शिमला शहरी सीट पर भाजपा, कांग्रेस व माकपा में हो सकती है तिकोनी जंग

शिमला, 05 अक्तूबर : शिमला शहरी सीट पर दोनों दलों में टिकटार्थियों की लम्बी फेहरिस्त है। शिमला शहर में हालांकि सबसे ज्यादा मतदाता अप्पर शिमला के रोहड़ू,  जुब्बल कोटखाई, ठियोग व रामपुर के वाशिंदें  है। कई सालों से शिमला में  घर बनाकर यही बस चुके ये मतदाता शिमला शहर की राजनीती को पूरी तरह से प्रभावित करते रहे है।

 वर्तमान में कैबिनेट मंत्री व विधायक सुरेश भारद्वाज भी मूल रूप से रोहड़ू से सम्बन्ध रखते है। शिमला शहरी के मतदाता किसी एक पार्टी के पेटेंट बनकर नहीं रहे है। 1993 के विधानसभा चुनावों में शिमला के मतदाताओं ने पहली दफा माकपा नेता राकेश सिंघा को शहरी सीट से विधायक बनाकर बड़ा उलटफेर किया था। स्वर्गीय दौलत राम चौहान यहां से लगातार 4 बार विधायक रहे। 1985 में हरभजन सिंह भज्जी से उन्हें शिकस्त खानी पड़ी।

 सुरेश भारद्वाज भी यहां से 2007, 2012 व 2017 में जीत की हैट्रिक लगा चुके है। वर्तमान सरकार में वह कैबिनेट मंत्री है। उम्र की बाधा उनकी चुनावी यात्रा में इस बार रोड़ा बन सकती है। वहीं कांग्रेस में हरीश जनारथा, पूर्व मेयर आदर्श सूद व यशवंत छाजटा टिकट की दौड़ में है।

हरीश जनारथा को फ़िलहाल कांग्रेस यहां से उमीदवार बना  सकती है। वहीँ माकपा की ओर से पूर्व मेयर संजय चौहान व माकपा के अन्य नेता टिकेंद्र पंवार चुनावी रण में उतर सकते है।  टिकेंद्र पंवार पर माकपा दाव लगा सकती है। इस सीट पर यदि माकपा ने टिकेंद्र को उतारा तो मुकाबला तिकोना हो सकता है।