए कम से कम दस प्रस्तावक चाहिए थे, जो केवल दो ही थे। लिहाजा आखिर में राठौर ही प्रत्याशी बने। चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था,वो 15.69 प्रतिशत वोट ही ले सके थे।

फोटो में उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता और  चल अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया गया है। 

कौन-कौन मैदान में...
भाजपा ने इस बार युवा चेहरे अजय श्याम को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप राठौर को प्रत्याशी बनाया है। पूर्व में विधायक रहे दिवंगत राकेश वर्मा की पत्नी इंदू वर्मा व पूर्व मंत्री जय बिहारी लाल खाची के पुत्र विजय पाल खाची टिकट न मिलने से निर्दलीय मैदान में उतरे हैं।

 माकपा के विधायक राकेश सिंघा भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। यहां जातिवाद व क्षेत्रवाद काफी हावी रहता है। कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह राठौर व माकपा विधायक राकेश सिंघा कोटगढ़ से संबंध रखते हैं। निर्दलीय विजय पाल खाची कुमारसेन से हैं। वहीं, बीजेपी प्रत्याशी अजय श्याम, निर्दलीय इंदू वर्मा व आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अतर सिंह चंदेल ठियोग से संबंध रखते हैं।

विधायक राकेश सिंघा सेब उत्पादकों के लिए लड़ाई लड़ते रहे है, विकास कार्यों को गिनाने चुनाव मैदान में उतरे हैं। सेब व सब्जी उत्पादकों के इस विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय इंदू वर्मा व विजय पाल खाची दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के लिए मुश्किल बने हैं।

ये राजनीतिक इतिहास….
राजनीतिक रूप से बेहद सजग क्षेत्र से 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी बनकर मैदान में उतरे जय बिहारी लाल खाची विधायक रहे। 1972 में कांग्रेस के उम्मीदवार व सेब उत्पादन के जनक माने जाने वाले लाल चंद स्टोक्स कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए। 1977 की जनता लहर में जनता पार्टी के टिकट पर मेहर सिंह चौहान विधानसभा पहुंचे।

इसके बाद क्षेत्र से कांग्रेस की दिग्गज नेत्री विद्या स्टोक्स ने कांग्रेस के टिकट पर लगातार जीत की हैट्रिक लगाई। वह 1982, 1985 व 1990 में इस क्षेत्र से विधायक चुनी गई। 1993 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार मैदान में उतरे स्व. राकेश वर्मा ने हराकर बड़ा उलट फेर किया। राकेश वर्मा हिमाचल पुलिस के डीजीपी दिवंगत रत्ती राम वर्मा के पुत्र थे।

      1998 में दोबारा कांग्रेस की विद्या स्टोक्स ने उन्हें पराजित किया। 2003 व 2007 में राकेश वर्मा फिर से लगातार दो बार निर्दलीय रूप से जीतने में सफल रहे। 2012 में विद्या स्टोक्स फिर से जीतने में सफल हुई। विद्या स्टोक्स विभिन्न कार्यकालों में विधानसभा स्पीकर से लेकर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रहीं। 2017 में विद्या स्टोक्स की गैर मौजूदगी में माकपा के राकेश सिंघा ने चुनाव जीतकर बड़ा राजनीतिक उलट फेर किया।
आंकड़ों में ठियोग विधानसभा….
1998 में कांग्रेस की विद्या स्टोक्स यहां से 56.93 प्रतिशत मत लेकर विजयी हुई। 2003 में निर्दलीय राकेश वर्मा 46.31 प्रतिशत मत हासिल कर विजयी हुए। 2007 में दोबारा राकेश वर्मा 48.56 प्रतिशत मत लेकर विजयी रहे। 2012 में कांग्रेस की विद्या स्टोक्स 38.78 प्रतिशत मत हासिल कर विधानसभा पहुंची। 2017 में माकपा के राकेश सिंघा 42.73 प्रतिशत मत हासिल कर विजयी हुए।

उम्मीदवारों की चल अचल संपत्ति 

ठियोग के चुनावी रण में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर किस्मत आजमा रहे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर (62) भी करोड़पति प्रत्याशियों की सूची में शुमार हैं। उनका परिवार 4.20 करोड़ का मालिक है। नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हल्फनामे में कुलदीप राठौर के परिवार के पास 97 लाख की चल संपत्ति और 3.23 करोड़ की अचल  संपत्ति  है। हल्फनामे के मुताबिक कुलदीप राठौर के नाम 54.34 लाख की चल  संपत्ति है। इसमें बैंक खातों व विभिन्न पालिसियों में पैसा जमा है। इसके अलावा उनके पास एक गाड़ी और 2.99 लाख के गहने हैं। उनकी धर्मपत्नी के पास 43 लाख की चल  संपत्ति है। जिसमें 14.97 लाख के गहने हैं। इसके अलावा कुलदीप राठौर की 3.23 करोड़ की अचल संपत्ति में 4.25 एकड़ कृषि भूमि, फलैट और हिरायशी भवन हैं। हालांकि उनके पास गैरकृषि भूमि और व्यावसायिक भवन नहीं है। कुलदीप राठौर ने अपना आय का स्त्रोत खेती, बागवानी और कानूनी पेशा बताया है।

धनकुबेर हैं माकपा के राकेश सिंघा, 19.46 करोड़ की संपत्ति के मालिक

माकपा विधायक राकेश सिंघा (66) ठियोग हल्के से फिर मैदान में उतरे हैं। धनकुबेर प्रत्याशियों में शामिल राकेश सिंघा के परिवार की चल एवं अचल संपत्ति  19.46 करोड़ है। चुनाव आयोग में दिए गए हल्फनामे पर नजर डालें, तो राकेश सिंघा के परिवार की चल  संपत्ति 2.06 करोड़ है। इसमें राकेश सिंघा की 67.93 लाख की चल  संपत्ति  है। जबकि उनके पत्नी के नाम 2.06 करोड़ की  संपत्ति  दर्ज है। राकेश सिंघा के पास 12 लाख और पत्नी के पास साढ़े सात लाख के गहने हैं।
राकेश सिंघा 17.46 करोड़ की अचल संपति के मालिक भी हैं। शिमला शहर में उनका एक रिहायशी भवन है, जिसका बाजारी भाव लगभग दो करोड़ है। इसके अलावा उनके पास 15 करोड़ की कृषि भूमि है। राकेश सिंघा ने पिछले वितीय वर्ष में 13.56 लाख का आयकर भरा है। उनके परिवार पर 14.96 लाख की देनदारियां हैं। उन्होंने 11.12 लाख और पत्नी ने 3.84 लाख का लोन लिया है।

भाजपा प्रत्याशी अजय श्याम की चल-अचल संपत्ति 59 लाख

आरएसएस की पसंद 40 वर्षीय अजय श्याम भाजपा की टिकट पर पहली बार ठियोग के चुनावी रण में कूदे हैं। उनके परिवार की चल व अचल संपत्ति 59 लाख है। हलफनामे के मुताबिक अजय श्याम के नाम 9.37 लाख और पत्नी के नाम 24.45 लाख की चल संपत्ति है। उनके पास जहां एक लाख के गहने हैं, वहीं पत्नी के पास 12.60 लाख के गहने हैं। अजय श्याम के पास एक मारुति कार है, जिसे उन्होंने वर्ष 2018 में खरीदा था। इसके अलावा वह 25.77 लाख की अचल संपत्ति के मालिक भी हैं। जिसमें उनके नाम ठियोग में एक रिहायशी भवन और खेती योग्य भूमि है। अजय श्याम पर 4.87 लाख की देनदारियां हैं। उन्होंने अपने नाम से 3.17 लाख और पत्नी के नाम से 1.70 लाख का लोन लिया है।

कांग्रेस के कदावर नेता दिवंगत जय बिहारी लाल खाची के बेटे विजय पाल खाची भी करोड़पति

कांग्रेस के कदावर नेता दिवंगत जय बिहारी लाल खाची के सुपूत्र विजय पाल खाची कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने से निर्दलीय चुनाव में उतरे हैं। 65 वर्षीय विजय पाल खाची भी करोड़पति हैं। हलफनामें के मुताबिक उनकी चल एवं अचल  संपत्ति 1.77 करोड़ है। वह 1.30 करोड़ की अचल  संपत्ति के मालिक हैं। कुमारसेन के अलावा उनकी शिमला शहर के जाखू में भी रिहायशी भवन और गैर कृषि भूमि है। उनके नाम 24.30 लाख और पत्नी के नाम 16 लाख की चल संपत्ति है। विजय पाल खाची के पास 3 लाख और पत्नी के पास 15.60 लाख के गहने हैं। उन्होंने अपनी आय का स्तोत्र बागवानी व खेती बताया है।

निर्दलीय प्रत्याशी इंदू वर्मा के पास 3.19 करोड़

दिवंगत पूर्व विधायक राकेश वर्मा की पत्नी इंदू वर्मा भाजपा और कांग्रेस से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। 60 वर्षीय इंदू वर्मा अकूट संपत्ति  की मालकिन हैं। चुनावी हल्फनामे में उन्होंने अपनी चल एवं अचल  संपत्ति  3.19 करोड़ दिखाई है। इंदू वर्मा की कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि, व्यवसायिक व रिहायशी भवनों की अचल  संपत्ति  2.20 करोड़ है। इसके अलावा उनके नाम 99.05 लाख की चल  संपत्ति भी है। इसमें 50 लाख के गहने शामिल हैं। इंदू वर्मा ने इस वित्तीय वर्ष 10.85 लाख का आयकर भरा है। उन पर 20.66 लाख की देनदारियां भी हैं।

उम्मीदवारों का सबल व निर्बल पक्ष…
कांग्रेस के उम्मीदवार कुलदीप राठौर पेशे से वकील हैं। वो संगठनात्मक राजनीति में काफी सक्रिय रहे। मृदुभाषी व मिलनसार हैं। प्रदेश की राजनीति में उनका कद बड़ा है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के अलावा कांग्रेस के अन्य फ़्रंटल आर्गेनाईजेशन में विभिन्न पदों पर भी रहे। युवावस्था से ही राजनीति में सक्रिय रहे। मगर अगर उनका निर्बल पक्ष देखा जाए तो वह चुनावी राजनीति में महारत नहीं रखते। साथ ही उनका अधिकतम समय शिमला (Shimla) में गुजरता है। निर्वाचन क्षेत्र में उपलब्धता कम ही रहती हैं।

वहीं, भाजपा के अजय श्याम नया चेहरा हैं। ठियोग से होने के चलते शहर के बाजार के वोट मिलने के आसार हैं। भाजपा संगठन का भी पूरा समर्थन है। भाजपा का कोई बागी भी निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ रहा है। मगर, नए प्रत्याशी होने के कारण  उन्हें अन्य क्षेत्रों में वोट पाने के लिए अधिक मशक्कत करनी पड़ेगी।

उधर, निर्दलीय प्रत्याशी इंदू वर्मा को ठियोग विधानसभा की कुछ पंचायतों के चौपाल में जाने से बड़ा नुक्सान हुआ है। वहीं जेबीएल खाची के पुत्र विजय पाल खाची मात्र कुमारसेन क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में ज्यादा पैठ नहीं रखते। माकपा के निवर्तमान विधायक राकेश सिंघा मजदूर तबके के अलावा आंगनबाड़ी वर्करों, सेब व सब्जी उत्पादकों में बेहद लोकप्रिय हैं। विभिन्न मुद्दों को बेहतरी से उठाते हैं। सड़़कों व मूलभूत सुविधाओं के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उम्र अधिक होने व प्रदेश में सरकार के साथ तालमेल न होने के चलते कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो चुनाव में उनके लिए निर्बल पक्ष साबित हो सकता है।

मतदाताओं का आंकड़ा….
ठियोग विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 78,586 हैं। इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 37,947 है। पुरुष मतदाताओं का आंकड़ा 40,369 है।

जंक्शन भी है ठियोग  

ठियोग शहर एक जंक्शन भी है। कोटखाई के अलावा रामपुर विधानसभा क्षेत्र में असर डालता है। शहर में चलने वाली विधानसभा चुनाव की लहर दो विधानसभा क्षत्रो में भी असर डाल सकती है। कोटखाई से रोजाना सैंकड़ो लोगो का रोजमर्रा के कार्यो के लिए ठियोग आना -जाना रहता है।