‘मेरे और मेरे निर्णयों के बीच कभी दीवार नहीं बनीं…’, मां पर कही गई PM नरेंद्र मोदी की 10 बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन आज अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर गईं. हीरा बा अपने छोटे बेटे पंकज मोदी के साथ गांधीनगर में रहती हैं. इस मौके पर पीएम मोदी उनके मिलने गांधीनगर पहुंचे. उन्होंने अपनी मां के पांव पखारे, मिठाई खिलाकर उनका मुंह मीठा कराया फिर पैर छूकर आशीर्वाद लिया. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर एक ब्लॉग भी लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी कई यादों को साझा किया है. अपनी मां हीरा बा के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं. पढ़िए अपनी मां हीराबेन के जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी के ब्लॉग की 10 बड़ी बातें…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां हीरा बा के 100वें वर्ष में प्रवेश करने के मौके पर उनका मुंह मीठा कराते हुए. (ANI Photo)

मां, सिर्फ एक शब्द नहीं है. जीवन की वह भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है. मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है. मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, मेरे व्यक्तित्व में जो कुछ भी अच्छा है, मेरी मां और पिताजी की ही देन है.
मां की तपस्या, उसकी संतान को, सही इंसान बनाती है. मां की ममता, उसकी संतान को मानवीय संवेदनाओं से भरती है. मां एक व्यक्ति नहीं है, एक व्यक्तित्व नहीं है, मां एक स्वरूप है.
मां का हमेशा से य​ह आग्रह रहा है कि अन्न का एक भी दाना बर्बाद नहीं होना चाहिए. हमारे कस्बे में जब किसी के शादी-ब्याह में सामूहिक भोज का आयोजन होता था तो वहां जाने से पहले मां सभी को य​ह बात जरूर याद दिलाती थीं कि खाना खाते समय अन्न मत बर्बाद करना.
मेरी मां जमीन पर बर्तन रख दिया करती थीं. छत से टपकता हुआ पानी उसमें इकट्ठा होता रहता था. उसी पानी को मां घर के काम के लिए अगले 2-3 दिन तक इस्तेमाल करती थीं. जल संरक्षण का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है.
आज जब लोग मां के पास जाकर पूछते हैं कि आपका बेटा पीएम है, आपको गर्व होता होगा, तो मां उन्हें कहती है कि जितना आपको गर्व होता है, उतना ही मुझे भी होता है. वैसे भी मेरा कुछ नहीं है. मैं तो निमित्त मात्र हूं. वह तो भगवान का है.
अक्षर ज्ञान के बिना भी कोई सचमुच में शिक्षित कैसे होता है, ये मैंने हमेशा अपनी मां में देखा. उनके सोचने का दृष्टिकोण, उनकी दूरगामी दृष्टि, मुझे कई बार हैरान कर देती है.
मेरी मां के नाम आज भी कोई संपत्ति नहीं है, मैंने उनके शरीर पर कभी सोना नहीं देखा. वह पहले भी सादगी से रहती थीं और आज भी वैसे ही अपने छोटे से कमरे में पूरी सादगी से रहती हैं.
दुनिया में क्या चल रहा है, आज भी इस पर मां की नजर रहती है. हाल-फिलहाल में मैंने मां से पूछा कि आजकल टीवी कितना देखती हों? मां ने कहा कि टीवी पर तो जब देखो तब सब आपस में झगड़ा कर रहे होते हैं.
यह 2017 की बात है जब मैं यूपी चुनाव के आखिरी दिनों में, काशी में था तो वहां से मां के लिए प्रसाद लेकर गया था. मां से मिला तो उन्होंने पूछा क्या काशी विश्वनाथ महादेव के मंदिर तक जाने का रास्ता अब भी वैसा ही है, ऐसा लगता है किसी के घर में मंदिर बना हुआ है.
दूसरों की इच्छा का सम्मान करने की भावना, दूसरों पर अपनी इच्छा ना थोपने की भावना, मैंने मां में बचपन से ही देखी है. खासतौर पर मुझे लेकर वह बहुत ध्यान रखती थीं कि मेरे और मेरे निर्णयों को बीच कभी दीवार ना बनें.