सऊदी अरब (Saudi Arabia) के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed Bin Salman) इन दिनों खबरों में हैं। पिछले दिनों तेल उत्पादन में कटौती के ऐलान के बाद से ही अमेरिका (US) के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) उनसे नाराज हैं। क्राउन प्रिंस को एमबीएस के तौर पर भी जाना जाता है और वह कई बातों से अक्सर खबरों में बने रहते हैं।
रियाद: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) इस समय खाड़ी के सबसे ताकतवर शख्स हैं। ओपेके प्लस की तरफ से तेल की कटौती का ऐलान हो या फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी दोस्ती, हर बड़े फैसले के पीछे क्राउन प्रिंस की रजामंदी शामिल है। साल 2015 में वह सऊदी के क्राउन प्रिंस बने लेकिन साल 2018 में उनका नाम सबकी जुबां पर था। सऊदी नागरिक और वॉशिंगटन पोस्ट के जर्नलिस्ट जमाल खशोगी की तुर्की में हत्या के बाद से ही उनकी बातें होने लगीं। भले ही सऊदी अरब में जारी सुधारों के लिए क्राउन प्रिंस को श्रेय दिया जाता है लेकिन यह भी सच है कि मोहम्मद बिन सलमान के व्यक्तित्व का एक हिस्सा ऐसा भी है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
अपने ही भाई को डाला जेल में
सऊदी प्रिंस एक निर्दयी राजकुमार के तौर पर भी जाने जाते हैं। खाशोगी की हत्या के बाद जब एक टेप सार्वजनिक तौर पर सबके सामने आया तो उस समय प्रिंस के डरावने पहलू के बारे में दुनिया को पता लगा। सऊदी अरब में खुद को सबसे ताकतवर बनाने के चक्कर में उन्होंने कई लोगों को जेल में डाला। ये वो लोग थे जिन्होंने उनके शासन को चुनौती दी थी। इसमें देश के सबसे शक्तिशाली पूर्व क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन नयाफ और सुल्तान के भाई प्रिंस अहमद बिन अब्दुलअजीज भी शमिल हैं।
सऊदी सरकार ने कभी भी उन रिपोर्ट्स पर कुछ नहीं कहा है जिसमें किंग सलमान और क्राउन प्रिंस के खिलाफ तख्तापलट की बातें थीं। साल 2017 में एमबीएस सबसे ताकतवर बन गए। उस समय अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उनकी तरफ से चलाए जा रहे सुधार कार्यक्रमों का जिक्र होने लगा था। लेकिन कहीं न कहीं देश में उनके ही खिलाफ असंतोष भी बढ़ रहा था।
हजारों मौतों के जिम्मेदार
सऊदी जर्नलिस्ट खशोगी ने एमबीएस के डरावने व्यक्तित्व के बारे में लिखना शुरू किया। उन्होंने बताया कि कैसे यमन में हजारों नागरिकों की जान ले ली गई है। यह भी लिखा कि मोहम्मद बिन सलमान के सत्ता में आने के बाद कैसे मौत की सजा में इजाफा हुआ है। साल 2015 में सऊदी अरब ने यमन के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। यहां पर हौथी विद्रोहियों को निशाना बनाया जा रहा था।
अमेरिका की मदद से सऊदी और यूएई ने 20,000 से ज्यादा हवाई हमले किए। अप्रैल 2018 में एमबीएस ने इन हमलों का बचाव यह कहते हुए किया कि किसी भी मिलिट्री ऑपरेशंस में कई गलतियां होती हैं। सऊदी अरब या फिर उसके गठबंधन की तरफ से भी अनचाहे में कुछ गलतियां हो गई हैं।
लेबनान के पीएम ‘किडनैप’
नवंबर 2017 में लेबनान के तत्कालीन पीएम सादा हारीरी सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे। यहां पर सऊदी सेनाओं ने उन्हें रोक लिया। सिर्फ इतना ही नहीं उनके फोन को भी जब्त किया गया। इाके एक दिन बाद उन्होंने सऊदी अरब के सरकारी चैनल पर अपने इस्तीफे का ऐलान किया था। कहा जाता है कि सऊदी पहुंचने के बाद किंग सलमान और एमबीएस ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया था। लेकिन एक ही दिन बाद उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। कहा जाता है कि इस मीटिंग के बाद ही उन्होंने अपना पद छोड़ दिया था।
लेबनान में हंगामा
लेबनान में इस घटना से काफी हंगामा हुआ। लेबनान में माना जा रहा था कि सऊदी किंग और प्रिंस ने उनका अपहरण कर लिया है। लेबनान के रिश्ते बिगड़ने शुरू हो गए और देश के राष्ट्रपति माइकल आउन ने इस्तीफा स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने सऊदी अथॉरिटीज ने हिरासत में लिए गए उनके पीएम को रिहा करने के लिए कहा। हारीरी ने ईरान और हेजबोल्ला पर उनके देश को अस्थिर करने का आरोप लगाया। वह दो हफ्ते तक सऊदी अरब में रुके थे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो के प्रयासों के बाद वह अपने देश लौटे और इस्तीफा वापस लिया।
अमीरों पर किए जुल्म
साल 2017 में ही सऊदी के सुरक्षा बलों ने देश के सैंकडो अमीर लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। इन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था उन्हें कई हफ्तों तक रियाद के आलीशान रिट्ज कार्लटन होटल में रखा गया था। कुछ लोगों को शारीरिक नुकसान तक पहुंचाया गया था। न्यूयॉर्क टाइम्स की तरफ से बताया गया था कि 17 ऐसे लोग जिन्हें हिरासत में लिया गया था, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
इनमें से एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि एमबीएस ने इन लोगों को इसलिए हटाया क्योंकि उन्हें यह डर था कि ये उनके लिए खतरा बन सकते हैं। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उनका 100 अरब डॉलर का सामान भी जब्त कर लिया गया।