Diwali 2022: उत्साह, उमंग और दीपों के त्योहार दिवाली का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है. दिवाली के दिन घर-घर दीपक जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. शास्त्रों में मिट्टी के दीपक को तेज, शौर्य और पराक्रम का प्रतीक माना गया है. जब भगवान श्रीराम चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब अध्योध्यावासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था. दिवाली पर मिट्टी के दीपक जलाने के पीछे धार्मिक महत्व भी है.
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि मिट्टी के दीपक जलाना ना सिर्फ प्रकृति के लिए अनुकूल है, बल्कि इससे सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है. आइये जानते हैं मिट्टी के दीपक के क्या लाभ है.
मिट्टी के दीपक का महत्व
इस संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना पंचतत्वों से हुई है. जिसमें जल, वायु, आकाश, अग्नि व भूमि शामिल है. मिट्टी का दीपक भी इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है. मिट्टी का दीपक वर्तमान का प्रतीक माना गया है. जबकि, उसमें जलने वाली लौ भूतकाल का प्रतीक होती है. जब हम रुई की बत्ती डालकर दीप प्रज्जवलित करते हैं तो वह आकाश, स्वर्ग और भविष्यकाल का प्रतिनिधित्व करती है. दीपक की रोशनी शांति का प्रतीक भी मानी जाती है. इसलिए दीपक जलाने से घर में शांति बनी रहती है.
मंगल व शनि का प्रतीक
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना गया है. वहीं, मंगल को साहस, पराक्रम का प्रतीक माना जाता है. तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है और शनि को न्याय व भाग्य का देवता कहा जाता है. इसलिए दीपक जलाने से मंगल व शनि ग्रह की अनुकूल दृष्टि बनी रहती है.
जिससे जीवन में तरक्की, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसी तरह दीपक की रोशनी अंधकार, आलस्य और निर्धनता को समाप्त करती है. मिट्टी का दीपक प्रकृति के लिए भी अनुकूल रहता है. इससे प्रकृति को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है.