हर माह 10 लाख रुपये का इनकम देती हैं ये गायें, पीती हैं फिल्टर पानी, नहाने के लिए लगा शॉवर स्ट्रीट, Video

इम्तियाज अली/ झुंझुनूं. राजस्थान के झुंझुनूं स्थित गोपाल गोशाला में करीब 2100 गोवंश व इनकी देखभाल के लिए करीब 50 कर्मचारी रहते हैं. यहां गायों को दूषित व फ्लोराइड पानी से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. गोशाला में फिल्टर प्लांट लगाया गया है. बताया जा रहा है कि यह प्रदेश की पहली ऐसी गोशाला है, जहां पशु आहार पकाने से लेकर गायों के पीने तक के लिए फिल्टर पानी का प्रयोग होता है. इस गोशाला में रोजाना करीब 40 हजार लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है. इनके लिए गोशाला परिसर में पानी फिल्टर करने के लिए दो मशीनों का प्लांट लगा है. गायों को नहाने के लिए शॉवर स्ट्रीट भी लगा है.

श्री गोपाल गोशाला में यहां से करीब 3 किलोमीटर दूर चूरू रोड स्थित कुएं से पानी सप्लाई होता था. पाइप लाइन जगह-जगह से टूटने के कारण गोशाला में पानी की किल्लत होने लगी. जिसे दूर करने के लिए भामाशाह दामोदर गुढ़ावाला की स्मृति में गोशाला परिसर में ही बोरिंग करवाई गई, लेकिन बोरिंग से पानी खारा निकला, जो किसी काम का नहीं. बोरिंग व्यर्थ ना हो हो इसके लिए भामाशाह परिवार ने बोरिंग के पानी को पीने के लायक बनाने के लिए फिल्टर प्लांट लगाया.

ये सुविधाएं भी खास
करीब सवा सौ साल पुरानी गोपाल गोशाला पहली ऐसी गोशाला है, जहां गायों के नहाने के लिए शॉवर स्ट्रीट (फव्वारा सिस्टम) लगाया गया है. इसके एक छोर में गाय घुसती हैं और नहाती हुई दूसरी तरफ निकल जाती हैं, गायों को गर्मी से बचाव के लिए यहां एयर कुलिंग सिस्टम लगा हुआ है. गोशाला के कोने कोने में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. यह गोशाला की वेबसाइट से जुड़े हैं. इनके जरिए आप देश के किसी भी हिस्से में बैठकर गोशाला की गतिविधियों को ऑनलाइन देख सकते हैं. गोशाला कैंपस में दिनभर भजनों की धुन बजती रहती हैं. भगवान श्रीकृष्ण के भजन की एक खास धुन सिर्फ दूध दूहने के वक्त बजाई जाती है. जब यह धुन शुरू होती है, दूध देने वाली सभी गाय स्वत: ही अपने स्थान पर आकर खड़ी हो जाती हैं

धुन सुनकर गायों के बछड़े और बछड़ियां भी दूध पीने के लिए मचल उठते हैं. मां की ममता का यह दृश्य यहां साकार हो उठता है. गायों के रहने के स्थान पक्के हैं. हर दिन में दो बार प्रेशरयुक्त पानी से इनकी सफाई होती है. गोशाला के अंदर ही इलाज के लिए अलग से अस्पताल बना हुआ है. बीमार गायों को सामान्य गायों से अलग रखा जाता है. गायों की अंत्येष्टि के लिए गैस चलित मशीन लगी हुई है. यानी मृत गाय को बाहर फेंका नहीं जाता है. हिंदू पद्धति से उसका अंतिम संस्कार किया जाता है.

हर महीनें 10 लाख रुपए कमाती हैं ये गाय
गोशाला को दूध से सालाना सवा करोड़ रुपए की आय होती है. यानी हर महीने करीब दस लाख रुपए का दूध बेचा जाता है. रोजाना मलमूत्र गोशाला के खेतों में पहुंचा दिया जाता है. गायों को गर्मी से बचाने के लिए पूरी गोशाला में सेंट्रलाइज कूलिंग सिस्टम लगा हुआ है. 80 सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं. गोशाला में वर्तमान में करीब 1000 गाय हैं. इनमें से 160 गाय दूध देती हैं.

जानिए, गोशाला की कमाई का गणित
झुंझुनूं के व्यापारियों का गोशाला को बड़ा सहयोग मिलता है. व्यापारियों से चूंगी के रूप में गोशाला को करीब 50 लाख रुपए मिलते हैं. चूंगी सिस्टम के तहत जो भी व्यापारी झुंझुनूं शहर के बाहर से कोई भी माल खरीदता है तो 100 रुपए कीमत पर उसे 25 पैसे चूंगी देनी होती है. यानी एक लाख रुपए का माल खरीदने पर व्यापारी को चूंगी के रूप में 2500 रुपए गोशाला को देने होते हैं. मतलब व्यापारी एक लाख का नहीं एक लाख ढाई हजार का माल खरीदता है. ऐसे में व्यापारियों से चूंगी के रूप में सालाना 50 लाख रुपए मिल जाते हैं.

सवा करोड़ मिलता है अनुदान
गोशाला को सरकार से सालाना करीब सवा करोड़ रुपए अनुदान मिलता है. वर्तमान में गोशाला व नंदीशाला में 1800 से 2000 गोवंश हैं. सवा करोड़ दूध व खाद की बिक्री से कमाई हो जाती है. यानी इन दोनों को मिलाकर ढाई करोड़ की आय होती है. इसके अलावा 50 लाख रुपए व्यापारियों से चूंगी के रूप में मिल जाते हैं और करीब दो करोड़ रुपए सालाना डोनेशन मिल जाता है.

गोशाला सेक्रेटरी प्रमोद खंडेलिया के अनुसार गोशाला में रोज 10 टन चारा खप जाता है. यानी हर तीसरे दिन चारे के दो ट्रक मंगवाने पड़ते हैं. दोनाें ट्रकों में 30 टन चारा आता है. इस हिसाब से पूरे महीने में 300 टन चारा मंगवाना पड़ता है. फिलहाल चारे के भाव 12 रुपए किलो के देने पड़ रहे हैं. यानी पूरे महीने में 36 लाख रुपए चारे पर खर्च करने पड़ते हैं. जबकि कोरोना काल से पहले तक चारे के भाव 6 रुपए किलो के आसपास थे. तब महीने के 18 लाख रुपए खर्च होते थे.