Top 10 Most Beautiful Buildings in Nainital: उत्तराखंड का नैनीताल प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों से भरपूर है. इस खूबसूरत शहर को अंग्रेजों ने बेहद करीने के सजाया था. नैनीताल की कई इमारतें आज भी ब्रिटिश काल की गवाही देती हैं.(रिपोर्ट: हिमांशु जोशी)
उत्तराखंड का खूबसूरत जिला नैनीताल प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों से भरपूर है. वहीं, हिमालय पर्वत श्रृंखला एक चमकदार गहने की तरह है. कई सारी खूबसूरत झीलों से सुसज्जित यह जिला भारत में ‘झीलों के जिले’ के रूप में मशहूर है. चारों ओर से पहाडियों से घिरी हुई ‘नैनी झील’ इन झीलों में सबसे प्रमुख झील है. नैनीताल जिला मुख्यतः दो तरह के भू-भागों में बंटा हुआ है, जिसके एक ओर पहाड और दूसरी ओर तराई-भावर आते हैं. नैनीताल शहर की अगर बात करें, तो अंग्रेजों ने इस जगह को बेहद करीने के सजाया था. कई इमारतें आज भी ब्रिटिश काल की गवाही देती हैं. आज हम आपको नैनीताल की 10 प्रमुख इमारतों के बारे में बताने जा रहे हैं.
1868 में स्थापित नैनीताल के सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च का इतिहास काफी पुराना है. तल्लीताल क्षेत्र में स्थित इस चर्च को ‘लेक चर्च’ भी कहा जाता है. इस चर्च का ब्रिटिश आर्किटेक्चर बेहद ही आकर्षक है. इसमें जर्मनी से लाए गए शीशों से प्रभु यीशु की वेदी बनाई गई है. दोपहर के दौरान इन शीशों से निकलने वाली रौशनी मुख्य आकर्षण का केंद्र है. यह यीशु की तरफ से आ रही रौशनी के समान प्रतीत होता है.
नैनीताल का राजभवन गौथिक शैली में बनी इमारत है, जो लंदन के बकिंघम पैलेस की तर्ज पर ही बनी है. 220 एकड़ में फैले इस भवन में 115 कमरे हैं. नैनीताल के इस गवर्नमेंट हाउस की आधारशिला 27 अप्रैल 1897 को रखी गई थी और साल 1900 तक यह बनकर तैयार हो गया था. यह ऐतिहासिक भवन देश के सर्वश्रेष्ठ राजभवनों में से एक है.
नैनीताल का बोट हाउस क्लब ब्रिटिशकालीन है. लगभग सवा सौ साल पुराना यह बोट हाउस क्लब पर्यटकों को भी काफी लुभाता है. इस ब्रिटिशकालीन क्लब की अस्थाई स्थापना साल 1892 में हुई थी. हालांकि इस क्लब के मुख्य भवन का निर्माण 1897 में हुआ था. नैनीताल के इस बोट हाउस क्लब के साथ ही नैनीताल यॉट क्लब भी जुड़ा है. यह क्लब सेलिंग से जुड़ी प्रतियोगिताएं करवाता रहा है. इस क्लब से केवल नैनीताल ही नहीं बल्कि देश के कई बड़े उद्योगपति जुड़े हैं.
माल रोड पर स्थित मैथोडिस्ट चर्च देश ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का पहला मैथोडिस्ट चर्च है. इसकी स्थापना साल 1858 में हुई थी. विदेशी पर्यटकों के साथ साथ भारतीय सैलानी भी नैनीताल स्थित इस चर्च में प्रार्थना के लिए पहुंचते हैं. खासकर क्रिसमस के समय काफी तादात में लोग इस चर्च में आते हैं.
कुमाऊं के कमिश्नर रहे सर हैनरी रैमजे के नाम से 1892 में रैमजे अस्पताल को बनाया गया था. रैमजे को कुमाऊं का ‘बेताज बादशाह’ कहा जाता था. तब इसे बनाने में करीब दो लाख रुपये खर्च हुए थे. आजादी मिलने के बाद इसे जीबी पंत अस्पताल नाम दिया गया. अंग्रेजों के जमाने में यह अस्पताल पूरे एशिया के बेहतरीन अस्पतालों में गिना जाता था. बड़े अफसरों के इलाज के लिए यह काफी मशहूर था. फर्स्ट और सेकंड क्लास के ऑफिसर्स दूर-दूर से अपना इलाज कराने के लिए आते थे.
सूखाताल क्षेत्र में नैनीताल का सबसे पुराना चर्च सेंट जॉन्स इन द विल्डरनेस चर्च मौजूद है, जो 1846 में स्थापित हुआ था. यह उत्तराखंड का सबसे पहला चर्च है. यह चर्च एक शांत वातावरण में देओदार के बड़े पेड़ों के बीच मौजूद है. तब कोलकाता के बिशप डेनियल विल्सन ने इस चर्च का शिलान्यास किया था. इस चर्च में मशहूर शिकारी जिम कोर्बेट का बपतिस्मा (Baptism) भी हुआ था.
नैनीताल की सबसे ऐतिहासिक और सार्वजनिक लाइब्रेरी है दुर्गा लाल शाह मुनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी. यह लाइब्रेरी ब्रिटिशकालीन है. ब्रिटिशर्स के जमाने की कुछ इमारतों में इस लाइब्रेरी का भी नाम आता है. नैनीताल शहर की इस ब्रिटिशकाल लाइब्रेरी की स्थापना साल 1934 से 1935 के बीच हुई थी.
नैनीताल के मल्लीताल में स्थित इस मस्जिद की इमारत अपनी सुंदरता को खुद ब खुद बयां करती है. साल 1865 में ब्रिटिशकाल में ही इस मस्जिद का निर्माण हुआ था. इस मस्जिद के मुख्य दरवाजे पर अरबी शिलालेख देखने को मिल जाएंगे. वैसे तो यह मस्जिद ब्रिटिशकालीन है. हालांकि इसका नवीनीकरण साल 1996-97 में हुआ था. इस मस्जिद की संरचना संगमरमर की है.
नैनीताल के मल्लीताल में उत्तराखंड राज्य का उच्च न्यायलय स्थित है. साल 1900 में वर्तमान के हाई कोर्ट की स्थापना की गई. गौथिक शैली में बनी इस इमारत में आज लोगों को न्याय मिलता है. 122 साल पुरानी यह ऐतिहासिक इमारत नैनीताल के वैभवशाली इतिहास को ताजा कर देती है.