माता भयभुंजनी गढ़ माता मंदिर में मेले के आखिरी मंगलवार को हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने अपना शीश नवाया। सुबह से ही मां के दर्शन के लिए लाइनें लगनी शुरू हो गई थीं। कई लोग दर्शनों के लिए पैदल भी जा रहे थे। ऊपर पार्किंग की व्यवस्था न होने के कारण गाड़ी से आ रहे श्रद्धालुओं को काफी परेशानी भी हुई। बीच रास्ते में गाड़ियों को खड़ी कर मां के दरबार में पहुंचा पड़ा। करीब 2000 से ज्यादा छोटे-बड़े वाहनों के ऊपर जाने से सिंगल रोड खचाखच भरा रहा। इससे लोगों को पैदल चलने में भी परेशानी आ रही थी। दोपहर बाद भारी बारिश में भी श्रद्धालुओं की आस्था कम नहीं हुई। बारिश में भी लोग लाइनों में मां के दर्शनों के लिए खड़े रहे। मंदिर कमेटी की ओर से श्रद्धालुओं के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई थी।
मां भयभुंजनी का इतिहास
कहते हैं कि पुराने समय में राजाओं ने तपस्या करके कई सिद्धपीठों की स्थापना की है। यहां सच्चे मन से मुराद मांगने वालों की मन्नत पूरी होती है। ऐसा ही मां भयभुजनी का इतिहास है। यहां आषाढ़ माह में मेले का आयोजन होता है। कहते हैं यहां राजा के महल की सम्पत्ति कुएं में है और इस कुएं से कई लोग पानी पीते थे, लेकिन जिस किसी ने भी इस सम्पत्ति को निकालने का प्रयास किया उसे किसी न किसी तरह का दोष भोगना पड़ता है। इसके अतिरिक्त यह माता आसपास के कई गांवों की कुलदेवी भी है।