हिमाचल के इन शिक्षकों को मिलेगा राज्य स्तरीय पुरस्कार, ऐसे पाया मुकाम

शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान करने का मकसद उनके अनूठे योगदान की सराहना करना है। ऐसे शिक्षकों का सम्मान करना है, जिन्होंने अपनी परिश्रम से न सिर्फ स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि स्कूल के विकास के लिए भी अहम योगदान दिया। इनकी वजह से सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ी, विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेकर बच्चों ने पुरस्कार जीते। स्कूल में छुट्टी के बाद भी बच्चों को पढ़ाया और उनकी हर शंका का समाधान किया।   प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत 16 शिक्षकों को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार दिया जाएगा।

100 अंकों के आधार पर 51 आवेदनों में से 12 शिक्षकों का चयन किया गया है। तीन शिक्षकों को सरकार की गठित राज्य चयन कमेटी ने चुना है। बीते वर्ष राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाले सोलन के शिक्षक कमल किशोर को इस बार राज्य पुरस्कार मिलेगा। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर राजभवन शिमला में शाम 5:30 बजे राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शिक्षकों को सम्मानित करेंगे।  जिला शिमला के हाजल प्राइमरी स्कूल की जेबीटी अनुराधा 81 अंकों के साथ चयनित 12 शिक्षकों में अव्वल रही हैं। कांगड़ा के प्राइमरी स्कूल भलाड़ के मुख्य अध्यापक संजीव कुमार 78 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

गजेंद्र सिंह के प्रयासों से बना स्कूल भवन और सड़क 
शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए कुल्लू जिला के बराण स्कूल के प्रिंसिपल के गजेंद्र सिंह ठाकुर को भी राज्य शिक्षक पुरस्कार मिलेगा। अपने सेवाकाल में मुख्याध्यापक और प्रधानाचार्य के रहने के बावजूद स्कूलों में कक्षाएं लेते हैं। 2014 में प्रीणी स्कूल में मुख्याध्यापक होने के दौरान उन्होंने एक बिजली प्रोजेक्ट और ग्रामीणों की मदद से स्कूल भवन बनवाया। 2017 में बंजार के चनौन स्कूल में प्रधानाचार्य रहते हुए स्कूल तक सड़क का निर्माण करवाया। वहीं उच्च विद्यालय प्रीणी में मुख्याध्यापक रहते हुए विद्यार्थियों की गणित की कक्षाएं लीं। वहीं चनौन में प्रधानाचार्य होते हुए नवीं और दसवीं कक्षा के बच्चों की कक्षाएं उन्होंने स्कूल बंद होने के बाद भी गणित और विज्ञान की कक्षाएं लीं।

निशिकांत
निशिकांत ने निजी स्कूलों को दी टक्कर
राजकीय माध्यमिक पाठशाला लाणा मियू टीजीटी नॉन मेडिकल के पद पर तैनात निशिकांत शर्मा ने 28 मई 1999 राजकीय प्राथमिक स्कूल गागल शिकोर से बतौर जेबीटी अध्यापक सेवाएं शुरू कीं। एमएससी फिजिक्स, एमएड की शिक्षा प्राप्त करने वाले निशिकांत 20 जुलाई 2007 को बतौर टीजीटी नॉन मेडिकल प्रमोट हुए। राजकीय माध्यमिक पाठशाला मंडी खड़ाना से टीजीटी नॉन मेडिकल सेवा शुरू की। इसके बाद खरेटी, धरोट (सोलन), घड़ासर और वर्तमान में लाणा मियू स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं। घड़ासर में कोरोना काल के दौरान सामुदायिक सहभागिता से स्कूल विकास के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए। निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए वह हमेशा बच्चों को तैयार करते रहे हैं। लाणा मियू स्कूल में रहते हुए जिला स्तर पर स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार, जबकि गढ़ासर स्कूल में सेवा के दौरान जिला स्तर पर उत्कृष्ट सेवा सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। निशिकांत शर्मा बताते हैं कि उन्हें किताबे पढ़ना, कविताएं लिखना, क्रिकेट व बैडमिंटन खेलना और संगीत सुनना अच्छा लगता है।
सुरेंद्र चौहान
सुरेंद्र ने सामूहिक समन्वय से बेहतर बनाया शैक्षणिक माहौल
पच्छाद क्षेत्र के सराहां निवासी सुरेंद्र सिंह को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाएगा। सुरेंद्र चौहान वर्तमान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सराहां में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। सुरेंद्र कुमार ने शिक्षा विभाग में बतौर टीजीटी अध्यापक 1990 से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गलाना घाट से सेवाएं शुरू हुई। सुरेंद्र सिंह आठ वर्ष तक बीआरसी कार्यालय सराहां में बीआरसी के पद पर तैनात रहे। उसके बाद चार वर्षों तक बनाहां की सेर स्कूल में मुख्य अध्यापक के पद पर सेवाएं दीं। उसके बाद डेढ़ साल तक प्रधानाचार्य निरीक्षण के पद पर तैनात रहे। दौरान सुरेंद्र चौहान ने पूरे सिरमौर के स्कूलों का निरीक्षण भी किया। उन्होंने कहा कि पुरस्कार की घोषणा से बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने हमेशा सामूहिक समन्वय स्थापित कर न केवल स्कूल प्रबंधन बल्कि शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के प्रयास किए।

अध्यापिका अच्छर लता

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अंग्रेजी में पढ़ाई शुरू करवाई, एलईडी भी दिया
बिलासपुर से स्टेट टीचर अवार्ड के लिए सदर खंड के राजकीय प्राथमिक पाठशाला कोटला की अध्यापिका अच्छर लता का नाम चयन हुआ है। अच्छर लता ने 2016 से अंग्रेजी माध्यम में कक्षाएं शुरू करर्वाइं। उसके बाद स्कूल के लिए एलईडी  दान कर स्मार्ट कक्षाएं शुरू कीं।  उनके कार्यकाल में इनके वर्तमान स्कूल में निजी स्कूल से 50 फीसदी बच्चे शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे। इस समय लगभग 90 विद्यार्थी इनके स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने एमए बीएड की पढ़ाई की है। 25 साल के सेवाकाल के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है।