भारत में कुछ धार्मिक मंदिर इतने प्राचीन हैं कि उनकी उत्पत्ति अभी भी एक रहस्य बनी हुई है, और कुछ अभी भी अस्पष्ट हैं। ऐसी ही एक कथा 5 भारतीय मंदिरों से जुड़ी हुई है, जिनके अनुसार इनका निर्माण रातों-रात किया गया था। हालांकि इनकी कहानी कितनी सही है अभी ये प्रूफ नहीं हुआ है, लेकिन कई भक्तों में इन मंदिरों को लेकर आज भी आस्था बनी हुई है।
हमारे देश में आपको कई मंदिर दिखेंगे, जो किसी चमत्कार से कम नहीं लगते। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो हजारों सैकड़ों साल पुराने हैं और हर मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक अपनी अलग कहानी भी है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही बताने वाले हैं, जिनका निर्माण एक ही रात में हो गया था। इनको बनाने के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प भी है, चलिए आपको बताते हैं, इन मंदिरों के बारे में।
गोविंद देव जी मंदिर का रहस्य – Govind Dev Ji Mandir
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है और स्थानीय लोगों का मानना है कि इसे रातों-रात बनाया गया था। इसके अलावा, लोगों का मानना है कि यह संरचना भगवान विष्णु के सम्मान में देवताओं और राक्षसों दोनों द्वारा बनाई गई थी। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर को इसलिए अधूरा छोड़ दिया गया क्योंकि वे इसे सूर्योदय से पहले पूरा नहीं कर पाए थे।
देवघर मंदिर का रहस्य – Deoghar Mandir
माना जाता है कि झारखंड में देवघर मंदिर को भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था, ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। एक बार, रावण भगवान शिव को अपने साथ शिवलिंग के रूप में लंका ले जाने के लिए अडिग हो गया। शिव सहमत हो गए, लेकिन केवल एक शर्त पर कि लिंग जमीन नहीं छूना चाहिए। रावण के साथ चलाकी की गई और शिवलिंग जमीन को छू गया। जहां शिवलिंग जमीन पर लगा वहां से उसे हिला पाना मुश्किल हो गया था। इसलिए भगवान विश्वकर्मा को यहां रातों-रात एक मंदिर बनाना पड़ गया
काकनमठ का रहस्य – Kakanmath
मध्य प्रदेश के मुरैना के बीच निर्मित, इस प्रसिद्ध मंदिर के निर्माण के पीछे एक कहानी है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण शिव भक्तों- भूतों द्वारा रातों-रात किया गया था। इसके अलावा, यह मंदिर मोर्टार या सीमेंट का उपयोग किए बिना बनाया गया था।
भारत का एक ऐसा अनोखा मंदिर जहां प्रसाद के रूप में मिलता है ‘गांजा’, कारण जान कहीं आप भी न रह जाएं हैरान
हथिया देवली का रहस्य – Hathiya Deval
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में शिव भगवान का एक मंदिर है, जिसे हथिया देवाल के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि एक हाथ वाले शिल्पकार ने एक रात में ही इस मंदिर को बना दिया था। हालांकि रात होने और जल्दी बनाने के चक्कर में यहां शिवलिंग का अरघा उल्टी दिशा में बन गया। इस वजह से यहां शिवलिंग की पूजा नहीं होती।