चीख-पुकार मची थी…सीट के नीचे दबा था 2 साल का बच्चा, देवदूत बनकर पहुंचे स्थानीय लोग

ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार भयानक रेल हादसा हुआ। हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और मालगाड़ी से टकराने की वजह से हुआ। हादसे में करीब 250 लोगों की मौत हो चुकी है।

नई दिल्ली/बालासोर : ओडिशा के बालासोर में दो ट्रेनों के पटरी से उतरने के बाद मालगाड़ी से टकराने से भीषण हादसा हुआ। हादसे में करीब 250 लोगों की मौत हो चुकी है। पहले हावड़ा जा रही 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बाहानगा बाजार में पटरी से उतर गए और दूसरी पटरी पर जा गिरे। पटरी से उतरे ये डिब्बे 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए और इसके डिब्बे भी पलट गए। इसके बाद ये डिब्बे मालगाड़ी से टकरा गए। हादसे के बाद लोग मदद के लिए चीख-पुकार मचा रहे हैं। हादसे का बाद बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने ट्रेन में फंसे लोगों को बाहर निकालने में मदद की। इस दौरान स्थानीय लोगों की मदद से कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। साथ ही ट्रेन में सवार कई यात्रियों ने भी अपने आसपास के यात्रियों को बचाने में मदद की। इस तरह हादसे में लोगों ने मानवता की मिसाल कायम की।

300-400 लोगों को सुरक्षित निकाला

ट्रेन हादसे के बारे में स्थानीय नागरिक गणेश ने कहा कि जिस समय हादसा हुआ हम यहां से 200 मीटर दूर मार्केट में थे। जोर की आवाज सुनने के बाद हम लोग घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि दुर्घटना की सुनकर हम लोग यहां पहुंचे। यहां ट्रेन की बोगी में कई लोग फंसे हुए। लोगों में चीख पुकार मची हुई थी। उन्होंने कहा कि बोगो में फंसे लोगों को अंदर से निकाला। गणेश ने कहा कि हमने ट्रेन में फंसे करीब 300 से 400 लोगों को बाहर निकाला।

सीट के नीचे था 2 साल का बच्चा

हादसे को लेकर एक यात्री ने बताया कि हम S5 बोगी में थे और जिस समय हादसा हुआ उस उस समय मैं सोया हुआ था। यात्री ने कहा, हमने देखा कि किसी का सर, हाथ, पैर नहीं था… हमारी सीट के निचे एक 2 साल का बच्चा था जो पूरी तरह से सुरक्षित है। बाद में हमने उसके परिवारिजन को बचाया। यात्री ने कहा कि स्थिति बहुत भयानक थी। उस समय सभी यात्री एक दूसरे की मदद कर रहे थे। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी थे जो मदद की गुहार लगा रहे थे।

​हमारे खून से किसी की जिंदगी बच जाए तो…

ट्रेन हादसे के बाद बड़ी संख्या में लोग रक्तदान करने पहुंचे। रक्तदान कैंप के बाहर खड़े एक शख्स ने बताया कि हादसे की खबर सुनकर हम ब्लड देने के लिए भद्रक से आए हैं। मेरे साथ हमारे संगठन के 20-25 लोग आए हैं। अपनी अपनी इच्छा से निस्वार्थ भाव से रक्तदान के लिए आए हैं। हमारे खून से किसी की जिंदगी बच जाए, इससे खुशी की बात दुनिया में कोई नही है। इसलिए जैसे ही हमें इस हादसे की खबर मिली हम रक्तदान के लिए पहुंच गए। इसी तरह एसके कुर्बान बताते हैं कि उन्होंने हादसे में कई लोगों के मारे जाने की खबर सुनी। घायलों को खून की जरूरत है। किसी का भला हो जाए बस इसलिए मैं अपनी मर्जी से यहां रक्तदान करने आया हूं।