गजेंद्र सिंह के प्रयासों से बना स्कूल भवन और सड़क
शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए कुल्लू जिला के बराण स्कूल के प्रिंसिपल के गजेंद्र सिंह ठाकुर को भी राज्य शिक्षक पुरस्कार मिलेगा। अपने सेवाकाल में मुख्याध्यापक और प्रधानाचार्य के रहने के बावजूद स्कूलों में कक्षाएं लेते हैं। 2014 में प्रीणी स्कूल में मुख्याध्यापक होने के दौरान उन्होंने एक बिजली प्रोजेक्ट और ग्रामीणों की मदद से स्कूल भवन बनवाया। 2017 में बंजार के चनौन स्कूल में प्रधानाचार्य रहते हुए स्कूल तक सड़क का निर्माण करवाया। वहीं उच्च विद्यालय प्रीणी में मुख्याध्यापक रहते हुए विद्यार्थियों की गणित की कक्षाएं लीं। वहीं चनौन में प्रधानाचार्य होते हुए नवीं और दसवीं कक्षा के बच्चों की कक्षाएं उन्होंने स्कूल बंद होने के बाद भी गणित और विज्ञान की कक्षाएं लीं।
शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए कुल्लू जिला के बराण स्कूल के प्रिंसिपल के गजेंद्र सिंह ठाकुर को भी राज्य शिक्षक पुरस्कार मिलेगा। अपने सेवाकाल में मुख्याध्यापक और प्रधानाचार्य के रहने के बावजूद स्कूलों में कक्षाएं लेते हैं। 2014 में प्रीणी स्कूल में मुख्याध्यापक होने के दौरान उन्होंने एक बिजली प्रोजेक्ट और ग्रामीणों की मदद से स्कूल भवन बनवाया। 2017 में बंजार के चनौन स्कूल में प्रधानाचार्य रहते हुए स्कूल तक सड़क का निर्माण करवाया। वहीं उच्च विद्यालय प्रीणी में मुख्याध्यापक रहते हुए विद्यार्थियों की गणित की कक्षाएं लीं। वहीं चनौन में प्रधानाचार्य होते हुए नवीं और दसवीं कक्षा के बच्चों की कक्षाएं उन्होंने स्कूल बंद होने के बाद भी गणित और विज्ञान की कक्षाएं लीं।
निशिकांत ने निजी स्कूलों को दी टक्कर
राजकीय माध्यमिक पाठशाला लाणा मियू टीजीटी नॉन मेडिकल के पद पर तैनात निशिकांत शर्मा ने 28 मई 1999 राजकीय प्राथमिक स्कूल गागल शिकोर से बतौर जेबीटी अध्यापक सेवाएं शुरू कीं। एमएससी फिजिक्स, एमएड की शिक्षा प्राप्त करने वाले निशिकांत 20 जुलाई 2007 को बतौर टीजीटी नॉन मेडिकल प्रमोट हुए। राजकीय माध्यमिक पाठशाला मंडी खड़ाना से टीजीटी नॉन मेडिकल सेवा शुरू की। इसके बाद खरेटी, धरोट (सोलन), घड़ासर और वर्तमान में लाणा मियू स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं। घड़ासर में कोरोना काल के दौरान सामुदायिक सहभागिता से स्कूल विकास के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए। निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए वह हमेशा बच्चों को तैयार करते रहे हैं। लाणा मियू स्कूल में रहते हुए जिला स्तर पर स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार, जबकि गढ़ासर स्कूल में सेवा के दौरान जिला स्तर पर उत्कृष्ट सेवा सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। निशिकांत शर्मा बताते हैं कि उन्हें किताबे पढ़ना, कविताएं लिखना, क्रिकेट व बैडमिंटन खेलना और संगीत सुनना अच्छा लगता है।
राजकीय माध्यमिक पाठशाला लाणा मियू टीजीटी नॉन मेडिकल के पद पर तैनात निशिकांत शर्मा ने 28 मई 1999 राजकीय प्राथमिक स्कूल गागल शिकोर से बतौर जेबीटी अध्यापक सेवाएं शुरू कीं। एमएससी फिजिक्स, एमएड की शिक्षा प्राप्त करने वाले निशिकांत 20 जुलाई 2007 को बतौर टीजीटी नॉन मेडिकल प्रमोट हुए। राजकीय माध्यमिक पाठशाला मंडी खड़ाना से टीजीटी नॉन मेडिकल सेवा शुरू की। इसके बाद खरेटी, धरोट (सोलन), घड़ासर और वर्तमान में लाणा मियू स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं। घड़ासर में कोरोना काल के दौरान सामुदायिक सहभागिता से स्कूल विकास के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए। निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए वह हमेशा बच्चों को तैयार करते रहे हैं। लाणा मियू स्कूल में रहते हुए जिला स्तर पर स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार, जबकि गढ़ासर स्कूल में सेवा के दौरान जिला स्तर पर उत्कृष्ट सेवा सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। निशिकांत शर्मा बताते हैं कि उन्हें किताबे पढ़ना, कविताएं लिखना, क्रिकेट व बैडमिंटन खेलना और संगीत सुनना अच्छा लगता है।
सुरेंद्र ने सामूहिक समन्वय से बेहतर बनाया शैक्षणिक माहौल
पच्छाद क्षेत्र के सराहां निवासी सुरेंद्र सिंह को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाएगा। सुरेंद्र चौहान वर्तमान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सराहां में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। सुरेंद्र कुमार ने शिक्षा विभाग में बतौर टीजीटी अध्यापक 1990 से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गलाना घाट से सेवाएं शुरू हुई। सुरेंद्र सिंह आठ वर्ष तक बीआरसी कार्यालय सराहां में बीआरसी के पद पर तैनात रहे। उसके बाद चार वर्षों तक बनाहां की सेर स्कूल में मुख्य अध्यापक के पद पर सेवाएं दीं। उसके बाद डेढ़ साल तक प्रधानाचार्य निरीक्षण के पद पर तैनात रहे। दौरान सुरेंद्र चौहान ने पूरे सिरमौर के स्कूलों का निरीक्षण भी किया। उन्होंने कहा कि पुरस्कार की घोषणा से बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने हमेशा सामूहिक समन्वय स्थापित कर न केवल स्कूल प्रबंधन बल्कि शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के प्रयास किए।
पच्छाद क्षेत्र के सराहां निवासी सुरेंद्र सिंह को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाएगा। सुरेंद्र चौहान वर्तमान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सराहां में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। सुरेंद्र कुमार ने शिक्षा विभाग में बतौर टीजीटी अध्यापक 1990 से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गलाना घाट से सेवाएं शुरू हुई। सुरेंद्र सिंह आठ वर्ष तक बीआरसी कार्यालय सराहां में बीआरसी के पद पर तैनात रहे। उसके बाद चार वर्षों तक बनाहां की सेर स्कूल में मुख्य अध्यापक के पद पर सेवाएं दीं। उसके बाद डेढ़ साल तक प्रधानाचार्य निरीक्षण के पद पर तैनात रहे। दौरान सुरेंद्र चौहान ने पूरे सिरमौर के स्कूलों का निरीक्षण भी किया। उन्होंने कहा कि पुरस्कार की घोषणा से बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने हमेशा सामूहिक समन्वय स्थापित कर न केवल स्कूल प्रबंधन बल्कि शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के प्रयास किए।
5 of 15
अंग्रेजी में पढ़ाई शुरू करवाई, एलईडी भी दिया
बिलासपुर से स्टेट टीचर अवार्ड के लिए सदर खंड के राजकीय प्राथमिक पाठशाला कोटला की अध्यापिका अच्छर लता का नाम चयन हुआ है। अच्छर लता ने 2016 से अंग्रेजी माध्यम में कक्षाएं शुरू करर्वाइं। उसके बाद स्कूल के लिए एलईडी दान कर स्मार्ट कक्षाएं शुरू कीं। उनके कार्यकाल में इनके वर्तमान स्कूल में निजी स्कूल से 50 फीसदी बच्चे शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे। इस समय लगभग 90 विद्यार्थी इनके स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने एमए बीएड की पढ़ाई की है। 25 साल के सेवाकाल के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है।
बिलासपुर से स्टेट टीचर अवार्ड के लिए सदर खंड के राजकीय प्राथमिक पाठशाला कोटला की अध्यापिका अच्छर लता का नाम चयन हुआ है। अच्छर लता ने 2016 से अंग्रेजी माध्यम में कक्षाएं शुरू करर्वाइं। उसके बाद स्कूल के लिए एलईडी दान कर स्मार्ट कक्षाएं शुरू कीं। उनके कार्यकाल में इनके वर्तमान स्कूल में निजी स्कूल से 50 फीसदी बच्चे शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे। इस समय लगभग 90 विद्यार्थी इनके स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने एमए बीएड की पढ़ाई की है। 25 साल के सेवाकाल के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है।
चमन लाल ने छुट्टियों में भी पढ़ाई जारी रखी
ऊना जिले से इस साल संस्कृत विषय के अध्यापक चमन लाल को उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार से नवाजा जाएगा। चमन लाल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बसाल में तैनात हैं। चमन लाल बच्चों को जीवन मूल्यों के बारे में शिक्षित करते आ रहे हैं। स्कूल में छुट्टी के बाद और छुट्टियों में भी चमन लाल ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखी। बच्चों से संपर्क साधकर उनकी शंकाएं दूर कीं। कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के अलावा ऑफलाइन बच्चों का मार्गदर्शन किया। पढ़ाई के साथ खेलों में भी बच्चों का मार्गदर्शन किया। चमन लाल का कहना है कि राज्य स्तर का अवार्ड मिलना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने इसका श्रेय प्रधानाचार्य कश्मीर सिंह, स्टाफ तथा विशेषकर विद्यार्थियों को दिया है। वहीं, प्रधानाचार्य कश्मीर सिंह ने बताया कि चमन लाल अपने विषय के अलावा विद्यालय में चल रही किसी भी गतिविधि में सबसे आगे होकर हिस्सा लेते हैं।
ऊना जिले से इस साल संस्कृत विषय के अध्यापक चमन लाल को उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार से नवाजा जाएगा। चमन लाल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बसाल में तैनात हैं। चमन लाल बच्चों को जीवन मूल्यों के बारे में शिक्षित करते आ रहे हैं। स्कूल में छुट्टी के बाद और छुट्टियों में भी चमन लाल ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखी। बच्चों से संपर्क साधकर उनकी शंकाएं दूर कीं। कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के अलावा ऑफलाइन बच्चों का मार्गदर्शन किया। पढ़ाई के साथ खेलों में भी बच्चों का मार्गदर्शन किया। चमन लाल का कहना है कि राज्य स्तर का अवार्ड मिलना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने इसका श्रेय प्रधानाचार्य कश्मीर सिंह, स्टाफ तथा विशेषकर विद्यार्थियों को दिया है। वहीं, प्रधानाचार्य कश्मीर सिंह ने बताया कि चमन लाल अपने विषय के अलावा विद्यालय में चल रही किसी भी गतिविधि में सबसे आगे होकर हिस्सा लेते हैं।
रावत हर साल जरूरतमंद पांच छात्रों की पढ़ाई का उठाते हैं खर्च
रॉय सिंह रावत कुपवी स्कूल में प्रवक्ता (अर्थशास्त्र) हैं। वह 25 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे है। पांच सालों से अपने स्कूल का सौ फीसदी परिणाम दे रहे हैं। हर साल नवीं से बारहवीं कक्षा तक के पांच जरूरतमंद विद्यार्थियों की फीस, कॉपी, किताब का खर्च उठाने के अलावा छात्रों को ट्रैक सूट बांटने के साथ ही स्कूल में जरूरत के अनुसार बच्चों की मदद करते रहे है। उनकी एक छात्रा बॉबी रंजना ने भाषण में राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्थान पाया है। रावत ने कोरोना काल में बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए मोबाइल देकर पढ़ाई में मदद की। वह मूलत: गांव डिम्मी तहसील कुपवी के रहने वाले हैं।
रॉय सिंह रावत कुपवी स्कूल में प्रवक्ता (अर्थशास्त्र) हैं। वह 25 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे है। पांच सालों से अपने स्कूल का सौ फीसदी परिणाम दे रहे हैं। हर साल नवीं से बारहवीं कक्षा तक के पांच जरूरतमंद विद्यार्थियों की फीस, कॉपी, किताब का खर्च उठाने के अलावा छात्रों को ट्रैक सूट बांटने के साथ ही स्कूल में जरूरत के अनुसार बच्चों की मदद करते रहे है। उनकी एक छात्रा बॉबी रंजना ने भाषण में राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्थान पाया है। रावत ने कोरोना काल में बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए मोबाइल देकर पढ़ाई में मदद की। वह मूलत: गांव डिम्मी तहसील कुपवी के रहने वाले हैं।
अनुराधा को सच्ची लग्न ने दिलवाया सम्मान
राजकीय प्राथमिक पाठशाला हाजल में 16 सालों से समर्पण भावना से शिक्षण कार्य ने अनुराधा को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार दिलवाया है। अनुराधा ने लगातार पांच वर्ष तक छात्र-छात्राओं की एकांकी को राज्य स्तर पर पहला पुरस्कार दिलवाया। एकांकी से समाज में फैली कुरीतियों को लेकर लोगों को जागरूक करने का कार्य किया, जिसके लिए उन्हें राज्यपाल के हाथों प्रशस्ति पत्र भी मिला है। अनुराधा ने अपने हाजल स्कूल सहित आसपास के स्कूली बच्चों को भी लोक नृत्य, एकांकी में पुरस्कार दिलवाए हैं। उन्होंने स्कूल में आर्ट एंड क्राफ्ट में बेकार सामान से उपयोगी वस्तुओं का बनाने का हुनर सिखाने का कार्य करने के साथ प्ले वे तकनीक से बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया। यही नहीं, स्वयं शिक्षण कार्य में उपयोगी सामग्री तैयार कर अन्य स्कूलों के शिक्षकों को भी सिखाने का कार्य किया। उन्होंने अपने स्तर पर ही हाजल स्कूल में प्री प्राइमरी कक्षाओं को शुरू करने का प्रयोग भी सफलतापूर्वक किया। अनुराधा ने कहा कि उन्हें इस सम्मान के मिलने से एक नई ऊर्जा, स्फूर्ति मिली है। वह और बेहतर करने का प्रयास करेंगी।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला हाजल में 16 सालों से समर्पण भावना से शिक्षण कार्य ने अनुराधा को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार दिलवाया है। अनुराधा ने लगातार पांच वर्ष तक छात्र-छात्राओं की एकांकी को राज्य स्तर पर पहला पुरस्कार दिलवाया। एकांकी से समाज में फैली कुरीतियों को लेकर लोगों को जागरूक करने का कार्य किया, जिसके लिए उन्हें राज्यपाल के हाथों प्रशस्ति पत्र भी मिला है। अनुराधा ने अपने हाजल स्कूल सहित आसपास के स्कूली बच्चों को भी लोक नृत्य, एकांकी में पुरस्कार दिलवाए हैं। उन्होंने स्कूल में आर्ट एंड क्राफ्ट में बेकार सामान से उपयोगी वस्तुओं का बनाने का हुनर सिखाने का कार्य करने के साथ प्ले वे तकनीक से बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया। यही नहीं, स्वयं शिक्षण कार्य में उपयोगी सामग्री तैयार कर अन्य स्कूलों के शिक्षकों को भी सिखाने का कार्य किया। उन्होंने अपने स्तर पर ही हाजल स्कूल में प्री प्राइमरी कक्षाओं को शुरू करने का प्रयोग भी सफलतापूर्वक किया। अनुराधा ने कहा कि उन्हें इस सम्मान के मिलने से एक नई ऊर्जा, स्फूर्ति मिली है। वह और बेहतर करने का प्रयास करेंगी।
सतीश ने छात्रों को तैयार कर दिलवाई छात्रवृत्ति
घणाहट्टी वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के प्रधानाचार्य सतीश कुमार ने विभिन्न स्कूलों में प्रधानाचार्य रहते हुए लगातार दस साल तक दर्जनों छात्र-छात्राओं को नेशनल मीन्स कम मेरिट छात्रवृत्ति परीक्षा के लिए तैयार किया और उन्हें छात्रवृत्ति दिलवाने में मदद की। उन्होंने कभी अपने बच्चों और उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में भेद नहीं किया। छात्रों के लिए हरसंभव बेहतरीन शैक्षणिक माहौल प्रदान करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि स्कूल में रहते हुए उन्होंने हमेशा अपने काम से प्रेम किया, पूरी निष्ठा के साथ उसे पूरा करने, छात्रों को सुविधाएं मुहैया करवाने में प्रयास किया। उनका कहना है कि राज्य स्तरीय पुरस्कार पाने पर वह और अधिक लग्न से कार्य करेंगे, जिससे उनके स्कूल के छात्र आगे बढ़ें और हर मोर्चे पर अपनी प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन करें।
घणाहट्टी वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के प्रधानाचार्य सतीश कुमार ने विभिन्न स्कूलों में प्रधानाचार्य रहते हुए लगातार दस साल तक दर्जनों छात्र-छात्राओं को नेशनल मीन्स कम मेरिट छात्रवृत्ति परीक्षा के लिए तैयार किया और उन्हें छात्रवृत्ति दिलवाने में मदद की। उन्होंने कभी अपने बच्चों और उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में भेद नहीं किया। छात्रों के लिए हरसंभव बेहतरीन शैक्षणिक माहौल प्रदान करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि स्कूल में रहते हुए उन्होंने हमेशा अपने काम से प्रेम किया, पूरी निष्ठा के साथ उसे पूरा करने, छात्रों को सुविधाएं मुहैया करवाने में प्रयास किया। उनका कहना है कि राज्य स्तरीय पुरस्कार पाने पर वह और अधिक लग्न से कार्य करेंगे, जिससे उनके स्कूल के छात्र आगे बढ़ें और हर मोर्चे पर अपनी प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन करें।